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डॉ.ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का जीवन परिचय

भारत रत्न प्राप्त अवुल पाकिर जैनुल्लाब्दीन अबदुल कलाम, आमतौर पर डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम नाम से जाने जाते हैं। अब्दुल कलाम, भारत देश के 11 वें राष्ट्रपति (2002-2007) थे। डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम वर्ष 2002 में लक्ष्मी सहगल के खिलाफ राष्ट्रपति चुने गए थे। इन्हें भारत के दो प्रमुख राजनीतिक दल, भारतीय जनता पार्टी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी से पूरा समर्थन मिला था। वह मुख्य रूप से एक भारतीय वैज्ञानिक और प्रशासक थे। भारत के राष्ट्रपति बनने से पहले, डॉ. ए.पी.जे. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के साथ एयरोस्पेस इंजीनियर के रूप में काम किया था। प्रक्षेपण यान और बैलिस्टिक मिसाइल प्रौद्योगिकी के विकास पर कार्य करने के कारण उनको ‘मिसाइल मैन ऑफ इंडिया’ नाम की उपाधि दी गई। वर्ष 1974 में प्रारम्भिक परमाणु परीक्षण के बाद वर्ष 1998 में भारत में किए गए पोखरण-द्वितीय परमाणु परीक्षणों ने उनकी भूमिका को एक महत्वपूर्ण राजनीतिक, संगठनात्मक और तकनीकी रूप में सर्वाधिक उजागर किया।

डॉ. ए.पी.जे अब्दुल कलाम ने इंदौर, अहमदाबाद और शिलांग के भारतीय प्रबंधन संस्थानों में एक अतिथि प्रवक्ता के रूप में पढ़ाया। वह भारत के अन्य शोध और शैक्षिक संस्थानों में एक सहायक और अतिथि प्रवक्ता होने के अतिरिक्त, मैसूर के जेएसएस विश्वविद्यालय और चेन्नई के अन्ना विश्वविद्यालय में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के प्रोफेसर भी थे। वह भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरू के मानद सदस्य और तिरुवनंतपुरम के भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान में कुलपति भी थे।

अपनी पुस्तक ‘इंडिया 2020’ में, अब्दुल कलाम ने वर्ष 2020 तक देश को पूरी तरह से विकसित करने वाली योजना की संस्तुति की है। छात्र समुदायों के साथ परस्पर संपर्क और प्रेरक भाषणों ने उन्हें युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय बना दिया। वर्ष 2011 में, उन्होंने भारत के युवाओं के सहयोग से ‘व्हाट कैन आई गिव मूवमेंट’ नामक एक मिशन लॉन्च किया, जिसे देश में व्याप्त भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए लक्षित किया गया था।

संपूर्ण विवरण

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म भारत के तमिलनाडु के रामेश्वरम जिले में 15 अक्टूबर सन् 1931 को एक गरीब और अल्प शिक्षित तमिल परिवार में हुआ था। उनके पिता, जैनुल्लाब्दीन एक नाविक थे और मां असीम्मा एक गृहणी थीं। उन्होंने अपने पिता का हाथ बाटाने के लिए बहुत कम उम्र में ही काम करना शुरू कर दिया था। वह स्कूली अध्ययन में एक औसत दर्जे के विद्यार्थी थे, परन्तु चीजों को सीखने की प्रबल इच्छा होने के कारण, उन्हें हमेशा एक मेहनती और उज्ज्वल छात्र के रूप में देखा गया। खासकर, गणित के लिए वह काफी अध्ययन किया करते थे। डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा रामेश्वरम प्राथमिक स्कूल से पूरी की थी। वर्ष 1954 में, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने तिरुच्चिराप्पली के सेंट जोसेफ कॉलेज से भौतिकी विषय में स्नातक की डिग्री प्राप्त की, जो उस समय मद्रास विश्वविद्यालय से संबद्ध था। वर्ष 1955 में, वह मद्रास (अब चेन्नई) चले गए और मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग का अध्ययन किया। उनका सपना एक लड़ाकू पायलट बनना था, परन्तु परीक्षा में वह नौवें स्थान प्राप्त किया था, जबकि आईएएफ ने केवल आठ परिणाम ही घोषित किये थे। अतः वह उसमें सफल नहीं हो पाये।

