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Showing posts from May, 2020

इंसान हो , तो सबूत दो------------------------जानते हैं..! -- जब " टाईटेनिक " समुन्द्र मे डूब रहा था तो उसके आसपास तीन ऐसे जहाज़ मौजूद थे जो टाईटेनिक के मुसाफिरों को बचा सकते थे Iसबसे करीब जो जहाज़ मौजूद था। उसका नाम " SAMSON " था और वो हादसे के वक्त टाईटेनिक से सिर्फ सात मील की दूरी पर था Iसैमसन के कैप्टन ने न सिर्फ टाईटेनिक कि ओर से फायर किए गए सफेद शोले ( जो कि इन्तेहाई खतरे की हालत मे हवा मे फायर किया जाता है) देखे थे, बल्कि टाईटेनिक के मुसाफिरों के चिल्लाने के आवाज़ को भी सुना भी था I लेकिन सैमसन के लोग गैरकानूनी तौर पर बहुत कीमती समुन्द्री जीव का शिकार कर रहे थे और नहीं चाहते थे कि पकड़े जाएं लिहाजा वो टाईटेनिक की हालात को देखते हुए भी मदद न करके अपनी जहाज़ को दूसरी तरफ़ मोड़ कर चले गए..." ये जहाज़ हममें से उन लोगों की तरह है जो अपनी गुनाहों भरी जिन्दगी में इतने मग़न हो जाते हैं कि उनके अंदर से इन्सानियत का एहसास खत्म हो जाता है और फिर वो सारी जिन्दगी अपने गुनाहों को छिपाते गुजार देते हैं Iदूसरा जहाज़ जो करीब मौजूद था । उसका नाम " CALIFORNIAN " था, जो हादसे के वक्त टाईटेनिक से चौदह मील दूर था। उस जहाज़ के कैप्टन ने भी टाईटेनिक की तरफ़ से मदद की पुकार को सुना.. और बाहर निकल कर सफेद शोले अपनी आंखों से देखा लेकिन क्योंकि टाईटेनिक उस वक्त बर्फ़ की चट्टानों से घिरा हुआ था Iऔर उसे उस चट्टानों के चक्कर काट कर जाना पड़ता इसलिए वो कैप्टन मदद को ना जा कर अपने बिस्तर में चला गया और सुबह होने का इन्तेजार करने लगा I जब सुबह वो टाईटेनिक के लोकेशन पर पहुंचा तो टाईटेनिक को समुन्द्र कि तह मे पहुचे हुए चार घंटे गुज़र चुके थे और टाईटेनिक के कैप्टन Adword_Smith समेत 1569 मुसाफिर डूब चुके थे I" ये जहाज़ हमलोगों मे से उनकी तरह है जो किसी की मदद करने अपनी सहूलियत और आसानी देखते हैं और अगर हालात सही ना हो तो किसी की मदद करना अपना फ़र्ज़ भूल जाते हैं I "तीसरा जहाज़ " CARPHATHIYA" था, जो टाईटेनिक से 68 मील दूर था, उस जहाज़ के कैप्टन ने रेडियो पर टाईटेनिक के मुसाफिरों की चीख-पुकार सुनी..जबकि उसका जहाज़ दूसरी तरफ़ जा रहा था, उसने फौरन अपने जहाज़ का रुख मोडा और बर्फ़ की चट्टानों और खतरनाक़ मौसम की परवाह किए बगैर, मदद के लिए रवाना हो गया Iअगर वो दूर होने की वजह से टाईटेनिक के डूबने के दो घंटे बाद लोकेशन पर पहुंच सका लेकिन यही वो जहाज़ था। जिसने लाईफ बोट्स की मदद से टाईटेनिक के बाकी 710 मुसाफिरो को जिन्दा बचाया था और उसे हिफाज़त के साथ न्यूयार्क पहुंचा दिया था Iउस जहाज़ के कैप्टन " आर्थो_रोसट्रन " को ब्रिटेन की तारीख के चंद बहादुर कैप्टनों में शुमार किया जाता है और उनको कई सामाजिक और सरकारी वार्ड से भी नवाजा गया था Iयाद रखिए!----- हमारी ज़िन्दगी में हमेशा मुश्किलात रहती है, चैलेंज रहते हैं लेकिन जो इस मुश्किलात और चैलेंज का सामना करते हुए भी इन्सानियत की भलाई के लिए कुछ कर जाए,उन्हें ही इन्सान और इंसानियत सदैव याद करती है I 🙏🙏🙏

