योग आसन

किस रोग में कौन सा आसन करें
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👉🏻 पेट की बिमारियों में-

उत्तानपादासन, पवनमुक्तासन, वज्रासन, योगमुद्रासन, भुजंगासन, मत्स्यासन।

👉🏻 सिर की बिमारियों में-

सर्वांगासन, शीर्षासन, चन्द्रासन।

👉🏻 मधुमेह-

पश्चिमोत्तानासन, नौकासन, वज्रासन, भुजंगासन, हलासन, शीर्षासन।

👉🏻 वीर्यदोष–

सर्वांगासन, वज्रासन, योगमुद्रा।

👉🏻 गला-

सुप्तवज्रासन, भुजंगासन, चन्द्रासन।

👉🏻 आंखें-

सर्वांगासन, शीर्षासन, भुजंगासन।

👉🏻 गठिया–

पवनमुक्तासन, पद्मासन, सुप्तवज्रासन, मत्स्यासन, उष्ट्रासन।

👉🏻 नाभि-

धनुरासन, नाभि-आसन, भुजंगासन।

👉🏻 गर्भाशय–

उत्तानपादासन, भुजंगासन, सर्वांगासन, ताड़ासन, चन्द्रानमस्कारासन।

👉🏻 कमर दर्द –

हलासन, चक्रासन, धनुरासन, भुजंगासन।

👉🏻 फेफड़े-

वज्रासन, मत्स्यासन, सर्वांगासन।

👉🏻 यकृत-

लतासन, पवनमुक्तासन, यानासन।

👉🏻 गुदा,बवासीर,भंगदर आदि में-

उत्तानपादासन, सर्वांगासन, जानुशिरासन, यानासन।

👉🏻 दमा-

सुप्तवज्रासन, मत्स्यासन, भुजंगासन।

👉🏻 अनिद्रा-

शीर्षासन, सर्वांगासन, हलासन, योगमुद्रासन।

👉🏻 गैस–

पवनमुक्तासन, जानुशिरासन, योगमुद्रा, वज्रासन।

👉🏻 जुकाम–

सर्वांगासन, हलासन, शीर्षासन।

👉🏻 मानसिक शांति के लिए–

सिद्धासन, योगासन, शतुरमुर्गासन, खगासन योगमुद्रासन।

👉🏻 रीढ़ की हड्डी के लिए-

सर्पासन, पवनमुक्तासन, सर्वांगासन, शतुरमुर्गासन करें।

👉🏻 गठिया के लिए-

पवनमुक्तासन, साइकिल संचालन, ताड़ासन किया करें।

👉🏻 गुर्दे की बीमारी में–

सर्वांगासन, हलासन, वज्रासन, पवनमुक्तासन करें।

👉🏻 गले के लिए-

सर्पासन, सर्वांगासन, हलासन, योगमुद्रा करें।

👉🏻 हृदय रोग के लिए-

शवासन, साइकिल संचालन, सिद्धासन किया करें।

👉🏻 दमा के लिए-

सुप्तवज्रासन, सर्पासन, सर्वांगासन, पवनतुक्तासन, उष्ट्रासन करें।

👉🏻 रक्तचाप के लिए–

योगमुद्रासन, सिद्धासन, शवासन, शक्तिसंचालन क्रिया करें।

👉🏻 सिर दर्द के लिए-

सर्वांगासन, सर्पासन, वज्रासन, धनुरासन, शतुरमुर्गासन करें।

👉🏻 पाचन शक्ति बढ़ाने के लिए-

यानासन, नाभि आसन, सर्वांगासन, वज्रासन करें।

👉🏻 मधुमेह के लिए-

मत्स्यासन, सुप्तवज्रासन, योगमुद्रासन, हलासन, सर्वांगासन, उत्तानपादासन करें।

👉🏻 मोटापा घटाने के लिए–

पवनमुक्तासन, सर्वांगासन, सर्पासन, वज्रासन, नाभि आसन करें।

👉🏻 आंखों के लिए-

सर्वांगासन, सर्पासन, वज्रासन, धनुरासन, चक्रासन करें।

👉🏻 बालों के लिए–

सर्वांगासन, सर्पासन, शतुरमुर्गासन, वज्रासन करें।

👉🏻 प्लीहा के लिए-

सर्वांगासन, हलासन, नाभि आसन, यानासन करें।

👉🏻 कमर के लिए–

सर्पासन, पवनमुक्तासन, सर्वांगासन, वज्रासन, योगमुद्रासन करें।

👉🏻 कद बड़ा करने के लिए-

ताड़ासन, शक्ति संचालन, धनुरासन, चक्रासन, नाभि आसन करें।

👉🏻 कानों के लिए–

सर्वांगासन, सर्पासन, धनुरासन, चक्रासन करें।

👉🏻 नींद के लिए–

सर्वांगासन, सर्पासन, सुप्तवज्रासन, योगमुद्रासन, नाभि आसन करें।