कलाम, अपने व्यक्तिगत और व्यवसायी संघर्षों के माध्यम से असफलता के अंधकार से बाहर निकल आये और अग्नि, पृथ्वी, आकाश, त्रिशूल और नाग आदि मिसाइलों के रूप में कई सफल प्रयोग किये, जिसने उनके नाम को भारत में एक उच्च प्रसिद्धि दिला दी और देश की प्रतिष्ठा को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उजागर कर दिया।

मृत्यु

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, शिलांग में व्याख्यान देते समय गंभीर दिल का दौरा पड़ने के कारण 27 जुलाई 2015 को डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम इस संसार को अलविदा कह गये।

एक वैज्ञानिक के रूप में, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का सफर और उपलब्धियाँ

वर्ष 1960 में स्नातक स्तर की पढ़ाई पूरी करने के बाद, डॉ ए.पी.जे. अब्दुल कलाम रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन के वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान में एक वैज्ञानिक के रूप में शामिल हो गए।अपने करियर की शुरुआत में, उन्होंने भारतीय सेना के लिए एक छोटा सा हेलीकॉप्टर तैयार किया।उन्होंने इनकोस्पार (भारतीय राष्ट्रीय समिति) की समिति के हिस्से के रूप में प्रसिद्ध वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के साथ भी काम किया था।वर्ष 1963 से 1964 तक, डॉ ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने रक्षा मैरीलैंड के ग्रीनबेल्ट में स्थित गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर, वर्जीनिया के पूर्वी तट पर स्थित वालप्स फ्लाइट दक्षता और वर्जीनिया के हैम्पटन में स्थित नासा के लैंगली रिसर्च सेंटर का दौरा किया।वर्ष 1965 में, डॉ ए.पी.जे. अब्दुल कलाम रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन की पहली विस्तारणीय रॉकेट परियोजना पर स्वतंत्र रूप से काम किया था। कार्यक्रम का विस्तार वर्ष 1969 में हुआ था, परन्तु सरकारी मंजूरी मिलने के बाद इसमें और भी इंजीनियरों को शामिल किया गया था।वह वर्ष 1969 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में भारत के पहले स्वदेशी सैटेलाइट लॉन्च वाहन (एसएलवी -3) के एक प्रोजेक्ट डायरेक्टर बन गए। जुलाई 1980 में, उनकी टीम पृथ्वी की कक्षा के पास रोहिणी उपग्रह को स्थापित करने में सफल रही थी।वर्ष 1970 से 1990 तक एसएलवी -3 और ध्रुवीय एसएलवी की परियोजनाओं के विकास में डॉ कलाम के प्रयास काफी सफल साबित हुए थे।डॉ कलाम ने परियोजना वालिएंट और प्रोजेक्ट डेविल को निर्देशित किया था जिसका उद्देश्य एसएलवी कार्यक्रम की तकनीक का उपयोग करके बैलिस्टिक मिसाइलों को विकसित करना था, जो सफल भी रहा था।जब इन एयरोस्पेस परियोजनाओं को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अस्वीकार कर दिया था, तब प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपनी विवेकाधीन शक्तियों का उपयोग करते हुए इन्हें एक गुप्त निधि आवंटित की थी।डॉ. कलाम और डॉ. वी. एस. अरुणाचलम ने तत्कालीन रक्षा मंत्री आर. वेंकटरामन के प्रस्ताव पर मिसाइलों के एक क्विवर को विकसित करने के लिए एक साथ काम किया था। डॉ. कलाम को इस कार्यक्रम का मुख्य कार्यकारी बनाया गया, जिसका नाम एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम रखा गया था।उन्होंने, जुलाई 1992 से दिसंबर 1999 तक रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के सचिव के रूप में कार्य किया था तथा प्रधानमंत्री के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार भी रहे थे। इस अवधि में हुए पोखरण द्वितीय परमाणु परीक्षण में डॉ. कलाम ने एक महत्वपूर्ण तकनीकी और राजनीतिक भूमिका निभाई थी। परीक्षण प्रक्रिया के दौरान वह, आर. चिदंबरम के साथ एक मुख्य परियोजना समन्वयक बनाए गए थे।डॉ. कलाम ने वर्ष 1998 में कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. सोमा राजू के साथ एक कम लागत वाली कोरोनरी स्टेंट विकसित की थी। जिसे बाद में “कलाम-राजू स्टेंट” नाम दिया गया था। इन दोनों लोगों ने ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य देखभाल के लिए “कलाम-राजू टैबलेट” नामक एक टैबलेट पीसी भी डिजाइन किया था।

