intro mandela

“माँ तेरा आँचल जो हमेशा साथ रहता है श्रृंखला” के अन्तर्गत हमारी कहानी की 8वी कडी के तहत आज “27 जुलाई को भारत के पूर्व राष्ट्रपति ए०पी०जे० अब्दुल कलाम की पुण्यतिथि पर हम लेकर आए है विश्वपटल पर स्थापित कालजयी चरित्र भारत के मिसाइल मैन कलाम साहब के जीवन मे उनकी माँ आशियम्मा के त्याग मिश्रित योगदान पर एक सच्ची कहानी ! तो आइए आप सब भी आज 27 जुलाई को कलाम साहब की पुण्यतिथि पर हमारे ( बाल कानून विशेषज्ञ विभांशु जोशी @Vibhanshu Joshi SmileyLive एवम पत्रकार भारद्वाज अर्चिता ) के साथ इस सच्ची कहानी का हिस्सा बनिए ।कलाम साहब के जीवन मे उनकी माँ के योगदान पर प्रकाश डालते हुए इस वर्ष Mother's Day 12 मई 2019 पर शुरू की गयी माँ को समर्पित अपनी लेख श्रृंखला “ माँ तेरा आँचल जो हमेशा साथ रहता है ” के अन्तर्गत संयुक्त रूप से यह जो स्टोरी हमने आप पाठकों के लिए तैयार किया है इस सच्ची कहानी को आप सब जरूर पढ़े ! विशेषत: हमारी माताएँ खुद भी पढ़े, और अपने बच्चों को भी पढ़ाएँ, सुनाएँ, बताएँ ।  क्रमश: आप सभी से फिर जल्द ही मुलाकात होगी एक महान माँ -बेटे की एक सच्ची कहानी के साथ ! 
============================== 
कलम से : 
बाल कानून विशेषज्ञ विभांशु जोशी 
@Vibhanshu Joshi SmileyLive
@ Bhardwaj Archita ( पत्रकार ) 
   27/07/2019   

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=2197537390332630&id=100002291725768

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=2198964786856557&id=100002291725768

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=2208978625855173&id=100002291725768

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=2220844274668608&id=100002291725768

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=2232682373484798&id=100002291725768 

Comments

Popular posts from this blog

“ सब धरती कागद करूँ , लेखनी सब बनराय । सात समुद्र की मसि करूँ , गुरु गुण लिखा न जाय ।” भावार्थ :- यदि सारी धरती को कागज़ मान लिया जाए , सारे जंगल - वनों की लकड़ी की कलम बना ली जाए तथा सातों समुद्र स्याही हो जाएँ तो भी हमारे द्वारा कभी हमारे गुरु के गुण नहीं लिखे जा सकते है ।हमारे जीवन मे हमारे गुरु की महिमा सदैव अनंत होती है अर्ची, गुरु का ज्ञान हमारे लिए सदैव असीम और अनमोल होता है । इस जगत मे बहुत कम ऐसे गुरू हुए है जिनको उनकी अपनी सफलता के साथ साथ ही उनके अपने शिष्य की सफलता से पहचान मिली हो ऐसे ही भाग्यशाली गुरू रहे है “रमाकान्त आचरेकर” जिन्हे पूरी दुनिया सचिन तेंदुलकर के क्रिकेट कोच “ क्रिकेट गुरू ” के रूप मे जानती है और इसी रूप मे ही सदैव याद भी रखना चाहती है ! ईश्वर के साम्राज्य मे पहुँचने पर आज गुरू आचरेकर का स्वागत नाराण ने निश्चित तौर पर यही कह कर किया होगा “ क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर के गुरू रमाकान्त आचरेकर जी आईए आपका स्वागत है !!” दिवंगत आचरेकर जी को मेरी विनम्र श्रद्धांजलि !! ================================ Bhardwaj@rchita 03/01/2019

माँ सीता के द्वारा माँ पार्वती स्तुति अयोध्याकाण्ड जय जय गिरिबरराज किसोरी। जय महेस मुख चंद चकोरी।। जय गजबदन षडानन माता। जगत जननि दामिनि दुति गाता।। नहिं तव आदि मध्य अवसाना। अमित प्रभाउ बेदु नहिं जाना।। भव भव विभव पराभव कारिनि। बिस्व बिमोहनि स्वबस बिहारिनि।। [दोहा] पतिदेवता सुतीय महुँ, मातु प्रथम तव रेख। महिमा अमित न सकहिं कहि, सहस सारदा सेष।।235।। सेवत तोहि सुलभ फल चारी। बरदायिनी पुरारि पिआरी।। देबि पूजि पद कमल तुम्हारे। सुर नर मुनि सब होहिं सुखारे।। मोर मनोरथु जानहु नीकें। बसहु सदा उर पुर सबहिं कें।। कीन्हेउँ प्रगट न कारन तेहीं। अस कहि चरन गहे बैदेहीं।। बिनय प्रेम बस भई भवानी। खसी माल मूरति मुसुकानी।। सादर सियँ प्रसादु सिर धरेऊ। बोली गौरि हरषु हियँ भरेऊ।। सुनु सिय सत्य असीस हमारी। पूजिहि मन कामना तुम्हारी।। नारद बचन सदा सुचि साचा। सो बरु मिलिहि जाहिं मनु राचा।। [छंद] मनु जाहिं राचेउ मिलिहि सो बरु, सहज सुंदर साँवरो। करुना निधान सुजान सीलु, सनेहु जानत रावरो।। एहि भाँति गौरि असीस सुनि सिय, सहित हियँ हरषीं अली। तुलसी भवानिहि पूजि पुनि पुनि, मुदित मन मंदिर चली।। [सोरठा] जानि गौरि अनुकूल सिय, हिय हरषु न जाइ कहि। मंजुल मंगल मूल, बाम अंग फरकन लगे।।

गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु गुरुर देवो महेश्वरः गुरुः साक्षात्परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नमः गुरु ब्रह्मा (सृष्टिकर्ता) के समान हैं. गुरु विष्णु (संरक्षक) के समान हैं. गुरु प्रभु महेश्वर (विनाशक) के समान हैं. सच्चा गुरु, आँखों के समक्ष सर्वोच्च ब्रह्म है अपने उस एकमात्र सच्चे गुरु को मैं नमन करती हूँ, कोटि-कोटि प्रणाम करती हूं !! साभार : भारद्वाज अर्चिता