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प्रियंवदा का चरित्र समाज मे नारी सशक्तिकरण के दृष्टिकोण से दीर्घकालिक संघर्ष के बाद जन्मी सफलता का स्वस्थ उद्दाहरण है ! बेटियों के लिए सुनहरे बदलाव, सुनहरे परिवर्तन का परिचायक है !
जहाँ अधिकांश भारतीय समाज में आज भी बेटियों को डिग्री केवल शादी के लिए दिलवायी जाती है, वहाँ प्रियंवदा का विपरित परिवेश, शून्यमात्र सुविधा पर शिक्षा पाना, नौकरी करना वर्तमान स्त्री शिक्षा, स्त्री विकास व्यवस्था पर यह प्रश्न खडा करता है की “क्या आजादी के बाद बेटियों को वह अधिकार मिला जिसकी वह हकदार थी ?
इस किताब की अहम चरित्र प्रियंवदा बेटियों के लिए सदैव स्वस्थ प्रेरणास्रोत रहेंगी ! वह स्वयम भी सशक्त चरित्र इस लिए बनी क्योकि वह हिन्दी साहित्य जगत की महान शख्सियत महादेवी वर्मा जी से प्रभावित थी, जो अपने दौर मे नारी सशक्तिकरण, नारी अधिकारोँ की प्रणेता रहीं हैं॥
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लेखक :
विभांशु जोशी, भारद्वाज अर्चिता
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