माँ तेरा आँचल नेल्सन
विश्व पटल पर स्थापित कालजयी चरित्र नेल्सन मंडेला के जीवन मे उनकी माँ नेक्यूफी नोसकेनी के योगदान की सच्ची कहानी ॥
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जीवन के 67 वर्ष रंगभेद के विरूद्ध अनवरत लडने वाले, 27 वर्ष तक जेल की लम्बी सजा काटने के बाद बहुजातीय लोकतान्त्रिक अफ्रीका की नींव रखने वाले, 10 मई 1994 को दक्षिण अफ्रीका के प्रथम अश्वेत राष्ट्रपति बनने वाले अंतरराष्ट्रीय स्तर के स्वस्थ छवि वाले नेता नेल्सन मंडेला का जन्म 18 जुलाई 1918 को म्वेज़ो, ईस्टर्न केप, दक्षिण अफ़्रीका संघ में एक कबीले के सरदार “गेडला हेनरी म्फ़ाकेनिस्वा” एवम उनकी तीसरी पत्नी “नेक्यूफी नोसकेनी” के यहाँ हुआ था, माँ की प्रथम सन्तान होने के नाते मंडेला बचपन से लेकर आजीवन अपनी माँ के बेहद करीब थे ! दक्षिण अफ्रीका में लोग जिस नेल्सन मंडेला को उनके रंगभेद विरोधी संघर्ष में योगदान के लिए सम्मान स्वरूप लोकतंत्र के प्रथम संस्थापक, राष्ट्रपिता, राष्ट्रीय मुक्तिदाता, राष्ट्र उद्धारकर्ता एवम मदीबा के नाम से आज याद करते हैं उस नेल्सन मंडेला की प्रेरणा श्रोत केवल उनकी सख्त अनुसाशन प्रिय माँ थी क्योकि : बेहद शरारती, बेहद बिगडा हुआ, एक उपद्ररवी बच्चा अचानक तब बहुत बडा हो गया जब 12 वर्ष की अल्प आयु में उसके सर से पिता का साया उठ गया और एकल माँ की परवरिस पर वह पूरी तरह आधारित हो गया ! लेकिन यह बच्चा यूँ ही एकदम से बडा नही हो गया बल्कि उसे बडा बनाने मे, समझदार बनाने मे, उसकी माँ की अहम भूमिका रही है ! पिता की मौत के बाद एक दिन नेल्सन अपनी माँ से कहते है माँ मै करना तो बहुत कुछ चाहता हूँ पर किसी काम पर खुद को केन्द्रित नही कर पा रहा हूँ ! ना अपनी शिक्षा पर, ना ही अपने गोल पर, ना ही अपने आप पर, बेटे नेल्सन की ऐसी निराशा भरी बातें सुनकर माँ नेक्यूफी नोसकेनी ने अपने बेटे से कुछ शब्द कहे यथा :
“नेल्सन बेहतर होगा पहले आप कुछ करने की ठा नो क्योकि जब आप कुछ करने की ठान लेते हैं तो आप केवल अपने आप पर ही नही बल्कि दुनिया की किसी भी चीज पर काबू पा सकते हैं ! जब तक कोई काम आरम्भ नही किया जाए वह तब तक ही असंभव लगता है ,पूरे मन से एक बार जब काम आरम्भ कर दिया जाता है तो फिर वह पूरा होकर ही रहता है ! ”
