नवरात्रि के अपने नौ दिन व्रत अनुष्ठान के बहाने मैने गांधीजी के आमरण अनसन की निज अनुभूति करने के लिहाज से केवल जल पी कर नौ दिन खुद को रखने का प्रयास करना आरम्भ किया दिन रात मिलाकर मै हर रोज कम से कम दो लिटर पानी पी रही हूँ पर आज नौरात्रि के तीसरे दिन ही शाम 5 बजे से मुझे चक्कर आना शुरू हो गया और हाथ पैर मे झनझनाहट भी होने लगी ! परेसानी से निजात पाने के लिए office से घर आने के बाद मैने दो केला खाया एक गिलास दूध लिया तब जाकर 15 मिनट बाद मुझे कुछ आराम महसूस हुआ और मै यह समझ पायी हूँ कि गांधी को बुरा भला कहना, गाली देना लोगो के लिए आसान काम हो सकता है पर गांधी को आचरण मे लाना सहज नही क्योकि गाँधी मात्र एक नाम नही बल्कि एक प्रयोगधर्मी चरित्र है जो हर युग मे महान बना रहेगा अपने त्याग के दम पर !
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कलम से :
भारद्वाज अर्चिता
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