भारत के राष्ट्रपति के रूप में डॉ कलाम का कार्यकाल

10 जून सन् 2002 को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार ने विपक्ष की नेत्री, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को राष्ट्रपति पद के लिए डॉ कलाम का नाम प्रस्तावित किया था।राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और समाजवादी पार्टी ने उनकी उम्मीदवारी का समर्थन किया।डॉ. कलाम ने 25 जुलाई सन् 2002 से 25 जुलाई सन् 2007 तक भारत के राष्ट्रपति के रूप कार्य किया था।डॉ. कलाम ने 922,884 वोट प्राप्त करके विपक्ष के लक्ष्मी सहगल को हराकर चुनाव जीता था, जिन्होंने 107,366 वोट प्राप्त किए थे।डॉ. कलाम, के.आर. नारायणन के बाद भारत के 11 वें राष्ट्रपति के रूप में पदभार संभाला।वे प्रतिष्ठित भारत रत्न जैसे सर्वोच्च नागरिक सम्मान प्राप्त करने वाले भारत के तीसरे राष्ट्रपति थे। इनसे पहले वर्ष 1954 में डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन और वर्ष 1963 में डॉ. जाकिर हुसैन को यह सम्मान प्रदान किया गया था।वह राष्ट्रपति भवन में रहने वाले पहले अविवाहित और वैज्ञानिक थे।डॉ. कलाम को प्यार से पीपुल्स प्रेसिडेंट कहा जाता था।डॉ. कलाम के अनुसार, राष्ट्रपति के रूप में उनके द्वारा उठाए गए सबसे कठिन निर्णयों में लाभ के कार्यालय के बिल पर हस्ताक्षर करना था।दिसंबर 2001 में संसद हमलों में दोषी पाए गए कश्मीरी आतंकवादी अफजल गुरू समेत 21 में से 20 लोगों की दया याचिकाओं के भाग्य के फैसलों की निष्क्रियता के लिए उन्हें एक राष्ट्रपति रूप में आलोचित भी होना पड़ा था।

