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Showing posts from October, 2018
दो - टूक, बेबाक, खरी - खरी, भारद्वाज अर्चिता की कलम से : ================================== कुछ लोगों को पटेल जी की गगनचुंबी मूर्ति के अनावरण के साथ ही इस मूर्ति पर खर्च लागत एवं उस लागत से देश के गरीब मजदूर तबक...

दो - टूक, बेबाक, खरी - खरी, भारद्वाज अर्चिता की कलम से :

दो - टूक, बेबाक, खरी - खरी, भारद्वाज अर्चिता की कलम से : ================================== कुछ लोगों को पटेल जी की गगनचुंबी मूर्ति के अनावरण के साथ ही इस मूर्ति पर खर्च लागत एवं उस लागत से देश के गरीब मजदूर तबक...

गौरव का अहसास कराने वाला आज का दिन भारत के इतिहास में 2 महान हस्तियों के नाम है। आज भारत को एकता के सूत्र में पिरोने वाले लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती है और आज ही भारत को एक सक्षक्त राष्ट्र बनाने में महत्वपूर्ण योगदान देने वाली लौह महिला इंदिरा गांधी की पुण्य तिथि है। आज का सुदृढ़ और सशक्त भारत बनाने वाली दोनों महान आत्माओं को कोटिश नमन 🙏🙏

गौरव का अहसास कराने वाला आज का दिन भारत के इतिहास में 2 महान हस्तियों के नाम है। आज भारत को एकता के सूत्र में पिरोने वाले लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती है और आज ही भार...

{ राम के अस्तित्व पर सवाल एवं अर्चिता की कलम } ================================ "आजादी के बाद जिस देश में महात्मा गांधी राम राज्य लाना चाहते थे उस देश में , अपने ही राज्य में राजा राम निर्वासन का दंश झेलने को विवश कर दिए जाएंगे धर्मनिरपेक्षता और गैर धर्मनिरपेक्षता के नाम पर वोट बैंक के लिए शायद कभी गांधी ने भी इसकी कल्पना नही की होगी, मॉरीशस, सूरीनाम, थाईलैंड, श्री लंका,अब तो यूरोप एवं अमेरिका में भी, जिस अयोध्या,जिस रामदरबार एवं राम परिवार के चरित्र का रामलीला नाम से मंचन किया जाता है उस पर हमारे ही देश भारत में प्रमाण मांग कर होने ना होने की आशंका जताई जाती है, उस राम को कोर्ट में पेंडिंग रखा गया है, गांधी वाले उस अयोध्यावासी राम के अस्तित्व को स्वीकारने में वर्तमान छद्म सेकुलरिज्म के चारों पाए चरमरा जाते हैं ? सेक्युलरिज्म को आदर्श के केंद्र में गांधी बापू को रखकर पूजने वाली सेकुलर राजनीतिक पार्टियों को गांधी जी के रामराज्य का सपना विस्मृत हो जाता है ! गांधी जी के छद्म अनुयायी भूल जाते हैं कि : महात्मा गांधी ने स्वतंत्रता आंदोलन में उतरने के साथ ही अपने हाथ में गीता पकड़ा था, और आंखों में राम राज्य का सपना सजाया था, कर्म योगी कृष्ण के कर्म सिद्धांत, एवं राजा श्री राम के अनुशासन पूर्ण आदर्श राज्य व्यवस्था का अनुसरण करते हुए आजाद भारत का सपना देखा था, देश में आजादी लाने का संकल्प लिया था ! मैं भारद्वाज अर्चिता एक विशुद्ध कलमकार हूँ, किसी भी राजनीतिक दल से मेरा कोई लेना - देना नहीं है ! भारतीय संविधान में पूरी श्रद्धा के साथ विश्वास रखने वाली इस देश की एक नागरिक हूं मैं, और अपने नागरिक धर्म की सीमा रेखा का अनुसरण करते हुए, सम्मान करते हुए, आज बेबाकी से लिखना चाहती हूं राम के अस्तित्व को कितना भी नकार दो वोट बैंक के लिए किंतु गांधी के दशरथी आदर्श राम से ही अतीत काल से आज तक भारत की पहचान बरकरार रही है, अतः गांधी के आदर्श राजा राम अस्तित्व को नकारने का मतलब है भारत के अस्तित्व को नकारराना और भारत के अस्तित्व को नकार कर सेकुलरिज्म के हिमायती भला हम कैसे हो सकते हैं ? कलमकार की नजर से अगर मैं देखूं तो "हमारे जीवन में जितनी अटल सत्य मृत्यु है, उतना ही अटल सत्य राम का होना है, मृत्यु एवं राम के अस्तित्व से ना महात्मा गांधी अछूते रहे, ना हम रहेंगे अछूते, न हीं सेकुलरिज्म के अनुयाई, ! जिस तरह वेटिकन सिटी, मक्का मदीना, के अस्तित्व पर सवाल नहीं किया जा सकता, उसी तरह राम एवं अयोध्या के अस्तित्व पर न सवाल किया जा सकता है, न ही प्रमाण मांगा जा सकता है ! शबरी जैसी भीलनी के जूठे बेर खाने वाले दशरथी राम से भी बड़ा कोई सेक्युलर इस अखण्ड ब्रह्माण्ड में कभी हुआ है अथवा हो सकता है क्या ?? कलम से : भारद्वाज अर्चिता

