विभांशु जोशी@SmileyLive एवम पत्रकार भारद्वाज अर्चिता की संयुक्त प्रस्तुति यथा : एशिया का नोबेल पुरस्कार कहा जाने वाला रेमन मैगसेसे पुरस्कार इस वर्ष पत्रकारिता के लिए भारत की झोली मे ! निश्चित रूप से भारत के लिए एवम भारतीय हिन्दी पत्रकारिता और पत्रकार बिरादरी के लिए आज गर्व का दिन है क्योंकि भारतीय हिंदी पत्रकारिता के 30 मई 1826 से शुरू हुए उदन्त मार्तण्ड के सफर से लेकर आज की तारिख तक तमाम उतार - चढ़ाव का दौर देखने के बाद हिन्दी पत्रकारित को आखिर वह मुकाम हासिल हो ही गया जिसकी वह सच्चे मायने मे हकदार रही है ! दूरूहता और द्वन्द भरे परिवेश मे हिन्दी पत्रकारिता को इस मुकाम तक लाने के लिए सच के प्रति विश्वास को जिन्दा रखने के लिए TV समाचार जगत के हमारे भारतीय पत्रकार रविश कुमार को इस बार पत्रकारिता के क्षेत्र मे उनके विशेष योगदान के लिए एशिया का नोबेल सम्मान कहे जाने वाले इस रेमन मैगसेसे पुरस्कार के लिए चुना गया है ! रविश कुमार को शुभकामना मिश्रित बधाई देते हुए विभांशु जोशी @Vibhanshu Joshi SmileyLive एवम पत्रकार  भारद्वाज अर्चिता ने संयुक्त रूप से एक प्रयास किया है पत्रकारिता के क्षेत्र में जाने एवम अपनी विशेष सेवा देने के लिए उत्सुक हमारे देश के वर्तमान युवाओं की जानकारी बढ़ाने हेतु यह बताने की कि यह रेमन मैगसेसे पुरस्कार क्या है ? और कब, क्योँ, किन्हे, किस - किस क्षेत्र मे दिया जाता ? मित्रों आपको बताते चले कि यह रेमन मैगसेसे पुरस्कार (Ramon Magsaysay Award) एशिया के व्यक्तियों एवं संस्थाओं को उनके अपने क्षेत्र में विशेष रूप से उल्लेखनीय कार्य करने के लिये प्रदान किया जाता है। इसे प्राय: एशिया का नोबेल पुरस्कार भी कहा जाता है। यह रमन मैगसेसे पुरस्कार फाउन्डेशन द्वारा फिलीपीन्स के भूतपूर्व राष्ट्रपति रमन मैगसेसे की याद में दिया जाता है। मैगसेसे पुरस्कार का इतिहास यह है कि : यह पुरस्कार न्यूयार्क स्थित "रॉकफेलर ब्रदर्स फण्ड" के ट्रस्टियों द्वारा सन् 1957 में स्थापित किया गया। फिलिपिन्स की सरकार की पूर्ण सहमति से वहाँ के भूतपूर्व राष्ट्रपति रमन मैगसेसे की स्मृति में यह पुरस्कार आरम्भ किया गया ताकि आम जनता की साहसपूर्वक सेवा, लोकतांत्रिक समाज में व्यावहारिक आदर्शवादिता एवं निर्मल सरकारी चरित्र के रूप मे दिए गए रेमन मैगसेसे की याद को एशियायी देशोँ सहित पूरी दुनिया मे जिन्दा रखा जा सके। एशियायी देशोँ के योग्य व्यक्तियोँ को समाज के लिए किए गए उनके विशेष कार्य के लिए दिया जाने वाला रेमन मैगसेसे पुरस्कार जिन - जिन श्रेणियोँ मे दिया जाता है वह श्रेणियाँ इस प्रकार से है : 1: सरकारी सेवा (Government Service) 2: सार्वजनिक सेवा (Public Service) 3: सामुदायिक नेतृत्व (Community Leadership) 4: पत्रकारिता, साहित्य एव सृजनात्मक संचार कलाएँ (Journalism, Literature and Creative Communication Arts) 5: शान्ति एवं अन्तरराष्ट्रीय सद्भावना (Peace and International Understanding) 6: उभरता हुआ नेतृत्व (Emergent Leadership)            *************************

