Dr.kumar Vishwas
Dr. Kumar Vishwas लाजवाब प्रस्तुति कवि : आज तुम्हारी आवाज एवम गीत के जादू से अविभूत होकर बधाई स्वरूप छोटी बहन की भावनाएँ तुम्हारे लिए!यथा:
मेरे कवि तुम ऐसे ही बहते रहना
जीवन बनकर
जन - जन के जीवन मे,
मद्धम - मद्धम
मन्थर - मन्थर
तुम पियूष हो कविता के
तुम गरल पर अमरता के प्रतीक
मेरे कवि तुम ऐसे ही बहते रहना
मेरे कवि तुम ऐसे ही बहते रहना !!
सदी गुजरती है
तब जनमती है कलम कोई
लिखने हालाती पाषाणो पर कविता
गीत - गीत तुम स्पन्दन हो
तुम सारदे की वीणा से निकले वन्दन हो
मेरे कवि तुम ऐसे ही बहते रहना
मेरे कवि तुम ऐसे ही बहते रहना !!
बहन बलाएँ तुम्हारी लेती आज
दिल से दुआएँ तुम्हे देती आज
काल चक्र के मस्तक पर
कालजयी होकर
मेरे कवि तुम ऐसे ही बहते रहना
मेरे कवि तुम ऐसे ही बहते रहना !!
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कलम से :
भारद्वाज अर्चिता
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