{ राम के अस्तित्व पर सवाल एवं अर्चिता की कलम } ================================ "आजादी के बाद जिस देश में महात्मा गांधी राम राज्य लाना चाहते थे उस देश में , अपने ही राज्य में राजा राम निर्वासन का दंश झेलने क...

तुम मुझे भूल भी जाओ तो हक है तुमको.... मेरी बात और है, मैने तो मोहब्बत की है....।। आग की लपट को तो आग की लपट से पकड़ना होता है, जो महज एक कला है...वह व्यक्ति को वस्तु बना देती है... लेकिन उसमें इश्क शामिल हो जाए तो वह वस्तु को व्यक्ति बना देता है.....। आगे और भी है......... कलम का कर्म कई तरह का होता है.... वह बचकाना ख्यालों से निकले तो गंदा पानी हो जाता है.... सिर्फ पैसे की कामना से निकले तो नकली माल हो जाता है.... सिर्फ शोहरत की लालसा से आए तो कला का कलंक हो जाता है.... अगर किसी हुकूमत की खुशामत से निकले तो जाली सिक्का हो जाता है.... लेकिन अगर वह चिन्तन और साधना की ध्वनि बन जाए तो उसमें ख़ुदा का दीदार हो जाता है.....।। वक्त की सच्चाई से पहले जिंदगी से रु-ब-रु होने वाले "साहिर लुधियानवी" पहले शायर और फिर गीतकार बने... आज उनकी पुन्यतिथि है...विन्रम श्रद्धांजलि......💐💐💐 #sahirludhyanvi #amritapritam #साभार

तुम मुझे भूल भी जाओ तो हक है तुमको.... मेरी बात और है, मैने तो मोहब्बत की है....।। आग की लपट को तो आग की लपट से पकड़ना होता है, जो महज एक कला है...वह व्यक्ति को वस्तु बना देती है... लेकिन उसमे...

"एक दिन मुरली श्याम बजाई, मोहे सुर नर और सकल मुनि, ओनी बदरिया छाई ..........., एक दिन मुरली श्याम बजाई !!" : ठुमरी साम्राज्ञी गिरिजा देवी ! आज 24 अक्टूबर हमारी अप्पा ठुमरी साम्राज्ञी, Queen Of Thumari, ठुमरी की मल्लिका, गिरिजा देवी जी की प्रथम पुण्यतिथि है ! 8 मई 1929 को बनारस मे जन्मी, सेनिया और बनारस घराने से सम्बन्ध रखने वाली, पद्मविभूषण ( 2016 ), पद्मभूषण ( 1989 ), से सम्मानित , अपने साथ सुर एवं ठुमरी का पूरा एक दौर लेकर चलने वाली, एक काल खण्ड को जीने वाली , भारतीय शास्त्रीय गायन विधा में ठुमरी को एक नया आयाम देकर इतिहास रचने वाली कला की देवी हमारी अप्पा जी को अर्ची की तरफ से उनकी प्रथम पुण्यतिथि पर विनम्र श्रद्धांजलि सहित सादर प्रणाम !! -------------------------------------------------------------------- कलम से : भारद्वाज अर्चिता Bhardwaj@rchita 24/10/2018

"एक दिन मुरली श्याम बजाई, मोहे सुर नर और सकल मुनि, ओनी बदरिया छाई ..........., एक दिन मुरली श्याम बजाई !!"              : ठुमरी साम्राज्ञी गिरिजा देवी ! आज 24 अक्टूबर हमारी अप्पा ठुमरी साम्रा...

