दीपक

mymandir धार्मिक सोशल नेटवर्क ज्योतिष गुरु पंडित मनोज शुक्ला Aug 25, 2019 👉ये 15 तरह के दीपक आपके हर तरह के कष्टों को दूर कर देंगे दीपावली पर अकसर चारों ओर दीपक जलाए जाते हैं, हालांकि सभी घरों में दीपावली के अलावा प्रतिदिन पूजाघर में दीपक जलाए जाने का प्रचलन है। दीपक जलाना बहुत ही शुभ होता है। कहते हैं कि इसको जलाने के कई तरह के कष्ट दूर होते हैं। आओ जानते हैं दीपक के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां। दीपक कई प्रकार के होते हैं, जैसे चांदी के दीपक, मिट्टी के दीपक, लोहे के दीपक, ताम्बे के दीपक, पीतल की धातु से बने हुए दीपक तथा आटे से बनाए हुए दीपक। दीपावली पर मिट्टी के दीपक ही जलाने का महत्व है। मिट्टी के दीपक अधिक शुभ होते हैं। आओ जानते हैं कि कौन-सा दीप किस हेतु जलाया जाता है? 1. आटे का दीपक किसी भी प्रकार की साधना या सिद्धि हेतु आटे का दीपक बनाते हैं और इसे ही पूजा करने के लिए सबसे उत्तम मानते हैं। 2. घी का दीपक आर्थिक तंगी से मुक्ति पाने के लिए रोजाना घर के देवालय में शुद्ध घी का दीपक जलाना चाहिए। इससे देवी-देवता भी प्रसन्न होते हैं। आश्रम तथा देवालय में अखंड ज्योत जलाने के लिए भी शुद्ध गाय के घी का या तिल के तेल का उपयोग किया जाता है। 3. सरसों के तेल का दीपक शत्रुओं से बचने के लिए भैरवजी के यहां सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए। सूर्यदेव को प्रसन्न करने के लिए भी सरसों का दीपक जलाते हैं। 4. तिल के तेल का दीपक शनि ग्रह की आपदा से मुक्ति हेतु तिल के तेल का दीपक जलाना चाहिए। इससे देवी-देवता भी प्रसन्न होते हैं। 5. महूए के तेल का दीपक पति की लंबी आयु की मनोकामना को पूर्ण करने के लिए घर के मंदिर में महुए के तेल का दीपक जलाना चाहिए। 6. अलसी के तेल का दीपक राहु और केतु ग्रहों की दशा को शांत करने के लिए अलसी के तेल का दीपक जलाना चाहिए। 7. चमेली के तेल से भरा तिकोना दीपक संकटहरण हनुमानजी की पूजा करने के लिए तथा उनकी कृपा आप पर सदैव बनी रहे, इसके लिए तीन कोनों वाला दीपक जलाना चाहिए। 8. तीन बत्तियों वाला घी का दीपक गणेश भगवान की कृपा पाने के लिए रोजाना तीन बत्तियों वाला घी का दीपक जलाना चाहिए। 9. चार मुख वाला सरसों के तेल का दीपक भैरव देवता को प्रसन्न करने के लिए चार मुख वाला सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए। इस उपाय को करने से व्यक्ति के जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। 10. पांच मुखी दीपक किसी केस या मुकदमे को जीतने के लिए भगवान के आगे पांच मुखी दीपक जलाना चाहिए। इससे कार्तिकेय भगवान प्रसन्न होते हैं। 11. सात मुखी दीपक माता लक्ष्मी की कृपा हमेशा घर पर बनी रहे, इसके लिए हमें उनके समक्ष सात मुख वाला दीपक जलाना चाहिए। दीपावली पर यह कार्य अवश्य कीजिए। 12. आठ या बारह मुख वाला दीपक शिव भगवान को प्रसन्न करने के लिए घी या सरसों के तेल का आठ या बारह मुख वाला दीपक जलाना चाहिए। 13. सोलह बत्तियों का दीपक विष्णु भगवान को प्रसन्न करने के लिए इनके समक्ष रोजाना सोलह बत्तियों का दीपक जलाना चाहिए। दशावतार की पूजा हेतु दशमुख वाला दीपक जलाएं। 14. गहरा और गोल दीपक ईष्ट सिद्धि के लिए या ज्ञान प्राप्त करने के लिए एक गहरा और गोल दीपक प्रज्वलित करें। 15. मध्य से ऊपर की ओर उठा हुआ दीपक शत्रुओं से बचने या किसी भी आपत्ति के निवारण के लिए मध्य से ऊपर की ओर उठे हुए दीपक का प्रयोग जलाने के लिए करना चाहिए पूजा पाठ में दीपक का महत्व 〰️〰️🔸〰️🔸〰️🔸〰️〰️ शास्त्रों में लिखा गया है ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’, अर्थात अंधकार से प्रकाश की ओर चलने से ही जीवन में यथार्थ तत्वों की प्राप्ति सम्भव है। अंधकार को अज्ञानता, शत्रु भय, रोग और शोक का प्रतीक माना गया है। देवताओं को दीप समर्पित करते समय भी ‘त्रैलोक्य तिमिरापहम्’ कहा जाता है, अर्थात दीप के समर्पण का उद्देश्य तीनों लोकों में अंधेरे का नाश करना ही है। पौराणिक मान्यता है कि अग्नि के सृष्टि में तीन रूप हैं- अंतरिक्ष में विद्युत, आकाश में सूर्य और पृथ्वी पर अग्नि। संस्कृत  की एक पंक्ति ‘सूर्याशं सभवो दीप:’ अर्थात, दीपक की उत्पत्ति सूर्य के अंश से हुई है। दीपक के प्रकाश को इतना पवित्र माना गया है कि मांगलिक कार्यों से लेकर भगवान की आरती तक इसका प्रयोग अनिवार्य है। हमारे शास्त्रों में यूं भी नौ प्रकार की पूजा-अर्चना का विधान है, जिसके तहत दीप पूजा व दीपदान को श्रेष्ठ माना गया है। प्राचीन काल से ही भारतीय परम्परानुसार किसी भी शुभ कार्य के आरम्भ में दीपक प्रज्ज्वलित किया जाता है। दीपक किसी भी पूजा का महत्त्वपूर्ण अंग है । हमारे मस्तिष्क में सामान्यतया घी अथवा तेल का दीपक जलाने की बात आती है और हम जलाते हैं। जब हम धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भिन्न-भिन्न देवी-देवताओं की साधना अथवा सिद्धि के मार्ग पर चलते हैं तो दीपक का महत्व विशिष्ट हो जाता है। 