intro sachin tendulkar

इस Mothers Day 12 मई 2019 से बाल कानून विशेषज्ञ विभांशु जोशी @Vibhanshu Joshi SmileyLive एवम पत्रकार भारद्वाज अर्चिता द्वारा संयुक्त रूप से कलमबद्ध करके शुरू हुई धरती की शक्तिशाली मातृ शक्ति को समर्पित हमारी लेख श्रंखला “माँ तेरा आँचल जो हमेशा साथ रहता है” की छठवीं कड़ी (6th Series) में आज अपने पाठकों एवम राष्ट्रनीधि हमारे प्यारे बच्चों के लिए प्रस्तुत है क्रिकेट के देवता कहे जाने वाले महान भारतीय क्रिकेटर सचिन रमेश तेन्दुलकर के जीवन मे उनकी माँ रजनी तेन्दुलकर के अहम योगदान की सच्ची कहानी ! माँ - बेटे की Strong Bonding पर आधारित हमारी यह सच्ची कहानी बताती है कि : जब कोई माँ रजनी तेन्तुलकर  लगाती है अपने बेटे के सपनों को अपने सतत सहयोग एवम हौसलों का पंख तब जाकर दुनिया को मिलता है सचिन तेन्दुलकर जैसा महान क्रिकेटर ! आज हम अपने विचारों के मानक पर पूरी तरह परख कर, अपने पाठकों के लिए ( विशेष रूप से माँ एवम बच्चों के लिए ) संयुक्त रूप से कलमबद्ध करके साझा कर रहे है : एक बेटे की कामयाबी मे उसकी माँ के योगदान एवम त्याग की यह सच्ची कहानी अत: आप सभी पाठकों से आग्रह है हमारे साप्ताहिक लेख श्रृंखला के अन्तर्गत इस महान माँ के चरित्र को “माँ तेरा आँचल जो हमेशा साथ रहता है ” श्रृंखला के अन्तर्गत जिसे लिखा गया है आप सब जरूर पढ़े ! विशेषत: हमारी माताएँ खुद भी पढ़े, और अपने बच्चों को भी पढ़ाएँ, सुनाएँ, बताएँ । 
Happy Mothers Day🙏🙏
क्रमश: आप सभी से फिर मुलाकात होगी अगले रविवार माँ रजनी तेन्दुलकर के त्याग पर आधारित इस  सच्ची कहानी के शेष भाग क
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कलम से :
बाल कानून विशेषज्ञ विभांशु जोशी
@Vibhanshu Joshi SmileyLive
@ Bhardwaj Archita ( पत्रकार )
संयुक्त रूप से कलमबद्ध किया गया है यह लेख !!
14/07/2019  

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“ सब धरती कागद करूँ , लेखनी सब बनराय । सात समुद्र की मसि करूँ , गुरु गुण लिखा न जाय ।” भावार्थ :- यदि सारी धरती को कागज़ मान लिया जाए , सारे जंगल - वनों की लकड़ी की कलम बना ली जाए तथा सातों समुद्र स्याही हो जाएँ तो भी हमारे द्वारा कभी हमारे गुरु के गुण नहीं लिखे जा सकते है ।हमारे जीवन मे हमारे गुरु की महिमा सदैव अनंत होती है अर्ची, गुरु का ज्ञान हमारे लिए सदैव असीम और अनमोल होता है । इस जगत मे बहुत कम ऐसे गुरू हुए है जिनको उनकी अपनी सफलता के साथ साथ ही उनके अपने शिष्य की सफलता से पहचान मिली हो ऐसे ही भाग्यशाली गुरू रहे है “रमाकान्त आचरेकर” जिन्हे पूरी दुनिया सचिन तेंदुलकर के क्रिकेट कोच “ क्रिकेट गुरू ” के रूप मे जानती है और इसी रूप मे ही सदैव याद भी रखना चाहती है ! ईश्वर के साम्राज्य मे पहुँचने पर आज गुरू आचरेकर का स्वागत नाराण ने निश्चित तौर पर यही कह कर किया होगा “ क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर के गुरू रमाकान्त आचरेकर जी आईए आपका स्वागत है !!” दिवंगत आचरेकर जी को मेरी विनम्र श्रद्धांजलि !! ================================ Bhardwaj@rchita 03/01/2019

माँ सीता के द्वारा माँ पार्वती स्तुति अयोध्याकाण्ड जय जय गिरिबरराज किसोरी। जय महेस मुख चंद चकोरी।। जय गजबदन षडानन माता। जगत जननि दामिनि दुति गाता।। नहिं तव आदि मध्य अवसाना। अमित प्रभाउ बेदु नहिं जाना।। भव भव विभव पराभव कारिनि। बिस्व बिमोहनि स्वबस बिहारिनि।। [दोहा] पतिदेवता सुतीय महुँ, मातु प्रथम तव रेख। महिमा अमित न सकहिं कहि, सहस सारदा सेष।।235।। सेवत तोहि सुलभ फल चारी। बरदायिनी पुरारि पिआरी।। देबि पूजि पद कमल तुम्हारे। सुर नर मुनि सब होहिं सुखारे।। मोर मनोरथु जानहु नीकें। बसहु सदा उर पुर सबहिं कें।। कीन्हेउँ प्रगट न कारन तेहीं। अस कहि चरन गहे बैदेहीं।। बिनय प्रेम बस भई भवानी। खसी माल मूरति मुसुकानी।। सादर सियँ प्रसादु सिर धरेऊ। बोली गौरि हरषु हियँ भरेऊ।। सुनु सिय सत्य असीस हमारी। पूजिहि मन कामना तुम्हारी।। नारद बचन सदा सुचि साचा। सो बरु मिलिहि जाहिं मनु राचा।। [छंद] मनु जाहिं राचेउ मिलिहि सो बरु, सहज सुंदर साँवरो। करुना निधान सुजान सीलु, सनेहु जानत रावरो।। एहि भाँति गौरि असीस सुनि सिय, सहित हियँ हरषीं अली। तुलसी भवानिहि पूजि पुनि पुनि, मुदित मन मंदिर चली।। [सोरठा] जानि गौरि अनुकूल सिय, हिय हरषु न जाइ कहि। मंजुल मंगल मूल, बाम अंग फरकन लगे।।

गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु गुरुर देवो महेश्वरः गुरुः साक्षात्परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नमः गुरु ब्रह्मा (सृष्टिकर्ता) के समान हैं. गुरु विष्णु (संरक्षक) के समान हैं. गुरु प्रभु महेश्वर (विनाशक) के समान हैं. सच्चा गुरु, आँखों के समक्ष सर्वोच्च ब्रह्म है अपने उस एकमात्र सच्चे गुरु को मैं नमन करती हूँ, कोटि-कोटि प्रणाम करती हूं !! साभार : भारद्वाज अर्चिता