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इंटरनेशनल फैमिली डे 2019 : कब हुई 'अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस' मनाने की शुरुआत और जानें इसको मनाने की वजह

International Family Day 2019: 15 मई 2019 (15 May 2019) को इंटरनेशनल फैमिली डे यानि अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस (International Family Day)बड़ी ही धूमधाम से पूरी दुनिया में मनाया जाएगा। परिवार को आज भी समाज की एक मूल ईकाई माना जाता है। हर साल मई के महीने मनाए जाने वाले अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस को संयुक्त परिवार के महत्व और जीवन में परिवार की जरुरत को के प्रति युवाओं में जागरूकता फैलाने के लिए सेलिब्रेट किया जाता है। इसलिए आज हम आपको इंटरनेशनल फैमिली डे यानि अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस (International Family Day) को मनाने की वजह और इतिहास के बारे में बता रहे हैं।

By - Jyotsnaa
Update: 2019-05-13 18:30 GMT
इंटरनेशनल फैमिली डे 2019 :  कब हुई अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस मनाने की शुरुआत और जानें इसको मनाने की वजह
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International Family Day 2019: 15 मई 2019 (15 May 2019) को इंटरनेशनल फैमिली डे यानि अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस (International Family Day)बड़ी ही धूमधाम से पूरी दुनिया में मनाया जाएगा। परिवार को आज भी समाज की एक मूल ईकाई माना जाता है। हर साल मई के महीने मनाए जाने वाले अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस को संयुक्त परिवार के महत्व और जीवन में परिवार की जरुरत को के प्रति युवाओं में जागरूकता फैलाने के लिए सेलिब्रेट किया जाता है। इसलिए आज हम आपको इंटरनेशनल फैमिली डे यानि अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस (International Family Day) को मनाने की वजह और इतिहास के बारे में बता रहे हैं।

इंटरनेशनल फैमिली डे मनाना कब शुरू हुआ :

हर साल 15 मई (15 May) को दुनिया भर में अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस (International Family Day) मनाया जाता है। इसकी शुरुआत 1993 में संयुक्त राष्ट्र महासभा की वैश्विक समुदाय परिवारों को जोड़ने वाली पहल के रूप में और परिवारों से संबंधित मुद्दों के बारे में जागरूकता फैलाने, परिवारों को प्रभावित करने वाले आर्थिक, जनसांख्यिकीय और सामाजिक प्रक्रियाओं के बारे में जानकारी देने के लिए की गई थी।

साल 1996 में सबसे पहले इंटरनेशनल फैमिली डे यानि अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस (International Family Day) मनाया गया था। तब विश्व परिवार दिवस की थीम थी "परिवार: गरीबी और बेघरता के पहले पीड़ित" था। जबकि इस बार इंटरनेशनल फैमिली डे यानि अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस की थीम 'परिवार और जलवायु संबंध' रखी गई है।

वर्ष 1996 के बाद से संयुक्त राष्ट्र के महासचिव ने एक विशेष आदर्श वाक्य पर ध्यान देने के लिए प्रत्येक वर्ष अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस के जश्न के लिए एक थीम को निर्दिष्ट किया है। अधिकांश थीम बच्चों की शिक्षा, गरीबी, पारिवारिक संतुलन और सामाजिक मुद्दों को दुनिया भर के परिवारों की भलाई के बारे में जागरूकता फैलाने में मदद करती है।

इंटरनेशनल फैमिली डे को मनाने की वजह :

आधुनिक समाज में परिवारों का विघटन, इंटरनेशनल फैमिली डे का मनाने का प्रमुख कारण हैं यानि जीवन में संयुक्त परिवार की अहमियत बताना है। संयुक्त परिवार से जीवन में होने वाली उन्नति के साथ, एकल परिवारों और अकेलेपन के नुकसान के प्रति युवाओं को जागरूक करना भी विश्व परिवार दिवस का मूल उद्देश्य है। जिससे युवा अपनी बुरी आदतों (धूम्रपान, जुआ) को छोड़कर एक सफल जीवन की शुरुआत कर सकें।

इंटरनेशनल फैमिली डे का प्रतीक चिन्ह : 

विश्व परिवार दिवस के प्रतीक चिन्ह की बात करें तो यह एक हरे रंग का एक गोल घेरा है जिसके अंदर एक घर बना हुआ है जिसमें एक दिल बना हुआ है जो समाज का केंद्र यानि परिवार को दर्शाता है यानि परिवार के बिना समाज अधूरा है।