इंसान हो , तो सबूत दो ------------------------ जानते हैं..! -- जब " टाईटेनिक "  समुन्द्र मे डूब रहा था तो उसके आसपास तीन ऐसे जहाज़ मौजूद थे जो टाईटेनिक के मुसाफिरों को बचा सकते थे I सबसे करीब जो जहाज़ मौजूद था। उसका नाम " SAMSON " था और वो हादसे के वक्त टाईटेनिक से सिर्फ सात मील की दूरी पर था I सैमसन के कैप्टन ने न सिर्फ टाईटेनिक कि ओर से फायर किए गए सफेद शोले ( जो कि इन्तेहाई खतरे की हालत मे हवा मे फायर किया जाता है) देखे थे, बल्कि टाईटेनिक के मुसाफिरों के चिल्लाने के आवाज़ को भी सुना भी था I  लेकिन सैमसन के लोग गैरकानूनी तौर पर बहुत कीमती समुन्द्री जीव का शिकार कर रहे थे और नहीं चाहते थे कि पकड़े जाएं लिहाजा वो टाईटेनिक की हालात को देखते हुए भी मदद न करके अपनी जहाज़ को दूसरी तरफ़ मोड़ कर चले गए... " ये जहाज़ हममें से उन लोगों की तरह है जो अपनी गुनाहों भरी जिन्दगी में इतने मग़न हो जाते हैं कि उनके अंदर से इन्सानियत का एहसास खत्म हो जाता है और फिर वो सारी जिन्दगी अपने गुनाहों को छिपाते गुजार देते हैं I दूसरा जहाज़ जो करीब मौजूद था । उसका नाम " CALIFORNIAN ...

अपनी कविताओं में प्रकृति की सुवास को चहुंओर बिखेरने वाले चितेरे कवि सुमित्रानंदन पंत का आज जन्म दिन है । विश्व व्यापी सँकट Covid-19 कोरोनावाइरस के चलते देश के भीतर लॉक डाउन का चौथा चरण चल रहा है इस चौथे चरण के आने तक सोशल डिस्टेन्सिंग का पालन करते हुए कही न कही बहुत सारी परेशानी का सामना हम सब कर रहे हैं । पर अपने चारो तरहफ के वातावरण मे एक सुंदर परिवर्तन भी महसूस कर रहे है, वह परिवर्तन है हमारी प्रकृति मे नित हो रहे निखार का परिवर्तन । आज कल सुबह जब हम सब जग रहे है चिडियो का मधुर कलरव, पेड - पौधो का हरियाली लिएमुस्कुरा कर मिलना, बिना कुछ बोलेे ही फूलो का खिलखिला कर हमसे कुछ अबुझ सा बोल पडना यह सब देखते - सुनते - महसूस करते हुए आज मन ने कहा आओ लेखक द्वय चलो अपनी कलम से : पहाड एवम प्रकृति के सुकुमार बेटे, सदाबहार - कुशल चितेरे कवि, सुमित्रानंदन पंत जी को उनके जन्मदिन पर प्रकृति के साथ उनके मनोरम रिश्ते एवम विविध रूपों सहित याद करो यथा : अल्मोड़ा (उत्तर प्रदेश) के कौसानी गांव में 20 मई, 1900 को हुआ था। जन्म के कुछ समय बाद ही मां का निधन होने से उन्होंने प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण अपने गांव की प्रकृति को ही अपनी मां मान लिया। बाल्यकाल से ही अल्मोड़ा में हारमोनियम और तबले की धुन पर गीत गाने के साथ ही उन्होंने सात वर्ष की अल्पायु में अपनी सृजनशीलता व रचनाधर्मिता का परिचय देते हुए काव्य सृजन करना शुरू कर