1👉 दीपक कैसा हो, उसमे कितनी बत्तियां हों , इसका भी एक विशेष महत्त्व है। उसमें जलने वाला तेल व घी किस-किस प्रकार का हो, इसका भी विशेष महत्त्व है। उस देवता की कृपा प्राप्त करने और अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए ये सभी बातें महत्वपूर्ण हैं। 2👉 विधि-विधान से पूजा लेकिन हिन्दू शास्त्रों के अनुसार आज भी पूर्ण विधि-विधान के साथ पूजा करने को महत्व दिया जाता है। पूजा के लिए सही सामग्री, स्पष्ट रूप से मंत्रों का उच्चारण एवं रीति अनुसार पूजा में सदस्यों का बैठना, हर प्रकार से पूजा को विधिपूर्वक बनाने की कोशिश की जाती है। 3👉 कैसे जलाएं दीपक पूजा में ध्यान देने योग्य बातों में से ही एक है दीपक जलाते समय नियमों का पालन करना। पूजा में सबसे अहम है दीपक जलाना। इसके बिना पूजा का आगे बढ़ना कठिन है। पूजा के दौरान और उसके बाद भी कई घंटों तक दीपक जलते रहना शुभ माना जाता है। 4👉  दीपक का महत्व यह दीपक रोशनी प्रदान करता है। रोशनी से संबंधित शास्त्रों में एक पंक्ति उल्लेखनीय है – असतो मा सद्गमय। तमसो मा ज्योतिर्गमया। मृत्योर्मामृतं गमय॥ ॐ शांति शांति शांति (स्रो: बृहदारण्यक उपनिषद् 1.3.28)। 5👉  अंधकार दूर करता है उपरोक्त पंक्ति में दिए गए ‘तमसो मा ज्योतिर्गमया’ का अर्थ है अंधकार से उजाले की ओर प्रस्थान करना। आध्यात्मिक पहलू से दीपक ही मनुष्य को अंधकार के जंजाल से उजाले की किरण की ओर ले जाता है। इस दीपक को जलाने के लिए तिल का तेल या फिर घी का इस्तेमाल किया जाता है। 6👉  दीपक और घी परन्तु शास्त्रों में दीपक जलाने के लिए खासतौर से घी का उपयोग करने को ही तवज्जो दी जाती है। जिसका एक कारण है घी का पवित्रता से संबंध। घी को बनाने के लिए ही गाय के दूध की आवश्यकता होती है। गाय को हिन्दू मान्यताओं के अनुसार उत्तम दर्जा प्राप्त है। 7👉  गाय के दूध से बना घी गाय को मां का स्थान दिया गया है और उसे ‘गौ माता’ कहकर बुलाया जाता है। यही कारण है कि उसके द्वारा दिया गया दूध भी अपने आप ही पवित्रता का स्रोत माना गया है। इसीलिए उससे बना हुई घी भी सबसे पवित्र माना गया है। घी के अलावा तिल का तेल से दीपक जलाया जाता है। कुछ लोगों द्वारा अंधकार दूर करने के लिए मोमबत्ती का इस्तेमाल भी किया जाता है। 8👉 मोमबत्ती का इस्तेमाल वर्जित किन्तु शास्त्रों में मोमबत्ती का इस्तेमाल वर्जित माना गया है। कहते हैं मोमबत्ती एक ऐसी वस्तु है जो केवल आत्माओं को अपने उजाले से निमंत्रण देती है। इसको जलाने से घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। इसीलिए इसके इस्तेमाल से बचना चाहिए मनुष्य को। 9👉  आध्यात्मिक कारण पूजा के समय घी का दीपक उपयोग करने का एक और आध्यात्मिक कारण है। शास्त्रों के अनुसार यह माना गया है कि पूजन में पंचामृत का बहुत महत्व है और घी उन्हीं पंचामृत में से एक माना गया है। इसीलिए घी का दीपक जलाया जाता है। 10👉 अग्नि पुराण में वर्णन अग्नि पुराण में भी दीपक को किस पदार्थ से जलाना चाहिए, इसका उल्लेख किया गया है। इस पुराण के अनुसार, दीपक को केवल घी या फिर तिल का तेल से ही जलाना चाहिए। इसके अलावा किसी भी अन्य पदार्थ का इस्तेमाल करना अशुभ एवं वर्जित माना गया है। 11👉 तेल से अधिक महत्व घी को शास्त्रों में दीपक जलाने के लिए तेल से ज्यादा घी को सात्विक माना गया है। दोनों ही पदार्थों से दीपक को जलाने के बाद वातावरण में सात्विक तरंगों की उत्पत्ति होती है, लेकिन तेल की तुलना में घी वातावरण को पवित्र रखने में ज्यादा सहायक माना गया है। 12👉 घी की पवित्रता इसके अलावा यदि तेल के इस्तेमाल से दीपक जलाया गया है तो वह अपनी पवित्र तरंगों को अपने स्थान से कम से कम एक मीटर तक फैलाने में सफल होता है। किन्तु यदि घी के उपयोग से दीपक जल रहा हो तो उसकी पवित्रता स्वर्ग लोक तक पहुंचने में सक्षम होती है। 13👉 बुझने के बाद भी असरनकहते हैं कि यदि तिल का तेल के उपयोग से दीपक जलाया जाए तो उससे उत्पन्न होने वाली तरंगे दीपक के बुझने के आधे घंटे बाद तक वातावरण को पवित्र बनाए रखती हैं। लेकिन घी वाला दीपक बुझने के बाद भी करीब चार घंटे से भी ज्यादा समय तक अपनी सात्विक ऊर्जा को बनाए रखता है। 