" खैचि सरासन श्रवन लगि छाड़े सर एकतीस रघुनायक सायक चले मानहुँ काल फनीस !!१०२!!" : रामचरितमानस: लंका कांड से, रावण को मरे एवं दहन हुए तो युग हो गए राम ! अतः मरे को पुनः पुनः क्या मारना ?? आइए अब अपने मन, आत्मा, चरित्र, में बसे रावण को मारा जाए एवं एक सुंदर समाज का निर्माण किया जाए अर्ची ! असत्य पर सत्य की जीत, बुराई पर अच्छाई की विजय के प्रतीक दशहरा पर्व की आप सभी को सपरिवार ढेरों बधाई ! ================================== कलम से : भारद्वाज अर्चिता 19/10/2018
" खैचि सरासन श्रवन लगि छाड़े सर एकतीस रघुनायक सायक चले मानहुँ काल फनीस !!१०२!!"
: रामचरितमानस: लंका कांड से,
रावण को मरे एवं दहन हुए तो युग हो गए राम !
अतः मरे को पुनः पुनः क्या मारना ??
आइए अब अपने मन, आत्मा, चरित्र, में बसे रावण को मारा जाए एवं एक सुंदर समाज का निर्माण किया जाए अर्ची !
असत्य पर सत्य की जीत, बुराई पर अच्छाई की विजय के प्रतीक दशहरा पर्व की आप सभी को सपरिवार ढेरों बधाई !
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कलम से :
भारद्वाज अर्चिता
19/10/2018
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