जी करता हैमलंग होकर नाचूं,बेखुदी सी होने लगती है! देशप्रेम की गंगा आँखों से झरवतन की सरजमीं भिगोने लगती है! न जाने कौन सी तासीर है इन तीन रंगों में! कि तिरंगा हाथ में लेते ही सुध-बुध खोने लगती है! आप सभी को 71 वें गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं! आइए, प्रण लें कि इन दिनों हमारे इस गणतंत्र को छिन्न-भिन्न करने का जो कुत्सित प्रयास किया जा रहा है उसके खिलाफ पूरी ताकत से खड़े होकर लड़ेगें और देश की अखंडता की रक्षा करेंगें! कीमत फिर चाहे जो भी हो! जय हिंद! जय भारत!
जी करता है
मलंग होकर नाचूं,
बेखुदी सी होने लगती है!
देशप्रेम की गंगा आँखों से झर
वतन की सरजमीं भिगोने लगती है!
न जाने कौन सी तासीर है इन तीन रंगों में!
कि तिरंगा हाथ में लेते ही सुध-बुध खोने लगती है!
आप सभी को 71 वें गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं!
आइए, प्रण लें कि इन दिनों हमारे इस गणतंत्र को छिन्न-भिन्न करने का जो कुत्सित प्रयास किया जा रहा है उसके खिलाफ पूरी ताकत से खड़े होकर लड़ेगें और देश की अखंडता की रक्षा करेंगें!
कीमत फिर चाहे जो भी हो!
जय हिंद! जय भारत!
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