14👉  शारीरिक चक्रों से संबंधबदीपक को घी से ही जलाने के पीछे मानवीय शारीरिक चक्रों का भी महत्व है। ऐसा माना जाता है कि मानव शरीर में सात चक्रों का समावेश होता है। यह सात चक्र शरीर में विभिन्न प्रकार की ऊर्जा को उत्पन्न करने का कार्य करते हैं। यह चक्र मनुष्य के तन, मन एवं मस्तिष्क को नियंत्रित करते हैं। 15👉 कौन है अधिक सर्वश्रेष्ठ यदि तिल का तेल से दीपक जलाया जाए तो यह मानव शरीर के मूलाधार एवं स्वाधिष्ठान चक्र को एक सीमा तक पवित्र करने का कार्य करता है। लेकिन यदि दीपक घी के इस्तेमाल से जलाया जाए तो यह पूर्ण रूप से सात चक्रों में से मणिपुर तथा अनाहत चक्र को शुद्ध करता है। 16👉 शारीरिक नाड़ियां इन सात चक्रों के अलावा मनुष्य के शरीर में कुछ ऊर्जा स्रोत भी होते हैं। इन्हें नाड़ी अथवा चैनेल कहा जाता है। इनमें से तीन प्रमुख नाड़ियां है – चंद्र नाड़ी, सूर्य नाड़ी तथा सुषुम्ना नाड़ी। शरीर में चंद्र नाड़ी से ऊर्जा प्राप्त होने पर मनुष्य तन एवं मन की शांति को महसूस करता है। 17👉 सूर्य एवं चंद्र नाड़ी सूर्य नाड़ी उसे ऊर्जा देती है तथा सुषुम्ना नाड़ी से मनुष्य अध्यात्म को हासिल करता है। मान्यता के अनुसार यदि तिल के तेल के उपयोग से दीपक को जलाया जाए तो वह केवल सूर्य नाड़ी को जागृत करता है। लेकिन घी से जलाया हुआ दीपक शरीर की तीनों प्रमुख नाड़ियों को जागृत करता है। 18👉  वैज्ञानिक कारण दीपक जलाने के लिए घी का उपयोग करने के पीछे केवल शास्त्र ही नहीं विज्ञान भी ज़ोर देता है। शास्त्रीय विज्ञान में अहम माने जाने वाले वास्तु शास्त्र विज्ञान के अनुसार घी से प्रज्जवलित किया हुआ दीपक अनेक फायदों से पूरित होता है। ज्योतिष के अनुसार दीपक को सकारात्मकता का प्रतीक व दरिद्रता को दूर करने वाला माना जाता है। 19👉  कुंडली दोष के उपाय जन्म-कुंडली के अनुसार दोषों को दूर करने के लिए अनेक उपायों में से एक होता है घी द्वारा जलाया हुआ दीपक। ऐसी भी मान्यता है कि घर में घी का दीपक जलाने से वास्तुदोष भी दूर होते हैं। क्योंकि यह घर से नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर सकारात्मक ऊर्जा को लाने की काम करता है। 20👉 प्रदूषण को भी कम करता है कहते हैं कि गाय के घी में रोगाणुओं को भगाने की क्षमता होती है। यह घी जब दीपक की सहायता से अग्नि के संपर्क में आता है तो वातावरण को पवित्र बना देता है। इसके जरिये प्रदूषण दूर होता है। इसी तरह के गुण तिल के तेल में भी पाये जाते हैं.,यह भी आक्सीजन की वृद्धि करता है, माना जाता है कि दीपक जलाने से पूरे घर को फायदा मिलता है। चाहे उस घर का कोई व्यक्ति पूजा में सम्मिलित हो या ना हो, उसे भी इस ऊर्जा का लाभ प्राप्त होता है! शास्त्रों में विभिन्न मनोकामनाओं की पूर्ति के लिये दीपक के भिन्न-भिन्न प्रकार और उद्देश्य भी बताए गये हैं- उद्देश्य के अनुसार दीपक अलग-अलग उद्देश्यों की प्राप्ति के लिये विभिन्न तेलों या घी से दीप जलाया जाता है, इसका भी विभिन्न संहिताओं में वर्णन है। देवी-देवताओं के अनुसार दीपक 〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰 वैसे तो शास्त्रों में सामान्य पूजा के लिये पूजन-स्थल में एक-एक बत्ती के दो दीपकों को जलाने का प्रावधान है और सामान्यत: दो दीप और पंच तत्वों का प्रतिनिधित्व करती हुई पांच दीपों की आरती जलाये जाने का प्रावधान शास्त्रों में है, लेकिन कुछ ग्रंथों में विभिन्न देवताओं को भिन्न-भिन्न प्रकार के दीपक अर्पित करने का प्रावधान बताया गया है। दीपक को जलाने के विभिन्न प्रकार तरीके जिससे आपके इष्टदेव खुश होंगे और घर में सुख-समृद्धि का स्थायी वास भी होगा। 👉 भगवान गणेश की कृपा पाने के लिए तीन बत्तियों वाला घी का दीपक जलानें से मनोकामनायें पूर्ण होती है। 👉 यदि आप मां लक्ष्मी की आराधना करते हैं और चाहते हैं कि उनकी कृपा आप पर बरसे तो उसके लिए आपको सातमुखी तिल के तेल का दीपक जलायें। 👉 देवी के हमेशा तिल के तेल ही दिपक जलाना चाहिए, साथ में गाय के घी का भी जलाना चाहिए, दाऐ तरफ घी का और बांऐ तरफ तिल के तेल का दीपक रखना चाहिए! 👉 यदि आपका सूर्य ग्रह कमजोर है तो उसे बलवान करने के लिए, आदित्य ह्रदय स्त्रोत का पाठ करें और साथ में तिल के तेल का दीपक जलायें। 👉 आर्थिक लाभ पाने के लिए आपको नियमित रूप से शुद्ध देशी गाय के घी का दीपक जलाना चाहिए। 👉 शत्रुओं व विरोधियों के दमन हेतु भैरव जी के समक्ष तिल के तेल का दीपक जलाने से लाभ होगा। 