अपनी माँ के कहे उपरोक्त शब्दों का 12 वर्ष के बालक नेल्सन पर ऐसा प्रभाव पडा कि उसने माँ के कहे उपरोक्त शब्दों को ही अपने जीवन का मूल मंत्र बना लिया और माँ के इन्ही शब्दों के दम पर आगे चलकर वह दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद के खिलाफ लम्बी लडाई लडते हुए केवल दक्षिण अफ्रीका ही नही बल्कि दुनिया भर में अन्याय के खिलाफ प्रतिरोध करने वाला चेहरा बन गया ! एक ऐसा बच्चा जिसका बचपन मे परिवार द्वारा रखा गया नाम “रोहिल्हाला” ही उसके उपद्ररवी होने का गवाह रहा हो वह बच्चा पिता के बिना केवल अपनी माँ की अकेली किन्तु बेहद मजबूत अनुशासन वाली परवरिस मे खुद को इस दुनिया का इतना नेक चरित्र चेहरा बना दिया कि एक दिन उसे एक राष्ट् को बर्बबरता की दासता से मुक्ति दिलाने हेतु नोबल शांति पुरस्कार से नवाजा गया! जो बच्चा स्कूली दिनो मे शिक्षा के प्रति पूरी तरह गैर जिम्मेदार रहा ! केवल अपने को कबिले के सरदार का बेटा कहलाना पसन्द करता था, वह पिता की अचानक हुई मौत के बाद माँ की देख-रेख मे माँ की परवरिस मे इतना गम्भीर हो गया कि अपने परिवार में पहला व्यक्ति बना जिसने शिक्षा की बडी डिग्री प्राप्त की ! उनकी प्रारम्भिक शुरू हुई शिक्षा क्लार्कबेरी मिशनरी स्कूल में होने से लेकर स्नातक स्तर तक की शिक्षा हेल्डटाउन
कॉलेज में पूरी होने तक उन्हे अपनी माँ का सख्त एवम दोस्ताना सहयोग सदैव मिलता रहा ! ‘हेल्डटाउन’ कॉलेज का नाम आया तो यहाँ उस वक्त की एक बेहद भेद-भावपूर्ण घटना का भी जिक्र करना सही लग रहा है हमे वह यह कि : हेल्डटाउन कालेज उस वक्त अश्वेतों के लिए बनाया गया एक विशेष कॉलेज था उस समय इस कॉलेज के अलावा अश्वेतों को कही और दाखिला लेने की इजाजत नही थी पर नेल्सन इस कॉलेज मे दाखिला लेने को तैयार नही थे क्योकि उनके लिए शिक्षा के स्तर पर रँगभेद का इससे गलत प्रयोग कुछ और नही हो सकता था किन्तु बचपन मे उनसे कहे गए माँ के इन शब्दो को “बेटा दुनिया मे एकमात्र शिक्षा ही वह ताकत है जो सबसे शक्तिशाली हथियार है, क्योकि इस हथियार के दम पर आप केवल किसी एक व्यक्ति को ही नही बल्कि पूरी दुनिया को बदल सकते है फिर वह शिक्षा दुनिया के किसी भी स्थान पर स्थापित किसी भी संस्थान से क्यों न हासिल करनी पडे !” याद करते हुए नेल्सन ने हेल्डटाउन कालेज मे दाखिला ले लिया और यह वही हेल्डटाउन कालेज रहा जहाँ से नेल्सन ने भविष्य मे अश्वेतों के लिए उनके हक की लडाई लडने मे क्रांतिकारी भूमिका निभाया!
