200 वर्ष गुलामी मे हमने त्योहार गोरो के हिसाब से मनाया था मन, आत्मा, जमीर, खुश नही था फिर भी हम हर वर्ष त्योहार मना रहे थे ! हमारे शून्य गुलाम समाज की चेतना जब जगी तब हम आजाद हुए और धीरे धीरे अपने सारे त्योहार अपने पन के साथ, अपनो के बीच, पूरी आजादी से मानाने लगे ! हमारे कश्मीरी भाई बहन भी इस ईद ( 12/08/2019 ) पर यह जो थोडा सा त्याग कर रहे है आज वह 1954 से चली आ रही उस लम्बी हत्यारी त्रासदी के अन्त का आखिरी पडाव है जिसने कई सारी ईद पर खौफ का कहर बरपाया है ! अपने कश्मीरी भाई बहनो से कहना चाहती हूँ आज का आपका यह त्याग चन्द दिनो मे आपको आपके ईद के रूप मे ही महसूस होगा ! जहाँ 78 बार खौफ मे ईद मनाए है वही एक बार कश्मीर की बदहाली से मुक्ति के लिए हो रहे कार्यो की वजह से कुछ दर्द के साथ ईद मना लीजिए । जब देश बनता है तब बहुत कुछ आहुति देना पडता है दोस्तोँ, अगर यकीन न हो मेरी बात पर तो देश की आजादी के दौरान का वह त्याग याद कर लीजिए जो भगत सिह जैसे लोगो ने अपना बलिदान देकर किया है! आप सब तो खुशनसीब हो कि एक ईद का बलिदान हजार हजार ईद ( खुशी ) के दरवाजे खोलने की पहल कर रही है आप सबके लिए । समाचार के कुछ श्रोत, कुछ स्वार्थी नेता, कुछ भटके हुए लोग, आपके इस त्याग को अपने साजिश का शिकार न बनाए इस ईद अल्लाह से आप सभी के लिए मेरी यही दुआ है ! इस बार ईद के त्योहार पर अपनो की अपनो से जुदाई पर नीता शर्मा की प्रस्तुति देखकर जो विचार बना रहे है आप सब उसके लिए कहना चाहती हूँ की नीता शर्मा भी अपनी नौकरी कर रही है और वह जो कह रही है उसके लिए ही वह मेहनताना पाती है ! आज देश, परिवार, समाज, लोगो की नौकरी के पैकेज तक ही सिमित रह गया है ! नीता शर्मा अपनी बीट पर काम कर रही है और कहना गलत न होगा की वह अपनी बीट पर बेहतर काम कर गयी क्योकि उनके काम की चर्चा अगर आप तक मुझ तक चल कर आयी तो उनका तो उदेश्य पूर्ण हुआ ! उनकी इस सनसनीखेज प्रस्तुति से NDTV की TRP भी High हो गयी पर सोचो उससे हमारे कश्मीरी भाई बहनो को कश्मीर को इस देश को क्या मिला ?? भटकाव के अलावा शायद कुछ भी नही, केवल भटकाव और नफरत का बीज बोने तक पत्रकार और पत्रकारिता का सरोकार नही होना चाहिए ! किसी खबर से देश की शान्ति बहाली, और सुब्यवस्था न डगमगाए, इस पर भी पत्रकार और समाचार श्रोतोँ को केन्द्रित होना चाहिए क्योकि यह दायित्व भी उनके सरोकार का अहम हिस्सा होता है ! आमीन🙏🙏🙏🙏🙏 @BhardwajArchita 13/08/2019

200 वर्ष गुलामी मे हमने त्योहार गोरो के हिसाब से मनाया था मन, आत्मा, जमीर, खुश नही था फिर भी हम हर वर्ष त्योहार मना रहे थे ! हमारे शून्य गुलाम समाज की चेतना जब जगी तब हम आजाद हुए और धीरे धीरे अपने सारे त्योहार अपने पन के साथ, अपनो के बीच, पूरी आजादी से मानाने लगे ! हमारे कश्मीरी भाई बहन भी इस ईद ( 12/08/2019 ) पर यह जो थोडा सा त्याग कर रहे है आज वह 1954 से चली आ रही उस लम्बी हत्यारी त्रासदी के अन्त का आखिरी पडाव है जिसने कई सारी ईद पर खौफ का कहर बरपाया है ! अपने कश्मीरी भाई बहनो से कहना चाहती हूँ आज का आपका यह त्याग चन्द दिनो मे आपको आपके ईद के रूप मे ही महसूस होगा ! जहाँ 78 बार खौफ मे ईद मनाए है वही एक बार कश्मीर की बदहाली से मुक्ति के लिए हो रहे कार्यो की वजह से कुछ दर्द के साथ ईद मना लीजिए । जब देश बनता है तब बहुत कुछ आहुति देना पडता है दोस्तोँ, अगर यकीन न हो मेरी बात पर तो देश की आजादी के दौरान का वह त्याग याद कर लीजिए जो भगत सिह जैसे लोगो ने अपना बलिदान देकर किया है! आप सब तो खुशनसीब हो कि एक ईद का बलिदान हजार हजार ईद ( खुशी ) के दरवाजे खोलने की पहल कर रही है आप सबके लिए । समाचार के कुछ श्रोत, कुछ स्वार्थी नेता, कुछ भटके हुए लोग, आपके इस त्याग को अपने साजिश का शिकार न बनाए इस ईद अल्लाह से आप सभी के लिए मेरी यही दुआ है !
इस बार ईद के त्योहार पर अपनो की अपनो से जुदाई पर नीता शर्मा की प्रस्तुति देखकर जो विचार बना रहे है आप सब उसके लिए कहना चाहती हूँ की नीता शर्मा भी अपनी नौकरी कर रही है और वह जो कह रही है उसके लिए ही वह मेहनताना पाती है ! आज देश,  परिवार, समाज, लोगो की नौकरी के पैकेज तक ही सिमित रह गया है ! नीता शर्मा अपनी बीट पर काम कर रही है और कहना गलत न होगा की वह अपनी बीट पर बेहतर काम कर गयी क्योकि उनके काम की चर्चा अगर आप तक मुझ तक चल कर आयी तो उनका तो उदेश्य पूर्ण हुआ ! उनकी इस सनसनीखेज प्रस्तुति से NDTV की TRP भी High हो गयी पर सोचो उससे हमारे कश्मीरी भाई बहनो को कश्मीर को इस देश को क्या मिला ?? भटकाव के अलावा शायद कुछ भी नही, केवल भटकाव और नफरत का बीज बोने तक पत्रकार और पत्रकारिता का सरोकार नही होना चाहिए ! किसी खबर से देश की शान्ति बहाली, और सुब्यवस्था न डगमगाए, इस पर भी पत्रकार और समाचार श्रोतोँ को केन्द्रित होना चाहिए क्योकि यह दायित्व भी उनके सरोकार का अहम हिस्सा होता है !
आमीन🙏🙏🙏🙏🙏
@BhardwajArchita
13/08/2019