👉 शनि की साढ़ेसाती व ढैय्या से पीड़ित लोग शनि मन्दिर में शनि स्त्रोत का पाठ करें और तिल के तेल का दीपक जलायें। 👉 पति की आयु व अरोग्यता के लिए महुये के तेल का दीपक जलाने से अल्पायु योग भी नष्ट हो जाता है। 👉 शिक्षा में सफलता पाने के लिए सरस्वती जी की आराधना करें और दो मुखी घी वाला दीपक जलाने से अनुकूल परिणाम आते हैं। 👉 मां दुर्गा या काली जी प्रसन्नता के लिए एक मुखी दीपक गाय के घी में और एक मुखी तिल के तेल का जलाना चाहिए। 👉 भोले बाबा की कृपा बरसती रहे इसके लिए आठ या बारह मुखी तिल के तेल वाला दीपक जलाना चाहिए। 👉 भगवान विष्णु की प्रसन्नता के लिए सोलह बत्तियों वाला गाय के घी का दीपक जलाना लाभप्रद होता है। 👉 हनुमान जी की प्रसन्नता के लिए तिल के तेल आठ बत्तियों वाला दीपक जलाना अत्यन्त लाभकारी रहता है। 👉 पूजा की थाली या आरती के समय एक साथ कई प्रकार के दीपक जलाये जा सकते हैं। संकल्प लेकर किया गये अनुष्ठान या साधना में अखण्ड ज्योति जलाने का प्रावधान है। 👉 अग्नि पुराण, ब्रम्हवर्तक पुराण, देवी पुराण, उपनिषदों तथा वेदों में गाय के घी तथा तिल के तेल से ही दीपक जलाने का विधान है, अन्य किसी भी प्रकार के तेल से दिपक जलाना निषेध है! 👉 आज कल सरसों के तेल में दिपक जलाने की प्रथा है, लेकिन सरसों  तेल नाम किसी भी पुराण आदि नही है, क्योंकि सरसों बहार से आया हुआ बीज है, यह भारत की संस्कृति से अलग है, इसका प्रारंभ काल, मात्र 85 वर्ष ही है और इस बीज की उत्पत्ति, अग्रेजी शासन काल में ही हुई थी, अतः यह औषधियों एवं धार्मिक कार्यो के लिए उचित नहीं है!! इसके अतिरिक्त आर्थिक लाभ एवं मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए सायंकाल घी के दीपक जलाने का विधान बताया गया है। 👉 शत्रुओं से रक्षा के लिए तथा सूर्य संबंधी कष्टों से मुक्ति के लिये भी सरसों के तेल का दीपक जलाया जाता है। 👉 तिल के तेल का दीपक शनिदेव को प्रसन्न करके न्याय और स्वास्थ्य की प्राप्ति हेतु जलाया जाता है। 👉 महुए के तेल का दीपक सौभाग्य की प्राप्ति के लिये देवों को अर्पित किया जाता है। 👉 राहु व केतु की शांति के लिये अलसी के तेल का दीपक शिव जी को अर्पित करने का प्रावधान है। दीपकों के आकार भी प्रभावित करते हैं 〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰 👉 गोल आकार के गहरे दीपक ज्ञान प्राप्ति और ईश्वर से सामीप्य के लिये श्रेष्ठ हैं। 👉 कम गहराई के दीपक लक्ष्मी प्राप्ति के लिये शुभ हैं। 👉 बीच से उथले दीपक आपदा से मुक्ति के लिये उपयोग में लाये जाते हैं। 👉 तिकोने दीपक वास्तु संबंधी दोषों से मुक्ति के लिये और रोग मुक्ति के लिये प्रयोग में लाये जाते हैं। विभिन्न अवसरों पर दीपक को नदी में प्रवाहित किया जाना और सूर्य को समर्पित किया जाना भले ही हमें अजीब सा लगता हो, पर यह उस आध्यात्मिक उन्नति का सांकेतिक प्रदर्शन है, जिसमें प्रकृति को समय-समय पर धन्यवाद देने और उसके सम्मान को बनाये रखने की मान्यता है। दीपक का प्रकाश भले ही सूर्य जितना न हो, लेकिन मनुष्य को प्रेरणा देता है कि घोर अंधकार में भी वह एक दीपक जैसी छोटी इकाई की तरह अपने जीवन काल में संघर्ष करके आसपास के अज्ञान और अन्याय रूपी अंधकार को दूर कर लोगों को उजाला दे सकता है। अतः साधक अपने विवेक तथा साधना सिद्धि के अनुसार उत्तरदायी है! परोपकार सवाल जवाब +23 प्रतिक्रिया 15 कॉमेंट्स • 36 शेयर शेयर करें शेयर करें कामेंट्स itishri Aug 25, 2019 Radhey Radhey 🙏 Anu Goyal Aug 25, 2019 राधे-राधे पुजारी जी मैं आयुष की मम्मी अनु गोयल हूं Anu Goyal Aug 25, 2019 मैंने आयुष की जन्मपत्री बनवाई थी तो पुजारी जी वह कैसे फोन में से लेनी है आप मेरे को बता दें Jayprakash Pathak Aug 25, 2019 radhe radhe Pandit ji jaysing Rajpoot Aug 25, 2019 शिग्र विवाह के उपाय बताऐ 🙏🙏🙏 jaysing Rajpoot Aug 25, 2019 शिग्र विवाह के उपाय बताऐ 🙏🙏🙏 YOGESHWAR DUTT PAL Aug 25, 2019 vah g vah ज्योतिष गुरु पंडित मनोज शुक्ला Aug 26, 2019 @anugyal pdf file me milegi aapko ज्योतिष गुरु पंडित मनोज शुक्ला Aug 26, 2019 आप सभी का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं ज्योतिष गुरु पंडित मनोज शुक्ला Aug 26, 2019 @jaysingrajpoot , इसके लिए कुंडली विश्लेषण अवश्य करवाएं jetharamvaishnav Aug 26, 2019 radhe.radhe ज्योतिष गुरु पंडित मनोज शुक्ला Aug 26, 2019 @jaysingrajpoot शादी में देरी हो रही है तो कर सकते हैं ये उपाय 1. शीघ्र विवाह के लिए सोमवार को 1200 ग्राम चने की दाल व सवा लीटर कच्चे दूध का दान करें। यह प्रयोग तब तक करते रहना है जब तक कि विवाह न हो जाय| 2. जिन लड़कों का विवाह नहीं हो रहा हो या प्रेम विवाह में विलंब हो रहा हो, उन्हें शीघ्र मनपसंद विवाह के लिए श्रीकृष्ण के इस मंत्र का 108 बार जप करना चाहिए । शीघ्र विवाह के लिए भगवान श्री कृष्ण का मन्त्र “क्लीं कृष्णाय गोविंदाय गोपीजनवल्लभाय स्वाहा।” 