आज किचेन मे रोटी सेकते हुए गर्म तवे से जब मेरा हाथ जला तब मेरे मुँह से बर्नोल “burnol” नहीं बल्कि माँ शब्द निकला, अपने शरीर के इस स्वत: प्रतिक्रिया “Automatic Reaction” के बाद आज मै कहना चाहती हूँ अर्ची दुनिया भर की उन तमाम माओं से जो बेटी के जन्म लेने से पहले ही उसे या तो अपनी कोख में मार देती हैं या फिर उसके जन्म के बाद उसे बेटी होने का कदम-कदम पर एहसास कराते हुए , उसे दोयम दर्जे की परवरिस देते हुए , उसका पग - पग पर तिरस्कार करते हुए, उसके अस्तित्व को उसकी ही नजर मे अभिसप्त ठहरा देती है...... हे जगधात्री मां, तुम तो हम बेटियों के रोम - रोम मे भावना स्पन्दन बनकर उस तरंग “Waves” की तरह बसती हो जिसकी ध्वनी हमारे जीवन मे कुछ भी अप्रत्याशित घटने पर हमारे मुँह से मां शब्द के रूप मे एक त्वरित वेग के साथ ध्वनित होती है, बिल्कुल वैसे ही जैसे आज सवेरे किचन मे नाश्ते के लिए रोटी सेकते हुए गर्म तवे से अर्ची का हाथ जलने पर अर्ची के मुँह से बर्नोल नही बल्कि प्रथम एवम त्वरित गति शब्द मां का ध्वनित हो जाना था !! ====================== कलम से : भारद्वाज अर्चिता
आज किचेन मे रोटी सेकते हुए
गर्म तवे से जब मेरा हाथ जला
तब मेरे मुँह से बर्नोल “burnol” नहीं
बल्कि माँ शब्द निकला,
अपने शरीर के इस स्वत: प्रतिक्रिया
“Automatic Reaction” के बाद
आज मै कहना चाहती हूँ अर्ची
दुनिया भर की उन तमाम माओं से
जो बेटी के जन्म लेने से पहले ही
उसे या तो अपनी कोख में मार देती हैं
या फिर उसके जन्म के बाद
उसे बेटी होने का कदम-कदम पर
एहसास कराते हुए ,
उसे दोयम दर्जे की परवरिस देते हुए ,
उसका पग - पग पर तिरस्कार करते हुए,
उसके अस्तित्व को उसकी ही नजर मे
अभिसप्त ठहरा देती है......
हे जगधात्री मां,
तुम तो हम बेटियों के रोम - रोम मे
भावना स्पन्दन बनकर
उस तरंग “Waves” की तरह बसती हो
जिसकी ध्वनी हमारे जीवन मे
कुछ भी अप्रत्याशित घटने पर
हमारे मुँह से मां शब्द के रूप मे
एक त्वरित वेग के साथ ध्वनित होती है,
बिल्कुल वैसे ही
जैसे आज सवेरे किचन मे
नाश्ते के लिए रोटी सेकते हुए
गर्म तवे से अर्ची का हाथ जलने पर
अर्ची के मुँह से बर्नोल नही बल्कि
प्रथम एवम त्वरित गति शब्द
मां का ध्वनित हो जाना था !!
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कलम से :
भारद्वाज अर्चिता
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