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Showing posts from February, 2020

Lala lajpat rai

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Home   »   हस्तक्षेप   »   आपकी नज़र   »   भगतसिंह का लेख – लाला लाजपत राय और नौजवान Shaheed E Azam Bhagat Singh " data-medium-file="https://i2.wp.com/www.hastakshep.com/old/wp-content/uploads/2019/03/Shaheed-E-Azam-Bhagat-Singh.jpg?fit=300%2C200&ssl=1" data-large-file="https://i2.wp.com/www.hastakshep.com/old/wp-content/uploads/2019/03/Shaheed-E-Azam-Bhagat-Singh.jpg?fit=600%2C400&ssl=1" srcset="https://i2.wp.com/www.hastakshep.com/old/wp-content/uploads/2019/03/Shaheed-E-Azam-Bhagat-Singh.jpg?zoom=2&resize=600%2C330 1200w, https://i2.wp.com/www.hastakshep.com/old/wp-content/uploads/2019/03/Shaheed-E-Azam-Bhagat-Singh.jpg?zoom=3&resize=600%2C330 1800w" data-lazy-loaded="1" sizes="(max-width: 600px) 100vw, 600px"> भगतसिंह का लेख – लाला लाजपत राय और नौजवान हस्तक्षेप   March 24, 2019   आपकी नज़र ,  शब्द ,  हस्तक्षेप   Leave a comment (यह वह दौर था जब कौंसिल के चुनावों में लाला लाजपत राय ने कांग्रेस का साथ छोड़कर उ...

मा अर्याम्बा और आदि शंकराचार्य

मा  अर्याम्बा  और आदि शंकराचार्य   शंकराचार्य जी को,आदिशंकराचार्य भी कहा जाता है आप साक्षात् भगवान शिव के अवतार थे . आपने परमेश्वर के विभिन्न रूपों से लोगो को अवगत कराया जिसमे, आपने यह बताया कि, ईश्वर क्या है ? ईश्वर का जीवन मे महत्व क्या है ? यह ही नही आपने अपने जीवनकाल मे, ऐसे कार्य किये जो बहुत ही सरहानीय है और भारत की, अमूल्य धरोहर के रूप मे आज भी है . आपने हिन्दू धर्म को बहुत ही खूबसूरती से एक अलग अंदाज मे निखारा, इसी के साथ अनेक भाषाओं मे, आपने अपने ज्ञान का प्रकाश फैलाया . आपने विभिन्न मठो की स्थापना की इसी के साथ कई शास्त्र, उपनिषद भी लिखे .  आदिशंकराचार्य जी का जीवन परिचय ( Shankaracharya history ) आदिशंकराचार्य जी साक्षात् भगवान का रूप थे . आप केरल के साधारण ब्राह्मण परिवार मे जन्मे थे . आपकी जन्म से आध्यात्मिक क्षेत्र मे रूचि रही है जिसके चलते, सांसारिक जीवन से कोई मोह नही था . आपको गीता,उपन्यास, उपनिषद् , वेदों और शास्त्रों का स्वज्ञान प्राप्त था, जिसे आपने पूरे विश्व मे फैलाया. आदि शंकराचार्य का जीवन परिचय  जन्म 788 ई. मृत्यु 820 ई. जन्मस्थान केरल क...