3. कन्या जब किसी कन्या के विवाह में जाये और यदि वहाँ पर दुल्हन को मेहँदी लग रही हो तो अविवाहित कन्या कुछ मेहँदी उस दुल्हन के हाथ से लगवा ले इससे विवाह का मार्ग शीघ्र प्रशस्त होता है। 4. विवाह वार्ता के लिए घर आए अतिथियों को इस प्रकार बैठाएं कि उनका मुख घर में अंदर की ओर हो, उन्हें द्वार दिखाई न दे। 5.विवाह योग्य युवक-युवती जिस पलंग पर सोते हों उसके नीचे लोहे की वस्तुएं या कबाड़ का सामान कभी भी नहीं रखना चाहिए। 6. यदि विवाह के पूर्व लड़का-लड़की मिलना चाहें तो वह इस प्रकार बैठे कि उनका मुख दक्षिण दिशा की ओर न हो। 7. कन्या सफेद खरगोश को पाले तथा अपने हाथ से उसे भोजन के रूप में कुछ दे| 8. कन्या के विवाह की चर्चा करने उसके घर के लोग जब भी किसी के यहाँ जायें तो कन्या खुले बालों से,लाल वस्त्र धारण कर हँसते हुए उन्हें कोई मिष्ठान खिला कर विदा करे| विवाह की चर्चा सफल होगी| 9. पूर्णिमा को वट वृक्ष की 108 परिक्रमा देने से भी विवाह बाधा दूर होती है| 10. गुरूवार को वट वृक्ष, पीपल, केले के वृक्ष पर जल अर्पित करने से विवाह बाधा दूर होती है| मन्त्र— गौरी आवे ,शिव जो ब्यावे.अमुक का विवाह तुरंत सिद्ध करेँ, देर ना करेँ, जो देर होए , तो शिव को त्रिशूल पड़े, गुरु गोरखनाथ की दुहाई फिरै ।। अमुक के स्थान पर जिस लड़की का विवाह न हो रहा हो उसका नाम लिख सकते है ! 11. जिन व्यक्तियों को शीघ्र विवाह की कामना हों उन्हें गुरुवार को गाय को दो आटे के पेडे पर थोड़ा हल्दी लगाकर खिलाना चाहिए. तथा इसके साथ ही थोड़ा सा गुड व चने की पीली दाल का भोग गाय को लगाना शुभ होता है| 12. किसी भी शुभ दिवस पर मिटटी का एक नया कुल्हड़ लाएँ तथा उसमे एक लाल वस्त्र,सात काली मिर्च एवं सात ही नमक की साबुत कंकड़ी रख दें, हांडी का मुख लाल कपडे से बंद कर दें एवँ कुल्हड़ के बाहर कुमकुम की सात बिंदियाँ लगा दे फिर उसे सामने रख कर निम्न मंत्र की ५ माला जप करेँ । मन्त्र जप के पश्चात हांडी को चौराहे पर रखवा देँ| यह बहुत ही असरदायक प्रयोग है । । 13. यदि कन्या की शादी में कोई रूकावट आ रही हो तो पूजा वाले 5 नारियल लें ! भगवान शिव की मूर्ती या फोटो के आगे रख कर “ऊं श्रीं वर प्रदाय श्री नामः” मंत्र का पांच माला जाप करें फिर वो पांचों नारियल शिव जी के मंदिर में चढा दें ! विवाह की बाधायें अपने आप दूर होती जांयगी ! 14. प्रत्येक सोमवार को कन्या सुबह नहा-धोकर शिवलिंग पर “ऊं सोमेश्वराय नमः” का जाप करते हुए दूध मिले जल को चढाये और वहीं मंदिर में बैठ कर रूद्राक्ष की माला से इसी मंत्र का एक माला जप करे ! विवाह की सम्भावना शीघ्र बनती नज़र आयेगी | 15. शिव-पार्वती का पूजन करने स भी विवाह की मनोकामना पूर्ण हो जाती हैं। इसके लिए प्रतिदिन शिवलिंग पर कच्चा दूध, बिल्व पत्र, अक्षत, कुमकुम आदि चढ़ाकर विधिवत पूजन करें। 16. विवाह योग्य लोगों को शीघ्र विवाह के लिये प्रत्येक गुरुवार को नहाने वाले पानी में एक चुटकी हल्दी डालकर स्नान करना चाहिए. भोजन में केसर का सेवन करने से विवाह शीघ्र होने की संभावनाएं बनती है| 17. विवाह योग्य व्यक्ति को सदैव शरीर पर कोई भी एक पीला वस्त्र धारण करके रखना चाहिए| 18. गुरुवार की शाम को पांच प्रकार की मिठाई, हरी ईलायची का जोडा तथा शुद्ध घी के दीपक के साथ जल अर्पित करना चाहिये | यह प्रयोग लगातार तीन गुरुवार को करना चाहिए,इससे शीघ्र विवाह के योग निस्संदेह बनते है । 19. गुरुवार को केले के वृ्क्ष पर जल अर्पित करके शुद्ध घी का दीपक जलाकर गुरु के 108 नामों का उच्चारण करने से जल्दी ही जीवनसाथी की तलाश पूर्ण हो जाती है । 20. बृहस्पति को देवताओं का गुरु माना जाता है इनकी पूजा से विवाह के मार्ग में आ रही सभी अड़चनें स्वत: ही समाप्त हो जाती हैं। इनकी पूजा के लिए गुरुवार का विशेष महत्व है। 21. गुरुवार को बृहस्पति देव को प्रसन्न करने के लिए पीले रंग की वस्तुएं चढ़ानी चाहिए। पीले रंग की वस्तुएं जैसे हल्दी, पीला फल, पीले रंग का वस्त्र, पीले फूल, केला, चने की दाल आदि इसी तरह की वस्तुएं गुरु ग्रह को चढ़ानी चाहिए। साथ ही शीघ्र विवाह की इच्छा रखने वाले युवाओं को गुरुवार के दिन व्रत रखना चाहिए। इस व्रत में खाने में पीले रंग का खाना ही खाएं, जैसे चने की दाल, पीले फल, केले खाने चाहिए। इस दिन व्रत करने वाले को पीले रंग के वस्त्र ही पहनने चाहिए। ॐ ग्रां ग्रीं ग्रों स: गुरूवे नम: ॥ मंत्र का पांच माला प्रति गुरुवार जप करें। 22. अगर किसी का विवाह कुण्डली के मांगलिक योग के कारण नहीं हो पा रहा है, तो ऎसे व्यक्ति को मंगल वार के दिन चण्डिका स्तोत्र का पाठ तथा शनिवार के दिन सुन्दर काण्ड का पाठ करना चाहिए. इससे भी विवाह के मार्ग की बाधाओं में कमी होती है. 23. शिव-पार्वती का पूजन करने से भी विवाह की मनोकामना पूर्ण हो जाती हैं। इसके लिए प्रतिदिन शिवलिंग पर कच्चा दूध, बिल्व पत्र, अक्षत, कुमकुम आदि चढ़ाकर विधिवत पूजन करें। 24. जिन व्यक्तियों की विवाह की आयु हो चुकी है. परन्तु विवाह संपन्न होने में बाधा आ रही है उन व्यक्तियों को यह उपाय करना चाहिए. इस उपाय में शुक्रवार की रात्रि में आठ छुआरे जल में उबाल कर जल के साथ ही अपने सोने वाले स्थान पर सिरहाने रख कर सोयें तथा शनिवार को प्रात: स्नान करने के बाद किसी भी बहते जल में इन्हें प्रवाहित कर दें| 25. यदि आपको प्रेम विवाह में अडचने आ रही हैं तो :—- शुक्ल पक्ष के गुरूवार से शुरू करके विष्णु और लक्ष्मी मां की मूर्ती या फोटो के आगे “ऊं लक्ष्मी नारायणाय नमः” मंत्र का रोज़ तीन माला जाप स्फटिक माला पर करें ! इसे शुक्ल पक्ष के गुरूवार से ही शुरू करें ! तीन महीने तक हर गुरूवार को मंदिर में प्रशाद चढांए और विवाह की सफलता के लिए प्रार्थना करें ! 26. शुक्ल पक्ष के पहले गुरुवार को सात केले, सात गौ ग्राम गुड़ और एक नारियल लेकर किसी नदी या सरोवर पर जाएं। अब कन्या को वस्त्र सहित नदी के जल में स्नान कराकर उसके ऊपर से जटा वाला नारियल ऊसारकर नदी में प्रवाहित कर दें। इसके बाद थोड़ा गुड़ व एक केला चंद्रदेव के नाम पर व इतनी ही सामग्री सूर्यदेव के नाम पर नदी के किनारे रखकर उन्हें प्रणाम कर लें। थोड़े से गुड़ को प्रसाद के रूप में कन्या स्वयं खाएं और शेष सामग्री को गाय को खिला दें। इस टोटके से कन्या का विवाह शीघ्र ही हो जाएगा। 27. शादी वाले दिन से एक दिन पहले एक ईंट के ऊपर कोयले से “बाधायें” लिखकर ईंट को उल्टा करके किसी सुरक्षित स्थान पर रख दीजिये,और शादी के बाद उस ईंट को उठाकर किसी पानी वाले स्थान पर डाल कर ऊपर से कुछ खाने का सामान डाल दीजिये, विवाह के समय और विवाह के बाद में वर/वधु के दाम्पत्य जीवन में बाधायें नहीं आयेंगी, यह काम वर – वधु या उनके घर का कोई भी सदस्य कर सकता है लेकिन यह काम बिल्कुल चुपचाप करना चाहिए । 28. बृहस्पति, शुक्र, बुद्ध और सोम इन वारों में विवाह करने से कन्या सौभाग्यवती होती है। विवाह में चतुर्दशी, नवमी इन तिथियों को त्याग देना चाहिए। 29. विवाह के पश्चात एक वर्ष तक पिण्डदान,मृक्ति का स्नान, तिलतर्पण, तीर्थयात्रा,मुण्डन,प्रेतानुगमन आदि नहीं करना चाहिये. 🌷INDRESH KUMAR SHARMA🌷 Aug 27, 2019 भाई पंडित जी को मेरा नमस्कार अति उत्तम महत्वपूर्ण जानकारी के लिए धन्यवाद🙏🙋‍♂️🌹🌻🌹🕉🕉🕉 Anita Gupta Sep 7, 2019 🙏🙏 diya k liey left or right ka dhyan apney se ya bhagvan se rakhna h 🙏🙏🙏🙏 M.F Nov 4, 2019 Kya ye WhatsApp Pe Free Me Future Mile Sakta Hai सम्बंधित पोस्ट्स देखें Rakesh Jha Mar 27, 2020 परोपकार +8 प्रतिक्रिया 1 कॉमेंट्स • 38 शेयर शेयर करें शेयर करें Pawan Saini Mar 27, 2020 सुविचार परोपकार +80 प्रतिक्रिया 8 कॉमेंट्स • 17 शेयर शेयर करें शेयर करें ज्योतिष गुरु पंडित मनोज शुक्ला Mar 26, 2020 *हम तो आदिकाल से क्वारेंटाईन करते हैं, तुम्हे अब समझ आया* -------------------- *त्वरितटिप्पणी* -------------------- *आज जब सिर पर घूमता एक वायरस हमारी मौत बनकर बैठ गया तब हम समझें कि हमें क्वारेंटाईन होना चाहिये, मतलब हमें ‘‘सूतक’’ से बचना चाहिये। यह वही ‘सूतक’ है जिसका भारतीय संस्कृति में आदिकाल से पालन किया जा रहा है। जबकि विदेशी संस्कृति के नादान लोग हमारे इसी ‘सूतक’ को समझ नहीं पा रहे थे। वो जानवरों की तरह आपस में चिपकने को उतावले थे ? वो समझ ही नहीं रहे थे कि मृतक के शव में भी दूषित जीवाणु होते हैं ? हाथ मिलाने से भी जीवाणुओं का आदान-प्रदान होता है ? और जब हम समझाते थे तो वो हमें जाहिल बताने पर उतारु हो जाते । हम शवों को जलाकर नहाते रहे और वो नहाने से बचते रहे और हमें कहते रहे कि हम गलत हैं और आज आपको कोरोना का भय यह सब समझा रहा है।