दिया। नन्हीं उम्र में नेपोलियन की तस्वीर को देखकर उनकी तरह अपने बालों को ताउम्र बड़े रखने का निर्णय लेने के साथ ही उन्होंने अपने नाम गुसाई दत्त को बदलकर सुमित्रानंदन पंत रख लिया। अपने नम्र व मधुर स्वभाव, गौरे वर्ण, आंखों पर काला चश्मा और लंबे रेशमी घुंघराले बाल एवं शारीरिक सौष्ठव के कारण वे हमेशा कवियों के मध्य आकर्षण का केंद्र रहें। पंत को बचपन से ही ईश्वर में अटूट आस्था थीं। वे घंटों घंटों तक ईश्वर के ध्यान में मग्न रहते थे। अपने काव्य सृजन को भी ईश्वर पर आश्रित मानकर कहते थे- 'क्या कोई सोचकर लिख सकता है भला, उसे जब लिखवाना होगा, वो लिखवाएगा।' उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा अल्मोड़ा से लेने के बाद अपने बड़े भाई देवीदत्त के साथ आगे की शिक्षा के लिए काशी आकर क्वींस कॉलेज में दाखिला लिया और अपनी कविताओं से सबके चहेते बन गए। पंत 25 वर्ष तक केवल स्त्री पर ही कविता लिखते रहें। वह नारी स्वतंत्रता के कटु पक्षधर थे। उनका कहना था कि 'भारतीय सभ्यता और संस्कृति का पूर्ण उदय तभी संभव है, जब नारी स्वतंत्र वातावरण में जी रही हो।' वे स्वयं कहते है : 'मुक्त करो नारी को मानव, चिर वन्दिनी नारी को। युग-युग की निर्मम कारा से, जननी सखि प्यारी को।' उन्हें आर्थिक तंगहाली से भी गुजरना पड़ा। स्थिति इतनी विकट हुई कि उन्हें अल्मोड़ा की जमीन जायदाद बेचने के साथ कर्ज चुकाने के लिए अपना पुश्तैनी घर भी बेचना पड़ा। इसी दरमियान अपने भाई और बहन के आकस्मिक निधन के आघात से उनके पिता भी चल बसे। 28 वर्ष की उम्र में इतने आघात सहने के बाद पंत विरक्ति की भावना में डूब गए। लेकिन, जल्द ही 1931 में कालाकांकर जाकर अपने मकान नक्षत्र में कई कालजयी कृतियों की रचना की। पंत ताउम्र अविवाहित रहें। उनकी शादी में उनकी आर्थिक स्थिति बाधक रही। सच्चाई यह है कि पंत ने प्रकृति सौन्दर्य मे डूबकर ईश्वर को पाने के सिवाए कभी व्यक्तिगत सुख की कोई चाह नहीं रखी। जिनका मन प्रकृति और ईश्वरीय आराधना में रम गया हो, वे आखिर किसी सुंदरी के भ्रम जाल में कैसे फंस सकते हैं। बकौल कवि पंत : 'छोड़ द्रुमों की मृदु छाया, तोड़ प्रकृति से भी माया, बाले ! तेरे बाल-जाल मेंकैसे उलझा दूं लोचन?' इसके बावजूद भी पंत के काव्य में नारी के विविध रूपों मां, पत्नी, सखी, प्रिया आदि सम्मान पाते हुए मिलते हैं। सन 1955 से 1962 तक वे प्रयाग स्थित आकाशवाणी स्टेशन में मुख्य कार्यक्रम निर्माता तथा परामर्श दाता रहे और भारत में जब टेलीविजन के प्रसारण प्रारंभ हुए, तो उसका भारतीय नामकरण 'दूरदर्शन' उन्होंने ही किया । पंत के कृतित्व की बात करें तो उन्होंने चींटी, सेम, पल्लव जैसे विषयों पर कविता लिखकर घोषणा की कि हिंदी काव्य अब तुतलाना छोड़ चुका है। ब्रज भाषा के सौंदर्य में नहाती, कान्हा के विरह अग्नि में जलती गोपियों के बाद हिन्दी काव्य कालिदास के प्रकृति से जुड़े जिन उपमानों