अमर शहीद अशफाकउल्ला खां 22 अक्टूबर 1900, साहजंहापुर मे जन्म, 19 दिसंबर 1927 फैजाबाद जेल में फांसी,
काकोरी कांड में अभियुक्त बने महान क्रांतिकारी अमर शहीद "अशफाकउल्ला खां" का आज जन्मदिन है !!
22 अक्टूबर 1900, साहजंहापुर मे जन्म,
19 दिसंबर 1927 फैजाबाद जेल में फांसी,
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सर्वथा पूज्यनीय त्याग की प्रतिमूर्ति बाबा मोहम्मद शफ़ीक उल्लाह खान, एवं माता मजहूरनिशा बेगम के घर 22 अक्टूबर 1900 को साहजंहापुर मे जन्मे भारत माता के अनमोल रत्न अमर शहीद अशफाकउल्ला खां को आज उनके जन्मदिन पर कोटि-कोटि नमन ! हृदय की एक-एक धड़कन से हजार-हजार बार प्रणाम ।
26 वर्ष की अल्पायु 1927 मे फैज़ाबाद जेल में मातृभूमि के लिए फांसी का फंदा चूम लेने वाले इस क्रांति अलख अमर शहीद को उसकी ही लिखी कुछ पंक्तियों, कुछ नज़्मों, कुछ तरन्नुम - ए - वतन से आइए आज उसे याद करतें हैं, और कामना करते है कि : "अशफाकउल्ला खां" हमारी मातृभूमि पर हजार बार जन्म लें, और लाख बार अपनी सरजमी के लिए शहीद होकर हमे मातृभूमि का मोल समझाएं, हमारे भीतर राष्ट्र के प्रति राष्ट्रभक्ति का अलख जगाएं :
"ये आए दिन की छेड़ अच्छी नहीं ऐ ख़ंजरे क़ातिल
पता नही कब फ़ैसला उनके हमारे दरमियाँ होगा ,"
"वतन की आबरू का पास देखें कौन करता है
सुना है आज मक़तल में हमारा इम्तिहाँ होगा ,"
"शहीदों की चिताओं पर जुड़ेंगे हर बरस मेले
वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशां होगा ",
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मरीज के सिरहाने बैठे हुए भी जो आज मुझे मेरा हीरो अशफाक नहीं भूला हैं तो यही कहना चाहूंगी :
जो अहले वतन पर मर मिटते हैं अर्चिता,
मादरे वतन की आजादी की खातिर
बांधते हैं कफन जो सरफरोश का सिर पर अपने
अशफाक वह मरने के लिए नहीं होते
अशफाक वह भूलने के लिए नहीं होते
अशफाक वह जिंदा थे, जिंदा है, जिंदा ही रहेंगे
क्योंकि :
वतन पर मर मिटने वालों के हिस्से में :
अमरत्व बनकर शहादत मुस्कुराती है शान से !!
कलम से :
भारद्वाज अर्चिता
22/102018
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