* 👉 *हमारे यहॉ बच्चे का जन्म होता है तो जन्म ‘‘सूतक’’ लागू करके मॉ-बेटे को अलग कमरे में रखते हैं, महिने भर तक, मतलब क्वारेंटाईन करते हैं।* 👉 हमारे यहॉ कोई मृत्यु होने पर परिवार पातक में रहता है लगभग 12 दिन तक सबसे अलग, मंदिर में पूजा-पाठ भी नहीं। सूतक के घरों का पानी भी नहीं पिया जाता। 👉 *हमारे यहॉ शव का दाह संस्कार करते है, जो लोग अंतिमयात्रा में जाते हैं उन्हे सबको सूतक लगती है, वह अपने घर जाने के पहले नहाते हैं, फिर घर में प्रवेश मिलता है।* 👉 हम मल विसर्जन करते हैं तो कम से कम 3 बार साबुन से हाथ धोते हैं, तब शुद्ध होते हैं तब तक क्वारेंटाईन रहते हैं। बल्कि मलविसर्जन के बाद नहाते हैं तब शुद्ध मानते हैं। 👉 *हम जिस व्यक्ति की मृत्यु होती है उसके उपयोग किये सारे रजाई-गद्दे चादर तक ‘‘सूतक’’ मानकर बाहर फेंक देते हैं।* 👉 हमने सदैव होम हवन किया, समझाया कि इससे वातावरण शुद्ध होता है, आज विश्व समझ रहा है, हमने वातावरण शुद्ध करने के लिये घी और अन्य हवन सामग्री का उपयोग किया। 👉 *हमने आरती को कपूर से जोड़ा, हर दिन कपूर जलाने का महत्व समझाया ताकि घर के जीवाणु मर सकें।* 👉 हमने वातावरण को शुद्ध करने के लिये मंदिरों में शंखनाद किये, 👉 *हमने मंदिरों में बड़ी-बड़ी घंटियॉ लगाई जिनकी ध्वनि आवर्तन से अनंत सूक्ष्म जीव स्वयं नष्ट हो जाते हैं।* 👉 हमने भोजन की शुद्धता को महत्व दिया और उन्होने मांस भक्षण किया। 👉 *हमने भोजन करने के पहले अच्छी तरह हाथ धोये, और उन्होने चम्मच का सहारा लिया।* 👉 हमने घर में पैर धोकर अंदर जाने को महत्व दिया 👉 *हम थे जो सुबह से पानी से नहाते हैं, कभी-कभी हल्दी या नीम डालते थे और वो कई दिन नहाते ही नहीं* 👉 हमने मेले लगा दिये कुंभ और सिंहस्थ के सिर्फ शुद्ध जल से स्नान करने के लिये। 👉 *हमने अमावस्या पर नदियों में स्नान किया, शुद्धता के लिये ताकि कोई भी सूतक हो तो दूर हो जाये।* 👉 हमने बीमार व्यक्तियों को नीम से नहलाया । 👉 *हमने भोजन में हल्दी को अनिवार्य कर दिया, और वो अब हल्दी पर सर्च कर रहे हैं।* 👉 हम चन्द्र और सूर्यग्रहण की सूतक मान रहे हैं, ग्रहण में भोजन नहीं कर रहे और वो इसे अब मेडिकली प्रमाणित कर रहे हैं। 👉 *हम थे जो किसी को भी छूने से बचते थे, हाथ नहीं लगाते थे और वो चिपकते रहे।* 👉 हम थे जिन्होने दूर से हाथ जोडक़र अभिवादन को महत्व दिया और वो हाथ मिलाते रहे। 👉 *हम तो उत्सव भी मनाते हैं तो मंदिरों में जाकर, सुन्दरकाण्ड का पाठ करके, धूप-दीप हवन करके वातावरण को शुद्ध करके और वो रातभर शराब पी-पीकर।* 👉 हमने होली जलाई कपूर, पान का पत्ता, लोंग, गोबर के उपले और हविष्य सामग्री सब कुछ सिर्फ वातावरण को शुद्ध करने के लिये। 👉 *हम नववर्ष व नवरात्री मनायेंगे, 9 दिन घरों-घर आहूतियॉ छोड़ी जायेंगी, वातावरण की शुद्धी के लिये।* 👉 हम देवी पूजन के नाम पर घर में साफ-सफाई करेंगे और घर को जीवाणुओं से क्वरेंटाईन करेंगे। 👉 *हमनें गोबर को महत्व दिया, हर जगह लीपा और हजारों जीवाणुओं को नष्ट करते रहे, वो इससे घृणा करते रहे* 👉 *हम हैं जो दीपावली पर घर के कोने-कोने को साफ करते हैं, चूना पोतकर जीवाणुओं को नष्ट करते हैं, पूरे सलीके से विषाणु मुक्त घर बनाते हैं और आपके यहॉ कई सालों तक पुताई भी नहीं होती।* 👉 अरे हम तो हर दिन कपड़े भी धोकर पहनते हैं और अन्य देशो में तो एक ही कपड़े सप्ताह भर तक पहन लिये जाते हैं। 👉 *हम अतिसूक्ष्म विज्ञान को समझते हैं आत्मसात करते हैं और वो सिर्फ कोरोना के भय में समझने को तैयार हुए।* 👉 हम उन जीवाणुओं को भी महत्व देते हैं जो हमारे शरीर पर सूक्ष्म प्रभाव डालते हैं। आज हमें गर्व होना चाहिऐ हम ऐसी देव संस्कृति में जन्में हैं जहॉ ‘‘सूतक’’ याने क्वारेंटाईन का महत्व है। यह हमारी जीवन शैली हैं, 👉 *हम जाहिल, दकियानूसी, गंवार नहीं* 👉 *हम सुसंस्कृत, समझदार, अतिविकसित महान संस्कृति को मानने वाले हैं। आज हमें गर्व होना चाहिऐ कि पूरा विश्व हमारी संस्कृति को सम्मान से देख रहा है, वो अभिवादन के लिये हाथ जोड़ रहा है, वो शव जला रहा है, वो हमारा अनुसरण कर रहा है।* 👌👌👌 हमें भी भारतीय संस्कृति के महत्व को, उनकी बारीकियों को और अच्छे से समझने की आवश्यकता है क्योंकि यही जीवन शैली सर्वोत्तम, सर्वश्रेष्ठ और सबसे उन्नत हैं, *गर्व से कहिये हम सबसे उन्नत हैं।