बारिश

सुनो ....."डार्लिंग" 
मुझे बदलना तो था ही
आखिर मेरे शहर मे मौसम बारिश का जो
आ गया है, 
मेरे बदलने पर किसी तरह का
आर्गुमेंट किए बिना
आओ इस भीगे मौसम में
लॉन्ग ड्राइव पर चलते हैं ....
यकीन मानो :
मेरी मचलती भावनाओँ की थाप पर
तुम्हारी उपस्थिति मे :
झूमती थिरकती मेरी ख्वाहिशों का
यूँ सच हो जाना मेरे लिए
दुनिया के आठवे आश्चर्य जैसा होगा
जब गीली सडक पर .....
तेज रफ्तार भागती हमारी गाडी के साथ
हमारी जिन्दगी भी भाग रही होगी
भीड की शोर से मीलों दूर
सपनो की आडी - तिरछी ट्रैक पर
बिल्कुल सीधी दिशा में,
और फिर : सावन की फुहारों में
हम अपनी गाडी एकदम से
सडक के किनारे कही लगाते हुए
गाडी की खिडकी खोल कर बाहर निकल आएँ
और आसमानी सावर तले
मिट्टी से उठती सोंधी-सोंधी महक को
आत्मा तक महसूस करते हुए
तेज बारिश के डर की परवाह किए बिना
किसी ठेले पर धुएँ के साथ
सुलगती आग की आँच पर
थोडे कत्थई ........
थोडे भूरे .... गहरे भूरे....भुने ...
नमक ...नीबू...हरी मीर्चे ..
की बनी चटख चटनी लगे
भुट्टे का स्वाद चखे ......
और एक साथ कह उठे :
अहा यही तो जिन्दगी है डार्लिंग !!
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कलम से :
@भारद्वाज अर्चिता
पत्रकार प्रिंट मीडिया हाउस
01/08/2019

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