सुनो मौत
सुनो मौत मेरी एक ख्वाहिश है
तुम जब मुझे लेने आना तो
दबे पाँव नही बल्कि मेरे घर का दरवाजा
नॉक करके आना
दरवाजा नॉक कर देना या फिर
doorbell ही बजा देना
ताकि में चहक कर, दौड़ कर,
अपने होटो पर खिलखिलाती मुस्कान लिए
पूरे मन से तुम्हारा जोश भरा स्वागत कर सकूँ
और तुम दरवाजे पर खडी खडी ही
बार बार कहो मुझसे
अर्ची चल जल्दी .....देर हो रही है,
अर्ची चल जल्दी ......देर हो रही है,
और मै जिद करते हुए कहूँ तुमसे
अजी ऐसी भी चलने की क्या जल्दी पडी है
जो मै आपके साथ आपके बराबर बैठकर
अपने हाथ से पूरे दिल से बनायी गयी
एक - एक कप coffee न पी सकूँ ?
जिद के साथ घर के अन्दर तुम्हेँ खीँचते हुए
एक दोस्त की तरह तुमसे आग्रह करूँ
अमा मौत आओ दोस्त कुछ देर बैठो भी
एक साथ, आखिरी बार ...
एक - एक कप coffee पी लेँ फिर चलते है,
तुम मेरे आग्रह को इनकार न कर सको और
आश्चर्य भरी आँखो से मेरी ओर देखते हुए
आकर सोफे पर बैठ जाओ,
तुम्हारे सोफे पर बैठने के बाद
मै किचेन मे जाकर कॉफी मग में
कॉफी डालते हुए जोरदार आवाज मे तुमसे पूछूँ
सुनो मौत :
तुम कॉफी मे दूध और शुगर लेना पसन्द करोगी
या फिर मेरी तरह :
ब्लैक कॉफी without sugar लोगी
मुझे उम्मीद है तुम्हारा जवाब होगा :
खडा चम्मच चटचटाती सुगर वाली कॉफी
विद मिल्क वह भी फुल मलाई मार के,
मै तुम्हारे खराब जायके पर लोटपोट हो
बेतहाशा हंसूँगी और तुम्हे तुम्हारे टेस्ट के हिसाब से
कॉफी सर्व करूँगी
तुम फटाफट कॉफी खत्म करते हुए
मुझपर झुँझलाओगी
अरे अर्ची की बच्ची बहुत लेट हो गए हम
अब तो ट्रैफिक मेँ फँस जाएँगे
मै तुम्हारे कन्धे पर हौले से अपना हाथ रखते हुए कहूँगी
ओहो मौत तुम चिन्ता ना करो मेरी स्कूटी है ना
चलो मै स्कूटी निकालती हूँ
आओ जल्दी तुम भी मेरे पीछे बैठ जाओ
70 की स्पीड से तुम्हे तुम्हारे देश लेकर चलती हूँ
पैकिँग की भी तो कोई झँझट नही है
क्योकि तुम्हारे साथ तुम्हारे घर जाते हुए
लगेज ले जाने का रीवाज जो नही है ??
सुनो मौत मेरी बस इतनी सी ही ख्वाहिश है ॥
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कलम से :
भारद्वाज अर्चिता
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