* 👌👌 *कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी, सदियों रहा है दुश्मन दौर-ए-जहॉ हमारा* ✍✍✍ आध्यात्मिक सवाल जवाब +24 प्रतिक्रिया 4 कॉमेंट्स • 26 शेयर शेयर करें शेयर करें sanjay aeran(agarwal) Mar 26, 2020 ये चुन्दी आँख वाले सवाल जवाब व्यक्तिगत प्रश्न +4 प्रतिक्रिया 0 कॉमेंट्स • 11 शेयर शेयर करें शेयर करें Ramchandra Sisodiya.Bana Mar 27, 2020 परोपकार 0 कॉमेंट्स • 0 शेयर शेयर करें शेयर करें ज्योतिष गुरु पंडित मनोज शुक्ला Mar 26, 2020 👉If you’re at home and cannot go outside because of what's happening in the world, Here are over 19000 HINDI SONGS with video. IT IS CREDITABLE WHO MADE THIS POSSIBLE, AND WHAT TECHNOLOGY CAN PLACE IN YOUR PALM . Sending you thousands of Hindi songs and Ghazals. Just click on the> singer of your choice, then click on the song you want to listen, and enjoy. Connect your Bluetooth speaker for ultimate enjoyment. *Lata Mangeshkar (3206) *Mohammad Rafi (2019) *Asha Bhosle (1624) *Kishore Kumar (1431) *Alka Yagnik (1228) *Udit Narayan (947) *Mukesh (880) *Kumar Sanu (800) *Sonu Nigam (714) *Sunidhi Chauhan (524) *Anuradha Paudwal (480) *Talat Mahmood (451) *Shaan (352) *Kavita Krishnamurthy (304) *Abhijeet (295) *Manna De (269) *Shreya Ghoshal (235) *Suraiya (226) *Sadhana Sargam (220) *Ghulam Ali (209) *Sukhwinder Singh (204) *Geeta Dutt (203) *Hemant Kumar (199) *Mahendra Kapoor (179) *Shankar Mahadevan (164) *Shamshad Begum (163) *Suresh Wadkar (158) *Amit Kumar (155) *Hariharan (148) *Kunal Ganjawala (144) *Pankaj Udhas (144) *Jagjit Singh (141) *K. K. 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“ सब धरती कागद करूँ , लेखनी सब बनराय । सात समुद्र की मसि करूँ , गुरु गुण लिखा न जाय ।” भावार्थ :- यदि सारी धरती को कागज़ मान लिया जाए , सारे जंगल - वनों की लकड़ी की कलम बना ली जाए तथा सातों समुद्र स्याही हो जाएँ तो भी हमारे द्वारा कभी हमारे गुरु के गुण नहीं लिखे जा सकते है ।हमारे जीवन मे हमारे गुरु की महिमा सदैव अनंत होती है अर्ची, गुरु का ज्ञान हमारे लिए सदैव असीम और अनमोल होता है । इस जगत मे बहुत कम ऐसे गुरू हुए है जिनको उनकी अपनी सफलता के साथ साथ ही उनके अपने शिष्य की सफलता से पहचान मिली हो ऐसे ही भाग्यशाली गुरू रहे है “रमाकान्त आचरेकर” जिन्हे पूरी दुनिया सचिन तेंदुलकर के क्रिकेट कोच “ क्रिकेट गुरू ” के रूप मे जानती है और इसी रूप मे ही सदैव याद भी रखना चाहती है ! ईश्वर के साम्राज्य मे पहुँचने पर आज गुरू आचरेकर का स्वागत नाराण ने निश्चित तौर पर यही कह कर किया होगा “ क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर के गुरू रमाकान्त आचरेकर जी आईए आपका स्वागत है !!” दिवंगत आचरेकर जी को मेरी विनम्र श्रद्धांजलि !! ================================ Bhardwaj@rchita 03/01/2019

माँ सीता के द्वारा माँ पार्वती स्तुति अयोध्याकाण्ड जय जय गिरिबरराज किसोरी। जय महेस मुख चंद चकोरी।। जय गजबदन षडानन माता। जगत जननि दामिनि दुति गाता।। नहिं तव आदि मध्य अवसाना। अमित प्रभाउ बेदु नहिं जाना।। भव भव विभव पराभव कारिनि। बिस्व बिमोहनि स्वबस बिहारिनि।। [दोहा] पतिदेवता सुतीय महुँ, मातु प्रथम तव रेख। महिमा अमित न सकहिं कहि, सहस सारदा सेष।।235।। सेवत तोहि सुलभ फल चारी। बरदायिनी पुरारि पिआरी।। देबि पूजि पद कमल तुम्हारे। सुर नर मुनि सब होहिं सुखारे।। मोर मनोरथु जानहु नीकें। बसहु सदा उर पुर सबहिं कें।। कीन्हेउँ प्रगट न कारन तेहीं। अस कहि चरन गहे बैदेहीं।। बिनय प्रेम बस भई भवानी। खसी माल मूरति मुसुकानी।। सादर सियँ प्रसादु सिर धरेऊ। बोली गौरि हरषु हियँ भरेऊ।। सुनु सिय सत्य असीस हमारी। पूजिहि मन कामना तुम्हारी।। नारद बचन सदा सुचि साचा। सो बरु मिलिहि जाहिं मनु राचा।। [छंद] मनु जाहिं राचेउ मिलिहि सो बरु, सहज सुंदर साँवरो। करुना निधान सुजान सीलु, सनेहु जानत रावरो।। एहि भाँति गौरि असीस सुनि सिय, सहित हियँ हरषीं अली। तुलसी भवानिहि पूजि पुनि पुनि, मुदित मन मंदिर चली।। [सोरठा] जानि गौरि अनुकूल सिय, हिय हरषु न जाइ कहि। मंजुल मंगल मूल, बाम अंग फरकन लगे।।

गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु गुरुर देवो महेश्वरः गुरुः साक्षात्परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नमः गुरु ब्रह्मा (सृष्टिकर्ता) के समान हैं. गुरु विष्णु (संरक्षक) के समान हैं. गुरु प्रभु महेश्वर (विनाशक) के समान हैं. सच्चा गुरु, आँखों के समक्ष सर्वोच्च ब्रह्म है अपने उस एकमात्र सच्चे गुरु को मैं नमन करती हूँ, कोटि-कोटि प्रणाम करती हूं !! साभार : भारद्वाज अर्चिता