ganzal
क्या सच में मुकद्दर का लिखा होता है ?
बता ऐ वक्त ! तूं बता मुझे
मुकद्दर लिखने वाला किस जात का होता है ??
क्या खता थी मेरी ! क्या गुनाह किया मैने
जो हथेलियों पर मेरी कोई रेखा न सजीं ,
कोई ख्वाब जिन्दा न हुए ,
मुकद्दर लिखने वाला अपने ही बच्चों से
कहीं इतना खफा होता है ??
यह राह की दुश्वारियां
यह अपनों की दुत्तकारियां
यह कवायदों का शहर
मुझमे हर पल क्यों इंकलाब बोता है ???
खुदा,खुदा,खुदा,करके ! खुदा को क्यों ढूंढते हो :
मकतब, मदिने, चारमिनारा में
क्यों कत्ल इतना !
क्यों शोर इतना ! खुदाया तेरे लिए
जब जन्नत मां के कदमों में होती है ,
जब खुदा का घर मां के पैरों तले होता है ???
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कलम से :
भारद्वाज अर्चिता
08/08/3018
09919353106
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