Comments

Popular posts from this blog

“ सब धरती कागद करूँ , लेखनी सब बनराय । सात समुद्र की मसि करूँ , गुरु गुण लिखा न जाय ।” भावार्थ :- यदि सारी धरती को कागज़ मान लिया जाए , सारे जंगल - वनों की लकड़ी की कलम बना ली जाए तथा सातों समुद्र स्याही हो जाएँ तो भी हमारे द्वारा कभी हमारे गुरु के गुण नहीं लिखे जा सकते है ।हमारे जीवन मे हमारे गुरु की महिमा सदैव अनंत होती है अर्ची, गुरु का ज्ञान हमारे लिए सदैव असीम और अनमोल होता है । इस जगत मे बहुत कम ऐसे गुरू हुए है जिनको उनकी अपनी सफलता के साथ साथ ही उनके अपने शिष्य की सफलता से पहचान मिली हो ऐसे ही भाग्यशाली गुरू रहे है “रमाकान्त आचरेकर” जिन्हे पूरी दुनिया सचिन तेंदुलकर के क्रिकेट कोच “ क्रिकेट गुरू ” के रूप मे जानती है और इसी रूप मे ही सदैव याद भी रखना चाहती है ! ईश्वर के साम्राज्य मे पहुँचने पर आज गुरू आचरेकर का स्वागत नाराण ने निश्चित तौर पर यही कह कर किया होगा “ क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर के गुरू रमाकान्त आचरेकर जी आईए आपका स्वागत है !!” दिवंगत आचरेकर जी को मेरी विनम्र श्रद्धांजलि !! ================================ Bhardwaj@rchita 03/01/2019

माँ सीता के द्वारा माँ पार्वती स्तुति अयोध्याकाण्ड जय जय गिरिबरराज किसोरी। जय महेस मुख चंद चकोरी।। जय गजबदन षडानन माता। जगत जननि दामिनि दुति गाता।। नहिं तव आदि मध्य अवसाना। अमित प्रभाउ बेदु नहिं जाना।। भव भव विभव पराभव कारिनि। बिस्व बिमोहनि स्वबस बिहारिनि।। [दोहा] पतिदेवता सुतीय महुँ, मातु प्रथम तव रेख। महिमा अमित न सकहिं कहि, सहस सारदा सेष।।235।। सेवत तोहि सुलभ फल चारी। बरदायिनी पुरारि पिआरी।। देबि पूजि पद कमल तुम्हारे। सुर नर मुनि सब होहिं सुखारे।। मोर मनोरथु जानहु नीकें। बसहु सदा उर पुर सबहिं कें।। कीन्हेउँ प्रगट न कारन तेहीं। अस कहि चरन गहे बैदेहीं।। बिनय प्रेम बस भई भवानी। खसी माल मूरति मुसुकानी।। सादर सियँ प्रसादु सिर धरेऊ। बोली गौरि हरषु हियँ भरेऊ।। सुनु सिय सत्य असीस हमारी। पूजिहि मन कामना तुम्हारी।। नारद बचन सदा सुचि साचा। सो बरु मिलिहि जाहिं मनु राचा।। [छंद] मनु जाहिं राचेउ मिलिहि सो बरु, सहज सुंदर साँवरो। करुना निधान सुजान सीलु, सनेहु जानत रावरो।। एहि भाँति गौरि असीस सुनि सिय, सहित हियँ हरषीं अली। तुलसी भवानिहि पूजि पुनि पुनि, मुदित मन मंदिर चली।। [सोरठा] जानि गौरि अनुकूल सिय, हिय हरषु न जाइ कहि। मंजुल मंगल मूल, बाम अंग फरकन लगे।।

गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु गुरुर देवो महेश्वरः गुरुः साक्षात्परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नमः गुरु ब्रह्मा (सृष्टिकर्ता) के समान हैं. गुरु विष्णु (संरक्षक) के समान हैं. गुरु प्रभु महेश्वर (विनाशक) के समान हैं. सच्चा गुरु, आँखों के समक्ष सर्वोच्च ब्रह्म है अपने उस एकमात्र सच्चे गुरु को मैं नमन करती हूँ, कोटि-कोटि प्रणाम करती हूं !! साभार : भारद्वाज अर्चिता