को भूल गया था, पंत उन्हें वापस लेकर आए। पंत ने भले ही अपने काव्य में सार्वधिक प्रकृति के सुकोमल पक्ष की प्रबलता की हो, लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि उन्होंने नारी चेतना और उसके सामाजिक पक्ष के साथ ही ग्राम्य जीवन की विसंगतियों को भी उजागार किया है। भाषा के समृद्ध और सशक्त हस्ताक्षर व संवेदना एवं अनुभूति के कवि सुमित्रानंदन पंत ने चिदंबरा, उच्छवास, वीणा, गुंजन, लोकायतन समेत अनेक काव्य कृतियों की रचना की हैं। गुंजन को तो वे अपनी आत्मा का गुंजन मानते हैं। पंत की प्रारंभिक कविताएं 'वीणा' में संकलित हैं। उच्छवास तथा पल्लव उनकी छायावादी कविताओं का संग्रह है। ग्रंथी, ग्राम्या, युगांत, स्वर्ण किरण, स्वर्ण धूलि, कला और बूढ़ा चांद, सत्यकाम आदि उनकी अन्य प्रमुख कृतियां हैं। उन्होंने गेय और अगेय दोनों में अपनी लेखन कला का लौहा मनवाया है। साहित्य में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए उन्हें पद्मभूषण, ज्ञानपीठ, सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार से विभूषित किया गया । 'वियोगी होगा पहला कवि, आह से उपजा होगा गान। निकलकर आंखों से चुपचाप, बही होगी कविता अनजान..।' सर्वथा अनूठे और विशिष्ट कवि सुमित्रानंदन पंत जी केे जन्मदिन पर भावनाओ से भरी पंत जी की ही उपरोक्त पंक्तियो से लेखक द्वय का विनम्र प्रणाम । चूँकी पंत जी की रचना धर्मिता मे प्रकृति के सुकोमल पक्ष की प्रबलता रही है अत: आज हम सभी के द्वारा प्रकृति संरक्षण का संकल्प लेना ही सही मायने मे उन्हे याद करने की सार्थक पहल होगी ।कलम से : लेखक विभांशु जोशीभारद्वाज अर्चिता २०/०५/२०२०

अपनी कविताओं में प्रकृति की सुवास को चहुंओर बिखेरने वाले चितेरे कवि सुमित्रानंदन पंत का आज जन्म दिन है । विश्व व्यापी सँकट Covid-19 कोरोनावाइरस के चलते देश के भीतर लॉक डाउन का चौथा चरण चल रहा है इस चौथे चरण के आने तक सोशल डिस्टेन्सिंग का पालन करते हुए कही न कही बहुत सारी परेशानी का सामना हम सब कर रहे हैं । पर अपने चारो तरहफ के वातावरण मे एक सुंदर परिवर्तन भी महसूस कर रहे है, वह परिवर्तन है हमारी प्रकृति मे नित हो रहे निखार का परिवर्तन । आज कल सुबह जब हम सब जग रहे है चिडियो का मधुर कलरव, पेड - पौधो का हरियाली लिए मुस्कुरा कर मिलना, बिना कुछ बोलेे ही फूलो का खिलखिला कर हमसे कुछ अबुझ सा बोल पडना यह सब देखते - सुनते - महसूस करते हुए आज मन ने कहा आओ लेखक द्वय चलो अपनी कलम से : पहाड एवम प्रकृति के सुकुमार बेटे, सदाबहार - कुशल चितेरे कवि, सुमित्रानंदन पंत जी को उनके जन्मदिन पर प्रकृति के साथ उनके मनोरम रिश्ते एवम विविध रूपों सहित याद करो यथा :  अल्मोड़ा (उत्तर प्रदेश) के कौसानी गांव में 20 मई, 1900 को हुआ था। जन्म के कुछ समय बाद ही मां का निधन होने से उन्होंने प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण...