सुनो शरद पूर्णिमा के चांद : तुम भी तो बिछड़े प्यार जैसे ही हो , केवल आसमान से : अमृत की बरसात कर सकते हो , अमरत्व प्रदान करने की कोशिश कर सकते हो किंतु तुम्हारे अमरत्व के प्रसाद में सानिध्य की कहीं कोई गुंजाइश नही केवल विरह ही विरह है वियोग ही वियोग है राधा कृष्ण के महारास वाले महासंयोग के बाद वाला महा वियोग !! कलम से : भारद्वाज अर्चिता

सुनो शरद पूर्णिमा के चांद : तुम भी तो बिछड़े प्यार जैसे ही हो ,    केवल आसमान से : अमृत की बरसात कर सकते हो , अमरत्व प्रदान करने की कोशिश कर सकते हो        किंतु तुम्हारे अमरत्व क...

60 मौतों का जिम्मेदार कौन : क्या वो : जिन्हें अंदाजा तक नहीं कि रेल की पटरी पर खड़ा होना जानलेवा है ? क्या वो : जिन्होंने रेल की पटरी पर खड़े होने की वजह तैयार की हो ? क्या वो: जिन्होंने लोगों को रेल की पटरी से हटाने की ज़हमत नहीं उठाई ? और क्या वो सब : जिन्हें आजादी के बाद से आज की तारीख तक इस देश में लिखकर यह बताना पड़ता है कि- : यहां पर थूकना मना है, : यहां पर मूतना मना है, जिन्हें लिखकर बताना पड़ता है कि : एक प्लेटफॉर्म से दूसरे प्लेटफॉर्म पर जाने के लिए ओवरब्रिज का इस्तेमाल करें, ? जिन्हें लिखकर बताना पड़ता है कि : लाल बत्ती पर गाड़ी रोक लें ? जिन्हें लिखकर बताना पड़ता है कि : हेलमेट पहनकर गाड़ी चलाएं, सीट बेल्ट बांधकर गाड़ी चलाएं ? जिन्हें लिखकर बताना पड़ता है कि : शराब पीकर ड्राइविंग न करें,..........?? मेरी नजर में तो देश का हर गैरजिम्मेदार आदमी, इस दर्दनाक हादसे का जिम्मेदार है । #अश्रुपूरित श्रद्धांजलि

60 मौतों का जिम्मेदार कौन : क्या वो : जिन्हें अंदाजा तक नहीं कि रेल की पटरी पर खड़ा होना जानलेवा है ? क्या वो : जिन्होंने रेल की पटरी पर खड़े होने की वजह तैयार की हो ? क्या वो: जिन्हों...

अमर शहीद अशफाकउल्ला खां 22 अक्टूबर 1900, साहजंहापुर मे जन्म, 19 दिसंबर 1927 फैजाबाद जेल में फांसी,

काकोरी कांड में अभियुक्त बने महान क्रांतिकारी अमर शहीद "अशफाकउल्ला खां" का आज जन्मदिन है  !!        22 अक्टूबर 1900, साहजंहापुर मे जन्म,        19 दिसंबर 1927 फैजाबाद जेल में फांसी, ================================= ...

" खैचि सरासन श्रवन लगि छाड़े सर एकतीस रघुनायक सायक चले मानहुँ काल फनीस !!१०२!!" : रामचरितमानस: लंका कांड से, रावण को मरे एवं दहन हुए तो युग हो गए राम ! अतः मरे को पुनः पुनः क्या मारना ?? आइए अब अपने मन, आत्मा, चरित्र, में बसे रावण को मारा जाए एवं एक सुंदर समाज का निर्माण किया जाए अर्ची ! असत्य पर सत्य की जीत, बुराई पर अच्छाई की विजय के प्रतीक दशहरा पर्व की आप सभी को सपरिवार ढेरों बधाई ! ================================== कलम से : भारद्वाज अर्चिता 19/10/2018

" खैचि सरासन श्रवन लगि छाड़े सर एकतीस  रघुनायक सायक चले मानहुँ काल फनीस !!१०२!!"                       : रामचरितमानस: लंका कांड से,                            रावण को मरे एवं दहन ह...