रेमन मैगसेसे पुरस्कार पर विभांशु जोशी@ SmileyLive एवम पत्रकार भारद्वाज अर्चिता की संयुक्त प्रस्तुति यथा :

एशिया का नोबेल पुरस्कार कहा जाने वाला रेमन मैगसेसे पुरस्कार इस वर्ष पत्रकारिता के लिए भारत की झोली मे !
निश्चित रूप से भारत के लिए एवम भारतीय हिन्दी पत्रकारिता और पत्रकार बिरादरी के लिए आज गर्व का दिन है क्योंकि भारतीय हिंदी पत्रकारिता के 30 मई 1826 से शुरू हुए उदन्त मार्तण्ड के सफर से लेकर आज की तारिख तक तमाम उतार - चढ़ाव का दौर देखने के बाद हिन्दी पत्रकारित को आखिर वह मुकाम हासिल हो ही गया जिसकी वह सच्चे मायने मे हकदार रही है ! दूरूहता और द्वन्द भरे परिवेश मे हिन्दी पत्रकारिता को इस मुकाम तक लाने के लिए सच के प्रति विश्वास को जिन्दा रखने के लिए TV समाचार जगत के हमारे भारतीय पत्रकार रविश कुमार को इस बार पत्रकारिता के क्षेत्र मे उनके विशेष योगदान के लिए एशिया का नोबेल सम्मान कहे जाने वाले इस रेमन मैगसेसे पुरस्कार के लिए चुना गया है ! रविश कुमार को शुभकामना मिश्रित बधाई देते हुए विभांशु जोशी @Vibhanshu Joshi SmileyLive एवम पत्रकार  भारद्वाज अर्चिता ने संयुक्त रूप से एक प्रयास किया है पत्रकारिता के क्षेत्र में जाने एवम अपनी विशेष सेवा देने के लिए उत्सुक हमारे देश के वर्तमान युवाओं की जानकारी बढ़ाने हेतु यह बताने की कि यह रेमन मैगसेसे पुरस्कार क्या है ? और कब, क्योँ, किन्हे, किस - किस क्षेत्र मे दिया जाता ?

मित्रों आपको बताते चले कि यह रेमन मैगसेसे पुरस्कार (Ramon Magsaysay Award) एशिया के व्यक्तियों एवं संस्थाओं को उनके अपने क्षेत्र में विशेष रूप से उल्लेखनीय कार्य करने के लिये प्रदान किया जाता है। इसे प्राय: एशिया का नोबेल पुरस्कार भी कहा जाता है। यह रमन मैगसेसे पुरस्कार फाउन्डेशन द्वारा फिलीपीन्स के भूतपूर्व राष्ट्रपति रमन मैगसेसे की याद में दिया जाता है।
मैगसेसे पुरस्कार का इतिहास यह है कि : यह पुरस्कार न्यूयार्क स्थित "रॉकफेलर ब्रदर्स फण्ड" के ट्रस्टियों द्वारा सन् 1957 में स्थापित किया गया। फिलिपिन्स की सरकार की पूर्ण सहमति से वहाँ के भूतपूर्व राष्ट्रपति रमन मैगसेसे की स्मृति में यह पुरस्कार आरम्भ किया गया ताकि आम जनता की साहसपूर्वक सेवा, लोकतांत्रिक समाज में व्यावहारिक आदर्शवादिता एवं निर्मल सरकारी चरित्र के रूप मे दिए गए रेमन मैगसेसे की याद को एशियायी देशोँ सहित पूरी दुनिया मे जिन्दा रखा जा सके।
एशियायी देशोँ के योग्य व्यक्तियोँ को समाज के लिए किए गए उनके विशेष कार्य के लिए दिया जाने वाला रेमन मैगसेसे पुरस्कार जिन - जिन श्रेणियोँ मे दिया जाता है वह श्रेणियाँ इस प्रकार से है :
1: सरकारी सेवा (Government Service)
2: सार्वजनिक सेवा (Public Service)
3: सामुदायिक नेतृत्व (Community Leadership)
4: पत्रकारिता, साहित्य एव सृजनात्मक संचार कलाएँ (Journalism, Literature and Creative Communication Arts)
5: शान्ति एवं अन्तरराष्ट्रीय सद्भावना (Peace and International Understanding)
6: उभरता हुआ नेतृत्व (Emergent Leadership)
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“ सब धरती कागद करूँ , लेखनी सब बनराय । सात समुद्र की मसि करूँ , गुरु गुण लिखा न जाय ।” भावार्थ :- यदि सारी धरती को कागज़ मान लिया जाए , सारे जंगल - वनों की लकड़ी की कलम बना ली जाए तथा सातों समुद्र स्याही हो जाएँ तो भी हमारे द्वारा कभी हमारे गुरु के गुण नहीं लिखे जा सकते है ।हमारे जीवन मे हमारे गुरु की महिमा सदैव अनंत होती है अर्ची, गुरु का ज्ञान हमारे लिए सदैव असीम और अनमोल होता है । इस जगत मे बहुत कम ऐसे गुरू हुए है जिनको उनकी अपनी सफलता के साथ साथ ही उनके अपने शिष्य की सफलता से पहचान मिली हो ऐसे ही भाग्यशाली गुरू रहे है “रमाकान्त आचरेकर” जिन्हे पूरी दुनिया सचिन तेंदुलकर के क्रिकेट कोच “ क्रिकेट गुरू ” के रूप मे जानती है और इसी रूप मे ही सदैव याद भी रखना चाहती है ! ईश्वर के साम्राज्य मे पहुँचने पर आज गुरू आचरेकर का स्वागत नाराण ने निश्चित तौर पर यही कह कर किया होगा “ क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर के गुरू रमाकान्त आचरेकर जी आईए आपका स्वागत है !!” दिवंगत आचरेकर जी को मेरी विनम्र श्रद्धांजलि !! ================================ Bhardwaj@rchita 03/01/2019

