घर शीशे का ना बनाएं दिल जमाने के हाथ में पत्थर है, ख्वाब आंखों में ना सजाए दिल टूटने का डर है .......... घर शीशे का ना बनाया दिल....!! १!! ना छोटी है ! ना बड़ी है , जितना जो जी ले शौक से बस उतनी ही जिंदगी है, दिन चार हंस के गुजार ऐ दिल आंसुओं के शहर में : मिला किराए का घर है , घर शीशे का ना बना ऐ दिल ..!!२!! वफा का नाम लेकर बदल गए जो : गर्दिश - ए- मुफलिसी में मसअले उम्मीद का उनके लिए : ना जला ऐ दिल बुझने का डर है ...., घर शीशे का ना बनना है दिल ....!!३!! बुत परस्तों की दुनिया है यह मारे हैं सब : पुत परस्ती के लगा के दांव साथ इनके कश्ती ग़ज़ल की ना चला ऐ दिल डूबने का डर है , घर शीशे खाना बनाया दिल ... जमाने के हाथ में पत्थर है ...!!४!! ================================== कलम से : भारद्वाज अर्चिता
घर शीशे का ना बनाएं दिल
जमाने के हाथ में पत्थर है,
ख्वाब आंखों में ना सजाए दिल
टूटने का डर है ..........
घर शीशे का ना बनाया दिल....!! १!!
ना छोटी है ! ना बड़ी है ,
जितना जो जी ले शौक से
बस उतनी ही जिंदगी है,
दिन चार हंस के गुजार ऐ दिल
आंसुओं के शहर में :
मिला किराए का घर है ,
घर शीशे का ना बना ऐ दिल ..!!२!!
वफा का नाम लेकर बदल गए जो :
गर्दिश - ए- मुफलिसी में
मसअले उम्मीद का
उनके लिए : ना जला ऐ दिल
बुझने का डर है ....,
घर शीशे का ना बनना है दिल ....!!३!!
बुत परस्तों की दुनिया है यह
मारे हैं सब : पुत परस्ती के
लगा के दांव साथ इनके
कश्ती ग़ज़ल की ना चला ऐ दिल
डूबने का डर है ,
घर शीशे खाना बनाया दिल ...
जमाने के हाथ में पत्थर है ...!!४!!
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कलम से :
भारद्वाज अर्चिता
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