पुरस्कार और मान्यताएं

वर्ष 1997 में डॉ. कलाम को भारत देश ने रक्षा अनुसंधान के विकास और भारत के रक्षा क्षेत्र में प्रौद्योगिकी के आधुनिकीकरण के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए भारत रत्न जैसे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार के साथ सम्मानित किया था।वर्ष 1990 में, उन्हें डीआरडीओ और इसरो और सरकार के वैज्ञानिक सलाहकार के रूप में कार्य करने के लिए भारत सरकार द्वारा पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।वर्ष 1981 में डॉ. कलाम को पद्म भूषण पुरस्कार प्रदान किया गया था।वर्ष 1998 में, डॉ. कलाम को भारत सरकार द्वारा वीर सावरकर पुरस्कार प्रदान किया गया था।चेन्नई के अलवर रिसर्च सेंटर ने वर्ष 2000 में उन्हें रामानुजन पुरस्कार प्रदान किया।यूके में वॉल्वर हैम्प्टन विश्वविद्यालय ने डॉ. कलाम को वर्ष 2007 में मानद डॉक्टरेट ऑफ साइंस से सम्मानित किया।कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, यूएसए, ने उन्हें वर्ष 2009 में अंतर्राष्ट्रीय वॉन कर्मन विंग्स अवॉर्ड के साथ सम्मानित किया।वर्ष 1997 में, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने उन्हें राष्ट्रीय एकता के लिए इंदिरा गांधी पुरस्कार से सम्मानित किया।उन्हें वर्ष 2009 में यू.एस.ए की एएसएमई फाउंडेशन द्वारा हूवर पदक से सम्मानित किया गया था।ब्रिटेन की रॉयल सोसाइटी ने उन्हें 2007 में किंग चार्ल्स द्वितीय पदक के साथ सम्मानित किया था।वर्ष 2008 में, उन्हें सिंगापुर के नान्यांग तकनीकी विश्वविद्यालय से डॉक्टर ऑफ इंजीनियरिंग (ऑनोरिस कौसा) की उपाधि प्रदान की गई थी।वर्ष 2010 में वाटरलू विश्वविद्यालय ने डॉ. कलाम को डॉक्टर ऑफ इंजीनियरिंग के साथ सम्मानित किया।वर्ष 2011 में, वह आईईईई के मानद सदस्य बने।वर्ष 2012 में, साइमन फ्रेजर विश्वविद्यालय ने उन्हें डॉक्टर ऑफ लॉज (ऑनोरिस कौसा) की उपाधि प्रदान की।वर्ष 2013 में, उन्हें अंतरिक्ष-संबंधित परियोजनाओं के नेतृत्व और प्रबंधन में उत्कृष्टता के लिए, राष्ट्रीय अंतरिक्ष सोसाइटी से वॉन ब्रौन पुरस्कार मिला था।वर्ष 2014 में, उन्हें एडिनबर्ग विश्वविद्यालय, ब्रिटेन से डॉक्टर ऑफ साइंस में मानद उपाधि प्राप्त हुई।वर्ष 2015 में संयुक्त राष्ट्र ने डॉ. कलाम के जन्मदिन को “विश्व छात्र दिवस” ​​के रूप में मान्यता दी।

डॉ कलाम द्वारा लिखित वृत्तचित्र और पुस्तकें

इग्नाइटेड माइंड्स: भारत के भीतर शक्ति को उजागर करनाप्रेरणादायक विचारअदम्य साहसद ल्यूमिनस स्पार्क्सटर्निंग प्वॉइंट्स: चुनौतियों के माध्यम से एक यात्रामेरी यात्रा: सपनों को क्रियाओं में बदलनाफ्लूइड मैकेनिक्स और स्पेस टेक्नोलॉजी में विकास, लेखक डॉ एपीजे अब्दुल कलाम और रोड्डम नरसिम्हाभारत 2020: नये दिव्य युग के लिए एक दृष्टिगोचर, लेखक डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम और वाईएस राजनविंग्स ऑफ फायर: एक आत्मकथा, लेखक डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम और अरुण तिवारीमिशन इंडिया, लेखक डॉ एपीजे अब्दुल कलामएक शक्तिशाली राष्ट्र की कल्पना करना, लेखक डॉ एपीजे अब्दुल कलाम और ए. शिवथनु पिल्लईयू आर बॉर्न टू ब्लॉसम : मेरी यात्रा से परे जाना, लेखक डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम और अरुण तिवारीटारगेट थ्री बिलियन, लेखक डॉ एपीजे अब्दुल कलाम और श्रीजन पाल सिंह

आत्मकथाएँ

ए. पी.जे अब्दुल कलाम: भारत के विजनरी, लेखक के. भूषण और जी कैट्यालइटरनल क्वेस्ट: जीवन और टाइम्स ऑफ डॉ कलाम, एस चंद्रराष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम, लेखक आरके प्रूथीमहात्मा अब्दुल कलाम के साथ मेरे दिन, लेखक फ्रेट ए.के. जॉर्जए लिटिल ड्रीम, पी. धनपाल, मिनीवेली मीडिया वर्क्स प्राइवेट लिमिटेड की एक वृत्तचित्र फिल्म।कलाम प्रभाव: राष्ट्रपति के साथ के मेरे वर्ष, लेखक पी.एम. नायर

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Tags: अब्दुल कलामजीवनीराष्ट्रपति

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