बचपन मे शादी का क्रेज ================एक छोटी बच्ची उम्र यही कोई 5/6 वर्ष दौर 1988 का खेलना बहुत पसन्द खेल मे भी गुड्डे गुडिया की शादी विशेष पसन्द ! अडोस - पडोस - रिश्ते मे जब भी किसी की शादी हो तो घर मे अपने बडो से रोज बस एक ही सवाल : दादी मेरा दुल्हा कब आएगा ? : बडी अम्मा मेरा दुल्हा कब आएगा ? : दद्दा मेरा दुल्हा कब आएगा ?: चाचा मेरा दुल्हा कब आएगा ? : पापा मेरा दुल्हा कब आएगा ? आजकल शादी का मौसम शुरू हो गया है तो अपने गली मुहल्ले रिश्ते मे शादी व्याह का माहौल देखकर मेरे बचपन की कुछ ऐसी यादे अचानक मुझे अपनी तरफ खींचती चली गई यथा : उस समय परिवार सँयुक्त था । बडी दादी, छोटी दादी, सहित पिता का दो बडे भाईयो वाला हमारा पूरा परिवार एक ही घर मे, एक ही छत के नीचे रहता था और घर से लगे दूसरे घर मे रहता था मेरे बाबा के चाचा जी का परिवार । दोनो घर मेरे खेलने के अद्भुद् अड्डे थे । जैसा कि मैने जो बचपन जीया है मेरा वह बचपन वाला अनुभव कहता है सँयुक्त परिवार मे हमारे बडो के बीच भले किसी तरह का असंतोष होता है पर हम बच्चो की आपस मे बडी मौज रहती है । बचपन मे यह मौज मेरी भी थी ! चलिए अब आ जाते है मुख्य बिन्दु शादी पर, मेरे बचपन वाली शादी पर ! शादी के प्रति मेरे अटूट लोभ और आकर्षण पर वह भी तब जब मुझे शादी का मतलब केवल इतना पता था की शादी जब होती है एक दुल्हा आता है उसके साथ बहुत सारे बराता आते है । कुछ डाँट डपट के साथ हम बच्चो को फ्रूटी पीने के बाद फ्रूटी के खाली पैकेट को पैरो तले रखकर उसपर जोर से पैर मारने फोडने की पूर्ण आजादी होती है । बडे लिम्का पीते है अम्मा नयी साडी और जेवर से लकदक होती है दीदी की दोस्ते और दादी जाने क्या क्या बात करती है ! और सुबह जब मै सोकर जगती हूँ तो पाती हूँ फूलो से सजी बडी गाडी मे रात को आने वाला दुल्हा दुल्हन को अपने साथ۔लेकर अपने घर चला गया ! बडी दुविधा दुल्हा दुल्हन को अपने साथ लेकर क्यो चला गया ! दौडकर दादी के पास जाती और सवाल करती दादी दुल्हा कहाँ गया ? दादी का जवाब होता : दुल्हा अपने घर चला गया फिर सवाल : दादी मेरी शादी कब होगी ? दादी का जवाब : जब तुम बडी हो जाओगी फिर मेरा सवाल : दादी मै बडी कब होऊँगी दादी का जवाब : तुम्हारे बाप के पास खूब सारे रूपए होगे । मेरा सवाल : दादी रूपए का क्या होगा ? दादी का जवाब : रूपए से ही दुल्हा आएगा फिर मेरा सवाल : दादी दुल्हा रूपए से क्यो आएगा ? दादी का जवाब : क्योकि वह तुम्हे लेने खाली हाथ थोडे आएगा , फिर मेरा सवाल : दादी पापा से कहना मेरे लिए रूपए वाला दुल्हा नही लाएगे । दादी का जवाब : रूपए वाला दुल्हा नही आएगा तो तुम दुल्हन कैसे बनोगी ? फिर मेरा सवाल : दादी मुझे मेरी अम्मा की लाल वाली साडी पहना देना, बडी अम्मा की छम छम बजने वाली पायल पहना देना, और अपने बक्से से

बचपन मे शादी का क्रेज  ================ एक छोटी बच्ची उम्र यही कोई 5/6 वर्ष  दौर 1988 का  खेलना बहुत पसन्द  खेल मे भी गुड्डे गुडिया की शादी विशेष पसन्द !  अडोस - पडोस - रिश्ते मे जब भी किसी की शादी हो तो  घर मे अपने बडो से रोज बस एक ही सवाल  : दादी मेरा दुल्हा कब आएगा ?  : बडी अम्मा मेरा दुल्हा कब आएगा ?  : दद्दा मेरा दुल्हा कब आएगा ? : चाचा मेरा दुल्हा कब आएगा ?  : पापा मेरा दुल्हा कब आएगा ?  आजकल शादी का मौसम शुरू हो गया है तो अपने गली मुहल्ले रिश्ते मे शादी व्याह का माहौल देखकर मेरे बचपन की कुछ ऐसी यादे अचानक मुझे अपनी तरफ खींचती चली गई यथा :  उस समय परिवार सँयुक्त था । बडी दादी, छोटी दादी,  सहित पिता का दो बडे भाईयो वाला हमारा पूरा परिवार एक ही घर मे, एक ही छत के नीचे रहता था और घर से लगे दूसरे घर मे रहता था मेरे बाबा के चाचा जी का परिवार । दोनो घर मेरे खेलने के अद्भुद् अड्डे थे ।  जैसा कि मैने जो बचपन जीया है मेरा वह बचपन वाला अनुभव कहता है सँयुक्त परिवार मे हमारे बडो के बीच भले किसी तरह का असंतोष होता है पर हम ब...