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“ सब धरती कागद करूँ , लेखनी सब बनराय । सात समुद्र की मसि करूँ , गुरु गुण लिखा न जाय ।” भावार्थ :- यदि सारी धरती को कागज़ मान लिया जाए , सारे जंगल - वनों की लकड़ी की कलम बना ली जाए तथा सातों समुद्र स्याही हो जाएँ तो भी हमारे द्वारा कभी हमारे गुरु के गुण नहीं लिखे जा सकते है ।हमारे जीवन मे हमारे गुरु की महिमा सदैव अनंत होती है अर्ची, गुरु का ज्ञान हमारे लिए सदैव असीम और अनमोल होता है । इस जगत मे बहुत कम ऐसे गुरू हुए है जिनको उनकी अपनी सफलता के साथ साथ ही उनके अपने शिष्य की सफलता से पहचान मिली हो ऐसे ही भाग्यशाली गुरू रहे है “रमाकान्त आचरेकर” जिन्हे पूरी दुनिया सचिन तेंदुलकर के क्रिकेट कोच “ क्रिकेट गुरू ” के रूप मे जानती है और इसी रूप मे ही सदैव याद भी रखना चाहती है ! ईश्वर के साम्राज्य मे पहुँचने पर आज गुरू आचरेकर का स्वागत नाराण ने निश्चित तौर पर यही कह कर किया होगा “ क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर के गुरू रमाकान्त आचरेकर जी आईए आपका स्वागत है !!” दिवंगत आचरेकर जी को मेरी विनम्र श्रद्धांजलि !! ================================ Bhardwaj@rchita 03/01/2019

माँ सीता के द्वारा माँ पार्वती स्तुति अयोध्याकाण्ड जय जय गिरिबरराज किसोरी। जय महेस मुख चंद चकोरी।। जय गजबदन षडानन माता। जगत जननि दामिनि दुति गाता।। नहिं तव आदि मध्य अवसाना। अमित प्रभाउ बेदु नहिं जाना।। भव भव विभव पराभव कारिनि। बिस्व बिमोहनि स्वबस बिहारिनि।। [दोहा] पतिदेवता सुतीय महुँ, मातु प्रथम तव रेख। महिमा अमित न सकहिं कहि, सहस सारदा सेष।।235।। सेवत तोहि सुलभ फल चारी। बरदायिनी पुरारि पिआरी।। देबि पूजि पद कमल तुम्हारे। सुर नर मुनि सब होहिं सुखारे।। मोर मनोरथु जानहु नीकें। बसहु सदा उर पुर सबहिं कें।। कीन्हेउँ प्रगट न कारन तेहीं। अस कहि चरन गहे बैदेहीं।। बिनय प्रेम बस भई भवानी। खसी माल मूरति मुसुकानी।। सादर सियँ प्रसादु सिर धरेऊ। बोली गौरि हरषु हियँ भरेऊ।। सुनु सिय सत्य असीस हमारी। पूजिहि मन कामना तुम्हारी।। नारद बचन सदा सुचि साचा। सो बरु मिलिहि जाहिं मनु राचा।। [छंद] मनु जाहिं राचेउ मिलिहि सो बरु, सहज सुंदर साँवरो। करुना निधान सुजान सीलु, सनेहु जानत रावरो।। एहि भाँति गौरि असीस सुनि सिय, सहित हियँ हरषीं अली। तुलसी भवानिहि पूजि पुनि पुनि, मुदित मन मंदिर चली।। [सोरठा] जानि गौरि अनुकूल सिय, हिय हरषु न जाइ कहि। मंजुल मंगल मूल, बाम अंग फरकन लगे।।

गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु गुरुर देवो महेश्वरः गुरुः साक्षात्परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नमः गुरु ब्रह्मा (सृष्टिकर्ता) के समान हैं. गुरु विष्णु (संरक्षक) के समान हैं. गुरु प्रभु महेश्वर (विनाशक) के समान हैं. सच्चा गुरु, आँखों के समक्ष सर्वोच्च ब्रह्म है अपने उस एकमात्र सच्चे गुरु को मैं नमन करती हूँ, कोटि-कोटि प्रणाम करती हूं !! साभार : भारद्वाज अर्चिता