 
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“ सब धरती कागद करूँ , लेखनी सब बनराय । सात समुद्र की मसि करूँ , गुरु गुण लिखा न जाय ।” भावार्थ :- यदि सारी धरती को कागज़ मान लिया जाए , सारे जंगल - वनों की लकड़ी की कलम बना ली जाए तथा सातों समुद्र स्याही हो जाएँ तो भी हमारे द्वारा कभी हमारे गुरु के गुण नहीं लिखे जा सकते है ।हमारे जीवन मे हमारे गुरु की महिमा सदैव अनंत होती है अर्ची, गुरु का ज्ञान हमारे लिए सदैव असीम और अनमोल होता है । इस जगत मे बहुत कम ऐसे गुरू हुए है जिनको उनकी अपनी सफलता के साथ साथ ही उनके अपने शिष्य की सफलता से पहचान मिली हो ऐसे ही भाग्यशाली गुरू रहे है “रमाकान्त आचरेकर” जिन्हे पूरी दुनिया सचिन तेंदुलकर के क्रिकेट कोच “ क्रिकेट गुरू ” के रूप मे जानती है और इसी रूप मे ही सदैव याद भी रखना चाहती है ! ईश्वर के साम्राज्य मे पहुँचने पर आज गुरू आचरेकर का स्वागत नाराण ने निश्चित तौर पर यही कह कर किया होगा “ क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर के गुरू रमाकान्त आचरेकर जी आईए आपका स्वागत है !!” दिवंगत आचरेकर जी को मेरी विनम्र श्रद्धांजलि !! ================================ Bhardwaj@rchita 03/01/2019

माँ सीता के द्वारा माँ पार्वती स्तुति अयोध्याकाण्ड जय जय गिरिबरराज किसोरी। जय महेस मुख चंद चकोरी।। जय गजबदन षडानन माता। जगत जननि दामिनि दुति गाता।। नहिं तव आदि मध्य अवसाना। अमित प्रभाउ बेदु नहिं जाना।। भव भव विभव पराभव कारिनि। बिस्व बिमोहनि स्वबस बिहारिनि।। [दोहा] पतिदेवता सुतीय महुँ, मातु प्रथम तव रेख। महिमा अमित न सकहिं कहि, सहस सारदा सेष।।235।। सेवत तोहि सुलभ फल चारी। बरदायिनी पुरारि पिआरी।। देबि पूजि पद कमल तुम्हारे। सुर नर मुनि सब होहिं सुखारे।। मोर मनोरथु जानहु नीकें। बसहु सदा उर पुर सबहिं कें।। कीन्हेउँ प्रगट न कारन तेहीं। अस कहि चरन गहे बैदेहीं।। बिनय प्रेम बस भई भवानी। खसी माल मूरति मुसुकानी।। सादर सियँ प्रसादु सिर धरेऊ। बोली गौरि हरषु हियँ भरेऊ।। सुनु सिय सत्य असीस हमारी। पूजिहि मन कामना तुम्हारी।। नारद बचन सदा सुचि साचा। सो बरु मिलिहि जाहिं मनु राचा।। [छंद] मनु जाहिं राचेउ मिलिहि सो बरु, सहज सुंदर साँवरो। करुना निधान सुजान सीलु, सनेहु जानत रावरो।। एहि भाँति गौरि असीस सुनि सिय, सहित हियँ हरषीं अली। तुलसी भवानिहि पूजि पुनि पुनि, मुदित मन मंदिर चली।। [सोरठा] जानि गौरि अनुकूल सिय, हिय हरषु न जाइ कहि। मंजुल मंगल मूल, बाम अंग फरकन लगे।।

जुग जुग जियसु ललनवा, भवनवा के भाग जागल हो ललना लाल होइहे, कुलवा के दीपक मनवा में आस लागल हो॥ आज के दिनवा सुहावन, रतिया लुभावन हो, ललना दिदिया के होरिला जनमले, होरिलवा बडा सुन्दर हो॥ नकिया त हवे जैसे बाबुजी के,अंखिया ह माई के हो ललन मुहवा ह चनवा सुरुजवा त सगरो अन्जोर भइले हो॥ सासु सुहागिन बड भागिन, अन धन लुटावेली हो ललना दुअरा पे बाजेला बधइया, अन्गनवा उठे सोहर हो॥ नाची नाची गावेली बहिनिया, ललन के खेलावेली हो ललना हंसी हंसी टिहुकी चलावेली, रस बरसावेली हो॥ जुग जुग जियसु ललनवा, भवनवा के भाग जागल हो ललना लाल होइहे, कुलवा के दीपक मनवा में आस लागल हो॥