हरिभूमिEPaperLIVE TVख़बरेंराज्यखेलमनोरंजनहैरतअंगेज़लाइफस्टाइलकॅरि‍यरधर्म अध्यात्मऑटो गैजेटविश्लेषणजोक्सHome > लाइफस्टाइल > रिलेशनशिप > इंटरनेशनल फैमिली डे 2019...इंटरनेशनल फैमिली डे 2019 : कब हुई 'अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस' मनाने की शुरुआत और जानें इसको मनाने की वजहInternational Family Day 2019: 15 मई 2019 (15 May 2019) को इंटरनेशनल फैमिली डे यानि अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस (International Family Day)बड़ी ही धूमधाम से पूरी दुनिया में मनाया जाएगा। परिवार को आज भी समाज की एक मूल ईकाई माना जाता है। हर साल मई के महीने मनाए जाने वाले अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस को संयुक्त परिवार के महत्व और जीवन में परिवार की जरुरत को के प्रति युवाओं में जागरूकता फैलाने के लिए सेलिब्रेट किया जाता है। इसलिए आज हम आपको इंटरनेशनल फैमिली डे यानि अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस (International Family Day) को मनाने की वजह और इतिहास के बारे में बता रहे हैं।By - JyotsnaaUpdate: 2019-05-13 18:30 GMTइंटरनेशनल फैमिली डे 2019 : कब हुई अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस मनाने की शुरुआत और जानें इसको मनाने की वजहAddThis Website ToolsInternational Family Day 2019: 15 मई 2019 (15 May 2019) को इंटरनेशनल फैमिली डे यानि अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस (International Family Day)बड़ी ही धूमधाम से पूरी दुनिया में मनाया जाएगा। परिवार को आज भी समाज की एक मूल ईकाई माना जाता है। हर साल मई के महीने मनाए जाने वाले अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस को संयुक्त परिवार के महत्व और जीवन में परिवार की जरुरत को के प्रति युवाओं में जागरूकता फैलाने के लिए सेलिब्रेट किया जाता है। इसलिए आज हम आपको इंटरनेशनल फैमिली डे यानि अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस (International Family Day) को मनाने की वजह और इतिहास के बारे में बता रहे हैं।इंटरनेशनल फैमिली डे मनाना कब शुरू हुआ :हर साल 15 मई (15 May) को दुनिया भर में अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस (International Family Day) मनाया जाता है। इसकी शुरुआत 1993 में संयुक्त राष्ट्र महासभा की वैश्विक समुदाय परिवारों को जोड़ने वाली पहल के रूप में और परिवारों से संबंधित मुद्दों के बारे में जागरूकता फैलाने, परिवारों को प्रभावित करने वाले आर्थिक, जनसांख्यिकीय और सामाजिक प्रक्रियाओं के बारे में जानकारी देने के लिए की गई थी।साल 1996 में सबसे पहले इंटरनेशनल फैमिली डे यानि अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस (International Family Day) मनाया गया था। तब विश्व परिवार दिवस की थीम थी "परिवार: गरीबी और बेघरता के पहले पीड़ित" था। जबकि इस बार इंटरनेशनल फैमिली डे यानि अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस की थीम 'परिवार और जलवायु संबंध' रखी गई है।