अटल जी नही रहे । उनके पिता सिंधिया रियासत में शिक्षा विभाग में नौकरी करने यूपी बटेश्वर से ग्वालियर आये । वे जय विलास पैलेस के नजदीक शिंदे की छावनी में पले- बढ़े । सिंधिया परिवार से उनका सदैव आत्मीय संबंध रहा । कहा जाता है 1991 में जब सरदार आंग्रे माधव राव सिंधिया को गिरफ्तार करवाने पर आमादा थे तब यह बात अटल जी के कानों तक पहुंची । उन्होंने सीधे मुख्यमंत्री सुंदर लाल पटवा को फोन लगाया और फटकारा कि ये क्या हो रहा है । पटवा जी ने तत्काल अमल किया । अटल जी 1984 मे ग्वालियर से सिंधिया के खिलाफ चुनाव हार गए लेकिन पारिवारिक रिश्ता वैसा ही रहा । जब सिंधिया की मौत हुई तब अटल जी प्रधानमंत्री थे तो पूरी केबिनेट लेकर ग्वालियर आये और अंत्येष्ठि में शरीक हुए । रिश्ता ताउम्र बरकरार रहा । जब अटल जी की अंतिम यात्रा शुरू हुई उससे पहले ही पूरा सिंधिया परिवार अटल जी की पार्थिव देह पर माथा टेकने पहुंचा । माधव राव की बहने वसुंधरा राजे और यशोधरा राजे श्रद्धांजलि देने पहुंची और ज्योतिरादित्य सिंधिया तो साष्टांग दंडवत की मुद्रा में देश के जन नायक को नमन करते दिखे । #अटल__जी_जैसा_कोई_नहीं Dev Shrimali ji ki post
अटल जी नही रहे । उनके पिता सिंधिया रियासत में शिक्षा विभाग में नौकरी करने यूपी बटेश्वर से ग्वालियर आये । वे जय विलास पैलेस के नजदीक शिंदे की छावनी में पले- बढ़े । सिंधिया परिवार से उनका सदैव आत्मीय संबंध रहा । कहा जाता है 1991 में जब सरदार आंग्रे माधव राव सिंधिया को गिरफ्तार करवाने पर आमादा थे तब यह बात अटल जी के कानों तक पहुंची । उन्होंने सीधे मुख्यमंत्री सुंदर लाल पटवा को फोन लगाया और फटकारा कि ये क्या हो रहा है । पटवा जी ने तत्काल अमल किया ।
अटल जी 1984 मे ग्वालियर से सिंधिया के खिलाफ चुनाव हार गए लेकिन पारिवारिक रिश्ता वैसा ही रहा । जब सिंधिया की मौत हुई तब अटल जी प्रधानमंत्री थे तो पूरी केबिनेट लेकर ग्वालियर आये और अंत्येष्ठि में शरीक हुए ।
रिश्ता ताउम्र बरकरार रहा । जब अटल जी की अंतिम यात्रा शुरू हुई उससे पहले ही पूरा सिंधिया परिवार अटल जी की पार्थिव देह पर माथा टेकने पहुंचा । माधव राव की बहने वसुंधरा राजे और यशोधरा राजे श्रद्धांजलि देने पहुंची और ज्योतिरादित्य सिंधिया तो साष्टांग दंडवत की मुद्रा में देश के जन नायक को नमन करते दिखे ।
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