गाँधी और युवा
किशोर वय युवाओं के सार्थक जीवन में महात्मा गांधी का महत्व
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जब हम मोहनदास करमचंद गांधी उर्फ महात्मा गांधी के लिए कुछ कह - सुन रहे होते है, तो सर्वप्रथम उनका सबसे व्यवहारिक स्वरूप जो उभर कर हमारे सामने आता है वह है “ जीवन की उस अवस्था मे जिसे हम युवा अवस्था का नाम देते है वहाँ उस अवस्था मे गांधी का प्रैक्टिकली प्रयोगधर्मी होना ”
महात्मा गांधी यह नाम मात्र एक चेहरे या एक व्यक्ति विशेष का पर्याय नही है बल्कि जीवन की युवा अवस्था के लैब ( प्रयोगशाला मे प्रयोग विधि के मानक पर सधा हुआ एक ऐसा परिणाम है, एक ऐसा रिजल्ट है जो दुनिया के हर एक युवा की प्रेरणा बनने की योग्यता रखता है !”
हर तरह से समृद्ध, सक्षम होते हुए भी वर्तमान समय मे वैश्विक स्तर पर कहीं न कहीं हमारा युवा वर्ग जब भटकाव की तरफ है, हमारा युवा वर्ग जब मानवता के प्रति भावनात्मक रूप से सजग नही है, ऐसी स्थिति मे
हमारे युवाओं के जीवन मे गांधी एवम गांधी के प्रयोगधर्मी, व्यवहारिक, सहज विचारो का महात्व अनिवार्य लगने लगाता है !
आज यह अति आवश्यक हो गया है कि विश्व का हर एक युवा उस युवा वैरिस्टर को उसके उन गुणो के साथ अपने आचरण मे उतारने का प्रयास करे जिसकी वजह से जीवन की प्रयोगशाला मे एक युवा वैरिस्टर अपने उपर हजार - हजार प्रयोग करके खुदको सम्पूर्ण विश्व के लिए सहज, सार्थक, एवम प्रासंगिक बना दिया,
गांधी जी के Learning by Doing वाले शिद्धान्त पर पूरी तरह केन्द्रित हो ! क्योकि जीवन के लैब मे गांधी का प्रैक्टिकल स्पस्ट कहता है “ इनसान महान पैदा नहीं होता है, उसके विचार उसे महान बनाते हैं !”
: बापू कहते है विचारो की शुद्धता, काम की शुद्धता और आचरण की सरलता, यह तीन अगर किसी युवा मे है तो वह पूरी दुनिया को अपनी तरफ आकर्षित करने की ताकत रखता है !
: बापू कहते है युवाओ को सहज और प्रैक्टिकल होना चाहिए यही दो गुण ऐसे है जो एक युवा को आम लोगों से सदैव अलग करते हैं ! युवाओ का प्रैक्टिकल होना ही समाज को स्वस्थ बदलाव का मकसद देता है !
: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, जिन्हें प्यार से हम 'बापू' कहते हैं वह भी एक साधारण व्यक्ति ही थे पर युवा अवस्था मे जिस भेद-भाव, असमानता, तिरस्कार का उन्होने सामना किया उसको ही अपनी ऊर्जा बनाकर करोड़ों लोगो के जीवन में बदलाव लाने का प्रण कर लिया, ! बदलाव लाने का यही प्रण एक युवा विलायत रिटर्न वैरिस्टर को कालजयी चरित्र बना कर दुनिया के सामने आदर्श रूप मे प्रस्तुत कर दिया !
: बापू कहते थे एक युवा व्यक्ति अपने विचारों के सिवाय कुछ और नहीं होता है, युवाओ के परिवर्तनकारी विचार ही उनकी पहचान बनती है ! एक युवा जो सोचता है वह वही बनता है!
: बापू कहते है : किसी युवा के भीतर धैर्य का एक छोटा हिस्सा भी टनभर उपदेश से कही बेहतर होता है !
: बापू कहते है : यह तो युवाओ को ही तय करना होगा कि वह गौरव पूर्ण लक्ष्य पाने के लिए कोशिश करने में हैं, या फिर लक्ष्य तक पहुंचने की जल्दबाजी में ?
आज हम युवाओं तक बापू के कुछ स्वस्थ सन्देश पहुँचाना चाहते है और उम्मीद करते है हमारा युवा वर्ग बापू के उस सन्देश को सदैव अपने आचरण मे उतारने का प्रयास करेगा ! यथा
दुश्मनों को भी माफ करें :
यह सिद्धांत अनेक धर्मों और मतों में पाया जाता है। कमजोर कभी माफ नहीं कर सकता। मजबूत शख्स ही दूसरों को माफ कर सकता है। आंख के बदले में आंख का सिद्धांत पूरी दुनिया को अंधा कर देगा।
कोई परफैक्ट नहीं होता :
दुनिया में कोई परफैक्ट नहीं है। हमें हमेशा और बेहतर की कोशिश करनी चाहिए। ऐसा सिर्फ अपनी गलतियों को स्वीकर करने और उनसे सीखने से संभव है।
अपने प्रति ईमानदार रहें :
अपने प्रति ईमानदार रहना चाहिए। अपने दिल की सुनें और उसी के अनुसार आगे बढ़ें। असली खुशी तभी मिलती है, जब आप जो सोचते हैं, जो कहते हैं और जो करते हैं, उनके बीच में एक तालमेल होता है।
अपनी जिंदगी पर काबू रखें :
अक्सर लोग नाकामियों के लिए दूसरों को दोषी ठहराते हैं। दूसरे लोगों का आपकी जिंदगी पर असर तो हो सकता है लेकिन अपनी जिंदगी का नियंत्रण आपके अपने हाथ में होना चाहिए।
दुनिया बदलने के लिए खुद को बदलो :
घर बैठ कर बदलाव की उम्मीद करने से कुछ नहीं होगा। दुनिया को बदलने के लिए घर से बदलाव शुरू करें। आपको देखकर दूसरे भी आगे आएंगे।
आइडिया पर एक्शन जरूरी :
आजादी, लोकतंत्र और न्याय की बातें कागज पर अच्छी लगती हैं। क्या होता, अगर इन पर अमल नहीं किया जाता। एक्शन से ही आइडिया को जिंदगी मिलती है।
आज में जीना ही बेहतर :
लोग बीते कल या आने वाले कल में जीना पसंद करते हैं लेकिन सबसे अच्छा आज में जीना है। आज को बेहतर बना कर हम अपने आने वाले कल को सुधार सकते हैं।
दृढ़ बने रहें :
अपने मिशन पर दृढ़ रहें। पहले लोग आपको नजरअंदाज करेंगे, फिर आप पर हंसेंगे, फिर आपसे झगड़ा करेंगे और फिर आपकी जीत होगी।
साथियों में अच्छाई ढूंढें :
हर व्यक्ति में कमियां होती हैं। कमियां देखने के बजाय दूसरों की अच्छाइयां देखें। अच्छाई को आगे बढ़ाने से पूरी दुनिया की स्थिति सुधर सकती है।
लगातार अपना सुधार करें :
हमारे अंदर सीखने और अपनी स्किल्स को बेहतर बनाने की काबिलियत है। लगातार बेहतर बनें। अगर बदलाव को स्वीकार नहीं करते तो टिक नहीं सकते।
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कलम से :
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