वर्ष 1996 के बाद से संयुक्त राष्ट्र के महासचिव ने एक विशेष आदर्श वाक्य पर ध्यान देने के लिए प्रत्येक वर्ष अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस के जश्न के लिए एक थीम को निर्दिष्ट किया है। अधिकांश थीम बच्चों की शिक्षा, गरीबी, पारिवारिक संतुलन और सामाजिक मुद्दों को दुनिया भर के परिवारों की भलाई के बारे में जागरूकता फैलाने में मदद करती है।इंटरनेशनल फैमिली डे को मनाने की वजह :आधुनिक समाज में परिवारों का विघटन, इंटरनेशनल फैमिली डे का मनाने का प्रमुख कारण हैं यानि जीवन में संयुक्त परिवार की अहमियत बताना है। संयुक्त परिवार से जीवन में होने वाली उन्नति के साथ, एकल परिवारों और अकेलेपन के नुकसान के प्रति युवाओं को जागरूक करना भी विश्व परिवार दिवस का मूल उद्देश्य है। जिससे युवा अपनी बुरी आदतों (धूम्रपान, जुआ) को छोड़कर एक सफल जीवन की शुरुआत कर सकें।इंटरनेशनल फैमिली डे का प्रतीक चिन्ह : विश्व परिवार दिवस के प्रतीक चिन्ह की बात करें तो यह एक हरे रंग का एक गोल घेरा है जिसके अंदर एक घर बना हुआ है जिसमें एक दिल बना हुआ है जो समाज का केंद्र यानि परिवार को दर्शाता है यानि परिवार के बिना समाज अधूरा है। Tags: InternationalFamilyDay2019 RelationshipTips LoveTips Similar NewsLockdown 4: लॉकडाउन में पति - पत्नी ऐसे बढ़ाएं प्यार, ये हैं असरदार टिप्सLockdown 4: लॉकडाउन में पति - पत्नी ऐसे बढ़ाएं प्यार, ये हैं असरदार टिप्स2020-05-14 05:19 GMTजानें, ऐसे कौन से हैं वो काम जिसे हर लड़की करती है ब्रेकअप के बादजानें, ऐसे कौन से हैं वो काम जिसे हर लड़की करती है ब्रेकअप के बाद2020-05-13 01:53 GMTGirlfriend- Boyfriend: गर्लफ्रेंड के कौन से हैं वो झूठ, जिसे हर बॉयफ्रेंड मानता है सचGirlfriend-Boyfriend : गर्लफ्रेंड के कौन से हैं वो झूठ, जिसे हर बॉयफ्रेंड मानता है सच2020-05-12 04:52 GMTEx Boyfriend से लेना है बदला तो अपनाएं दीपिका पादुकोण के टिप्सEx Boyfriend से लेना है बदला तो अपनाएं दीपिका पादुकोण के टिप्स2020-05-08 13:44 GMTMothers Day 2020: हर लड़की को शादी के बाद मां की ये बातें आती हैं बहुत यादMother's Day 2020: हर लड़की को शादी के बाद मां की ये बातें आती हैं बहुत याद2020-05-07 10:41 GMTMothers Day 2020: इस खास मौके पर शेयर करें ये शानदार Mothers Day Whatsapp ImageMother's Day 2020: इस खास मौके पर शेयर करें ये शानदार Mother's Day Whatsapp Image2020-05-06 10:42 GMTMothers Day 2020: मां को इन शानदार Mothers Day Whatsapp Status से करें विशMother's Day 2020: मां को इन शानदार Mother's Day Whatsapp Status से करें विश2020-05-06 09:51 GMTलड़कों की ये आदतें जो कभी नहीं बदलती, रिश्ते टूटने की बनती है वजहलड़कों की ये आदतें जो कभी नहीं बदलती, रिश्ते टूटने की बनती है वजह2020-05-04 14:08 GMTFollow: Copyright © 2020.Powered by HocalwireAddThis Website Tools

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