yaha se add karna hai
जब हम मोहनदास करमचंद गांधी उर्फ महात्मा गांधी के लिए कुछ कह - सुन रहे होते है, तो सर्वप्रथम उनका सबसे व्यवहारिक स्वरूप जो उभर कर हमारे सामने आता है वह है “ जीवन की उस अवस्था मे जिसे हम युवा अवस्था का नाम देते है वहाँ उस अवस्था मे गांधी का प्रैक्टिकली प्रयोगधर्मी होना ”
महात्मा गांधी यह नाम मात्र एक चेहरे या एक व्यक्ति विशेष का पर्याय नही है बल्कि जीवन की युवा अवस्था के लैब ( प्रयोगशाला मे प्रयोग विधि के मानक पर सधा हुआ एक ऐसा परिणाम है, एक ऐसा रिजल्ट है जो दुनिया के हर एक युवा की प्रेरणा बनने की योग्यता रखता है !”
हर तरह से समृद्ध, सक्षम होते हुए भी वर्तमान समय मे वैश्विक स्तर पर कहीं न कहीं हमारा युवा वर्ग जब भटकाव की तरफ है, हमारा युवा वर्ग जब मानवता के प्रति भावनात्मक रूप से सजग नही है, ऐसी स्थिति मे
हमारे युवाओं के जीवन मे गांधी एवम गांधी के प्रयोगधर्मी, व्यवहारिक, सहज विचारो का महात्व अनिवार्य लगने लगाता है !
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