बचपन मे दादी के मुँह से एक लोक कहावत बहुधा साँझ सवेरे सुना करती थी मै यथा : बसो तेरी गोद में, उखाडों तेरी दाढ़ी ॥ आज दिल्ली मे अराजकता का जो लाइव कास्ट हुआ उसने उपरोक्त कहावत को पूर्णत: चरितार्थ कर दिया !क्या किसी देश का लोकतंत्र इतना उदार हो सकता है कि कुछ लोग देश के एक विशेष हिस्से को, एक विशेष भूभाग को देश से अलग करने की सामूहिक घोषणा कर रहे हो और देश धैर्य धरे मौन उनकी मूर्खतापूर्ण अराजकता को सहन कर रहा है वह भी तब जब मात्र एक दिन बाद हम दुनिया के सबसे सुंदर संविधान का स्थापना दिवस ( बर्थ डे ) मनाने की तैयारी मे लगे हो ? आज दिल्ली मे जो हुआ है उसे केवल हम आप ही नही देख रहे है बल्कि उसपर आज सारी दुनिया की नजर पहुँची है ! आज केवल हम आप ही नही जान पाए है बल्कि पूरी दुनिया जान, समझ, पायी है कि : 1947 मे आजाद हुई हमारी भारत माता की छाती पर गुलामी के कितने गहरे शूल अभी बाकी हैं ? गद्दारी और बटवारे का सपना पाले कितने अराजक तत्व देश के भीतर अभी जिन्दा है ! ऐसे अराजक तत्वों का मर्दन जरूरी हो गया है वह भी देश के गणतंत्र प्रणालि के द्वारा ! जरूरी हो गया है कि देश के गण के लिए 26 जनवरी 1950 को लागू किए गए सुंदर तंत्र का सख्ती से प्रयोग करते हुए इन अराजक चेहरो को, इन अराजक तत्वों को सबक सिखाया जाए ॥ ============================भारद्वाज अर्चिता 25/01/2020
बचपन मे दादी के मुँह से एक लोक कहावत बहुधा साँझ सवेरे सुना करती थी मै यथा :
बसो तेरी गोद में,
उखाडों तेरी दाढ़ी ॥
आज दिल्ली मे अराजकता का जो लाइव कास्ट हुआ उसने उपरोक्त कहावत को पूर्णत: चरितार्थ कर दिया !
क्या किसी देश का लोकतंत्र इतना उदार हो सकता है कि कुछ लोग देश के एक विशेष हिस्से को, एक विशेष भूभाग को देश से अलग करने की सामूहिक घोषणा कर रहे हो और देश धैर्य धरे मौन उनकी मूर्खतापूर्ण अराजकता को सहन कर रहा है वह भी तब जब मात्र एक दिन बाद हम दुनिया के सबसे सुंदर संविधान का स्थापना दिवस ( बर्थ डे ) मनाने की तैयारी मे लगे हो ?
आज दिल्ली मे जो हुआ है उसे केवल हम आप ही नही देख रहे है बल्कि उसपर आज सारी दुनिया की नजर पहुँची है ! आज केवल हम आप ही नही जान पाए है बल्कि पूरी दुनिया जान, समझ, पायी है कि :
1947 मे आजाद हुई हमारी भारत माता की छाती पर गुलामी के कितने गहरे शूल अभी बाकी हैं ?
गद्दारी और बटवारे का सपना पाले कितने अराजक तत्व देश के भीतर अभी जिन्दा है !
ऐसे अराजक तत्वों का मर्दन जरूरी हो गया है वह भी देश के गणतंत्र प्रणालि के द्वारा ! जरूरी हो गया है कि देश के गण के लिए 26 जनवरी 1950 को लागू किए गए सुंदर तंत्र का सख्ती से प्रयोग करते हुए इन अराजक चेहरो को, इन अराजक तत्वों को सबक सिखाया जाए ॥
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भारद्वाज अर्चिता
25/01/2020
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