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1981 से 1983 तक बाल विकास प्रोजेक्ट ऑफिसर के रूप मे प्रमोशन,
1983 से 1984 नारी निकेतन सुपरिटेंडेंट “क्लास वन ऑफिसर ” सतना के रूप मे प्रमोशन,
एवम 1984 मे 34 साल की अपनी लम्बी सरकारी सेवा सतना को देने के बाद नौकरी से ससम्मान सेवानिवृत्ति :
जिस वक्त प्रियंवदा की सेवा की दूसरी प्रमोशन बाल विकास प्रोजेक्ट ऑफिसर सतना के पद पर हुई उस वक्त इस विभाग की स्थित बहुत दयनीय थी इन्होने लम्बी जद्दोजहद के बाद इसमे सुधार किया इस सुधार करने के अन्तराल मे ही इन्हे असमाजिक लोगो एव सह कर्मियो द्वारा मानसिक यातना का भी शिकार होना पड़ा पुरूष बर्चश्व बार बार इन्हे अपने चपेटे मे लेता पर यह कभी उस माहौल से भयभीत नही हुई बल्कि पूरी निडरता से उसका सामना किया और यह साबिस किया की महीला पुरूष के बीच लिंग भेद का अन्तर नहीं बल्कि योग्यता की समानता होनी चाहिए ! इनके नीचे काम करने वाले एक पंचायत इंस्पेक्टर रामानन्द सिंह हुआ करते थे जो कभी यह मानने को तैयार नही थे कि वह किसी महिला अधिकारी के अण्डर मे काम काम करेंगे जाति और पोस्ट के बीच
चाहिए
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