माँ सीता के द्वारा माँ पार्वती स्तुति अयोध्याकाण्ड जय जय गिरिबरराज किसोरी। जय महेस मुख चंद चकोरी।। जय गजबदन षडानन माता। जगत जननि दामिनि दुति गाता।। नहिं तव आदि मध्य अवसाना। अमित प्रभाउ बेदु नहिं जाना।। भव भव विभव पराभव कारिनि। बिस्व बिमोहनि स्वबस बिहारिनि।। [दोहा] पतिदेवता सुतीय महुँ, मातु प्रथम तव रेख। महिमा अमित न सकहिं कहि, सहस सारदा सेष।।235।। सेवत तोहि सुलभ फल चारी। बरदायिनी पुरारि पिआरी।। देबि पूजि पद कमल तुम्हारे। सुर नर मुनि सब होहिं सुखारे।। मोर मनोरथु जानहु नीकें। बसहु सदा उर पुर सबहिं कें।। कीन्हेउँ प्रगट न कारन तेहीं। अस कहि चरन गहे बैदेहीं।। बिनय प्रेम बस भई भवानी। खसी माल मूरति मुसुकानी।। सादर सियँ प्रसादु सिर धरेऊ। बोली गौरि हरषु हियँ भरेऊ।। सुनु सिय सत्य असीस हमारी। पूजिहि मन कामना तुम्हारी।। नारद बचन सदा सुचि साचा। सो बरु मिलिहि जाहिं मनु राचा।। [छंद] मनु जाहिं राचेउ मिलिहि सो बरु, सहज सुंदर साँवरो। करुना निधान सुजान सीलु, सनेहु जानत रावरो।। एहि भाँति गौरि असीस सुनि सिय, सहित हियँ हरषीं अली। तुलसी भवानिहि पूजि पुनि पुनि, मुदित मन मंदिर चली।। [सोरठा] जानि गौरि अनुकूल सिय, हिय हरषु न जाइ कहि। मंजुल मंगल मूल, बाम अंग फरकन लगे।।

गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु गुरुर देवो महेश्वरः गुरुः साक्षात्परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नमः गुरु ब्रह्मा (सृष्टिकर्ता) के समान हैं. गुरु विष्णु (संरक्षक) के समान हैं. गुरु प्रभु महेश्वर (विनाशक) के समान हैं. सच्चा गुरु, आँखों के समक्ष सर्वोच्च ब्रह्म है अपने उस एकमात्र सच्चे गुरु को मैं नमन करती हूँ, कोटि-कोटि प्रणाम करती हूं !! साभार : भारद्वाज अर्चिता