तमाम दिक्कतें, अभाव के बाद भी जब कोई तपकर सामने आता है तो उसे 'कुंदन' कहते हैं। गुदड़ी के लाल शायद इसे ही कहते हैं। पश्चिम बंगाल की जलपाईगुड़ी की रहने वाली एक रिक्शाचालक की बेटी स्वप्ना ने एशियाई खेलों की हेप्टाथलन स्पर्धा में जब सोना जीता तो पूरे देश का सिर अपनी इस बेटी के प्रदर्शन से गर्व से ऊंचा हो गया। 🇮🇳 हेप्टाथलन में ऐथलीट को कुल 7 स्टेज में हिस्सा लेना होता है। पहले स्टेज में 100 मीटर फर्राटा रेस होती है। दूसरा हाई जंप, तीसरा शॉट पुट, चौथा 200 मीटर रेस, 5वां लॉन्ग जंप और छठा जेवलिन थ्रो होता है। इस इवेंट के सबसे आखिरी चरण में 800 मीटर रेस होती है। इन सभी खेलों में ऐथलीट को प्रदर्शन के आधार पर पॉइंट मिलते हैं, जिसके बाद पहले, दूसरे और तीसरे स्थान के ऐथलीट का फैसला किया जाता है। अब आप समझ गए होगे ये स्पर्धा कितनी कठिन है,दर्द के बावजूद जिसको जीतकर स्वप्ना ने स्वर्ण पदक अपने नाम किया। #Asian_Games_2018

तमाम दिक्कतें, अभाव के बाद भी जब कोई तपकर सामने आता है तो उसे 'कुंदन' कहते हैं। गुदड़ी के लाल शायद इसे ही कहते हैं। पश्चिम बंगाल की जलपाईगुड़ी की रहने वाली एक रिक्शाचालक की बेट...