{=======ग़ज़ल=======} एक तवायफ ने हकीकत जिंदगी अपनी लिखने की जो ठानी है, दुनिया - ए - शरीफों पर बन आई है, दुनिया - ए - शराफत पर बन आई है, !! अंधेरी रात कूचा-ए-यार के अर्ची जिनका आना जाना था, शहर - ए - चौक पर आज उनकी नीलामी है, एक तवायफ ने हकीकत जिंदगी अपनी लिखने की जो ठानी है .................!! जिनकी सरपरस्ती में : बदनामी का वास्ता देकर ! बदनाम वह हुई, दरबार से बाजार तक ! सरेआम वह हुई, आज उनको ही मय्यत अपनी : उसकी महफिल से उठानी है, एक तवायफ ने हकीकत जिंदगी अपनी लिखने की जो ठानी है ..........!! परत - दर - परत चढ़ेगी जब रौशनाई खुलेंगे - भेद - कई , अभी तो गहरा रही है रात, घुप्प अंधेरों तले, अभी तो बाकी सुबहा आनी है, एक तवायफ ने हकीकत जिंदगी अपनी लिखने की जो ठानी है ............!! मजबूर - मसले गए गजरे, जख्मी - पांव - के - घुंघरू करेंगे बयान सफेद चेहरों के कितने स्याह पहलू हैं ? कितने किस्से ? कितनी कहानी है ? एक तवायफ ने हकीकत जिंदगी अपनी लिखने की जो ठानी है ...................!! ================================== कलम से : भारद्वाज अर्चिता Blogger Poet & Content Writer मेरे सुधी पाठकों मेरी इस रचना की आकाशवाणी में रिकॉर्डिंग हो चुकी है, अतः आप लोगों से सादर अनुरोध है इसके साथ किसी तरह की छेड़छाड़ अथवा कॉपी पेस्ट अपने नाम से ना करें ! साभार भारद्वाज अर्चिता !

{=======ग़ज़ल=======} एक तवायफ ने हकीकत जिंदगी अपनी लिखने की जो ठानी है, दुनिया - ए - शरीफों पर बन आई है, दुनिया - ए - शराफत पर बन आई है, !! अंधेरी रात कूचा-ए-यार के अर्ची जिनका आना जाना था, शहर - ए - चौक पर आ...

पूरब की फिल्में हो या पश्चिम की बहुधा फिल्में मनोरंजन के लिए ही बनाई जाती है, पश्चिम की फिल्मों को भारत के पारंपरिक परिवारों में युवाओं को देखने की खुली आजादी नहीं मिलती चाहे 20 साल पहले का दौर हो अथवा वर्तमान दौर ! पाश्चात्य फिल्मों को देखने पर हमारे घरों में हमपर जो प्रतिबंध लगता रहा है उसकी मुख्य वजह पाश्चात्य फिल्मों में नग्नता का अधिक होना है ! लाख प्रतिबंध के बाद भी हम युवा छुप छुपा कर : टाइटैनिक, Conjuring 1, Conjuring 2, The Godfather, Forest Gump, Matrix, etcetera ...etcetera..etc.. इंग्लिश सिनेमा देख ही लेते हैं सच कहे तो कुछ 1 या 2 सिचुएशन के हिसाब से मांगे गए सीन के अलावा पाश्चात्य फिल्मों मे नग्नता कहीं थी ही नहीं ! लेकिन पूरब के हिंदी सिनेमा में बहुत सारी ऐसी फिल्में है जिन्हें आप परिवार के साथ क्या अकेले में भी बैठ कर देखना चाहे तो पूरी तरह भिन्ना जायेंगे ..उदाहरण स्वरूप वर्ष 2005 में बनी एक फिल्म का जिक्र करना उचित समझती हूं : Hindi movie - "Aashiq Banaya Aapne " यह फिल्म : इमरान हाशमी और तनुश्री दत्ता की एक ऐसी फिल्म है जिसे मैं अपने परिवार के साथ बैठकर देखने की कभी कल्पना भी नहीं कर सकती, और अकेले में कभी देखने की कोशिश किया तो नग्नता की अधिकता इतनी ज्यादा थी 20 मिनट बाद उबकाई ( Vomit ) आने लगी ! मैं भारद्वाज अर्चिता एक मिडिल क्लास परिवार के संस्कारों में जीने एवं संबंध रखने वाली सरल सीधी - सादी लड़की जो तनुश्री दत्ता की "आशिक बनाया आपने" फिल्म के कुछ एक सीन देखकर उल्टी ( Vomit )करने की स्थिति में आ गई हो, सोचिए आप सब की Me Too पर तनुश्री दत्ता का वक्तव्य आने के बाद तनुश्री को किस एंगिल एवं मानक पर ले जाकर खंगालना शुरू किया होगा मैंने ...?? एक बात साफ करना सही समझती हूं मैं : ना तनुश्री दत्ता मेरे रिश्ते में आती है, ना ही नाना पाटेकर ही मेरे रिश्ते में आते हैं, इसलिए मैं कोई लाग लपेट कर के यहां कुछ नहीं लिखूंगी, हां बिल्कुल साफगोई से एक सवाल पूछती हूं तनुश्री दत्ता से : : मैडम दत्ता आशिक बनाया आपने फिल्म आपने क्यों साइन किया ? : आशिक बनाया फिल्म साइन करने के पीछे क्या मजबूरी थी आपकी ? : मैं जानती हूं आपका जवाब होगा : वह मेरा प्रोफेशन है, और उसके लिए मुझे बाकायदा मेहनताना के रूप में बड़ा पैकेज अमाउंट भी मिला था, लेकिन : महारानी (Her Highness ) मैं आपको बताती चलूं "आशिक बनाया आपने " फिल्म में आपके ऊपर फिल्माए गए सीन के द्वारा जो नग्नता परोसी गई हम आम दर्शकों की नजर में वह भी आपके साथ एक चरम स्तर का शोषण ही था, इस शोषण में अंतर यह था कि : मैडम इसके लिए आपको बड़ा पैकेज मेहनताना देकर आप की मनमर्जी खरीद ली गई थी इसलिए आप इस फिल्म के डायरेक्टर के ऊपर Me too का आरोप नहीं लगाई क्योंकि पैसा मिलने के बाद कुछ भी करने से आपको कोई गुरेज परहेज नहीं है, ! मैडम मैं जानना चाहती हूं कि बड़े पैकेज अमाउंट पर खुद को सर्वांगीण Naked कर देने वाली हीरोइन को अचानक Publicly ( सार्वजनिक रूप से ) लाजवंती + छुईमुई बनने का खयाल कैसे आ गया ?? एक और सवाल मैडम दशकों तक अंडरग्राउंड रहने के बाद अचानक कहां से आपका यह अवतार, यह किरदार प्रकट हो उठा ?? जिसने मिडल क्लास परिवार के विश्वास को डगमगा कर रख दिया ! दस - दस साल पुराने मेरे दर्जनों राखी भाइयों ने यह कहते हुए अपना मैसेंजर डीएक्टिवेट कर दिया की बहन क्या पता फेसबुक ग्रुप की कोई लड़की हंसी मजाक में किए गए मेरे भूतपूर्व चैट को खुद को मशहूर करने का जरिया बना कर मेरी साफ-सुथरी छवि पर घड़ों कीचड़ उछाल जाए और बैठे-बिठाए मेरे स्वस्थ चरित्र का मटिया मेट कर दे, ! मैडम मशहूर होने के लिए कुछ भी ...?? मैडम दत्ता आप के चलते जिनके साथ सच में Me too होता है, होता था, या होगा, उन लड़कियों की बात पर भी कोई यकीन करने को तैयार नहीं होगा क्योंकि Me too की Brand Ambassador Tannu Shri Dutta है वही तनुश्री दत्ता जिन्हें मोटी रकम मेहनताना लेकर "आशिक बनाया आपने" फिल्म में खुद को Countless time नंगा कर देने से कोई गुरेज नहीं हुआ था कभी !! ================================== कलम से : भारद्वाज अर्चिता blogger & content writer

पूरब की फिल्में हो या पश्चिम की बहुधा फिल्में मनोरंजन के लिए ही बनाई जाती है, पश्चिम की फिल्मों को भारत के पारंपरिक परिवारों में युवाओं को देखने की खुली आजादी नहीं मिलती चा...