माँ हर वक्त ताकत बनकर उनके जीवन मे मौजूद रही फिर चाहे मंडेला के नेतृत्व में MK द्वारा ब्रिटिश राष्ट्रमंडल के खिलाफ अभियान शुरू करके दक्षिण अफ्रीका को गणराज्य घोषित करते हुए ब्रिटिश राष्ट्रमंडल से वापस ले लेने की घटना हो ! चाहे रोबेन आइलैंड (Robben Island) जेल में उनकी 27 साल की बिना बिस्तर, बिना रौशनी के, सिलन भरे एक छोटे से सेल में रहने की त्रासदी भरी सजा हो ! चाहे वर्ष 1982 में मंडेला को Pollsmoor जेल में रखने की घटना हो,चाहे 1989 में नव निर्वाचित राष्ट्रपति एफ डब्ल्यू डी क्लर्क को अपने स्वस्थ संघर्ष के दमपर इस कदर प्रभावित कर देना की क्लर्क द्वारा ANC पर से प्रतिबंध हटा कर दक्षिण अफ्रीका को एक गैर-राष्ट्रवादी दक्षिण अफ्रीका कह कर संबोधित करते हुए रूढ़िवादी विचारधारा को खारिज कर दिया जाना हो, चाहे 11 फरवरी 1990 को मँडेला की रिहई की घटना हो, चाहे दिसम्बर 1993 में नेल्सन मंडेला को नोबल शांति पुरस्कार से सम्मानित किए जाने की महान घटना हो ! इन सब के केन्द्र मे प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से उनकी माँ की परवरिस ही रही ! मंडेला कहा करते थे : “बचपन मे मेरी माँ से मिली शिक्षा और मेरे जीवन मे मेरी माँ का कुशल निर्देशन ही था जिसने मुझमे निडर, साहसी, और अन्याय के विरूद्ध खडा होकर सामना करने का साहस प्रदान किया ! मैं बचपन से ही जातिवाद से बहुत नफरत करता था क्योकि जातिवाद मुझे बर्बरता लगती थी फिर चाहे यह बर्बरता अश्वेत व्यक्ति से आ रही हो अथवा श्वेत व्यक्ति से ! बेजा जातिवाद से नफरत करने के बीज बचपन मे उस समय मेरे भीतर अँकुरित होने शुरू हुए जब घर के बाहर निकलते ही श्वेत-अश्वेत के बीच के फर्क का मै रोज शिकार होता रहता था और घर वापस आकर अपनी माँ से अपना दर्द कहते हुए रो पडता था, मुझे रोता हुआ देखकर मेरी माँ मुझे समझाती “बेटा बहादुर आदमी वह नहीं है जो जीवन मे घटने वाली किसी गलत घटना के डर को महसूस करे और उससे मिलने वाले दर्द पर रोए बल्कि बहादुर आदमी वह होता है जो उस डर को महसूस करते हुए ही अपने भीतर उसे जीत लेने की ताकत पैदा कर ले ” निश्चितरूप से उनकी माँ के यही वह शब्द थे, यही वह प्रेरणा श्रोत थे जिनके दम पर मंडेला ने दुनिया मे वह कर दिखाया जिसे कर पाना किसी अन्य के लिए शायद ही कभी सम्भव हो !
शांति और समझौते की नीति चलाते हुए एक नए बहुजातीय लोकतान्त्रिक अफ्रीका की नींव रखने वाले एवम वर्ष 1994 में अफ्रीका में हुए प्रथम चुनाव मे अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस को 62 प्रतिशत वोट प्राप्त होने के साथ बनाई गयी सरकार के तहत दक्षिण अफ्रीका के प्रथम अश्वेत राष्ट्पति बनने वाले नेल्सन मंडेला को नवम्बर 2009 - 2010 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने रंगभेद विरोधी संघर्ष हेतु उनके सतत योगदान का सम्मान करते हुए उनके जन्मदिन 18 जुलाई को ‘अंतरराष्ट्रीय मंडेला दिवस’ घोषित किया और मंडेला द्वारा 67 साल तक रंगभेद आन्दोलन से जुड़े रहने के उपलक्ष्य में दुनिया भर के नागरिको से 18 जुलाई के दिन पूरे 24 घण्टों में से अपना 67 मिनट दूसरों की मदद करने में दान देने का आग्रह किया गया !
आज 18 जुलाई को बाल कानून विशेषज्ञ विभांशु जोशी @Vibhanshu Joshi SmileyLive एवम पत्रकार भारद्वाज अर्चिता ने भी एक छोटा सा प्रयास किया है एक नए पहलू पर रखकर नेल्सन मंडेला के जीवन मे उनकी माँ के योगदान पर प्रकाश डालते हुए इस वर्ष Mother's Day 12 मई 2019 पर शुरू की गयी माँ को समर्पित अपनी लेख श्रृंखला “ माँ तेरा आँचल जो हमेशा साथ रहता है ” के अन्तर्गत संयुक्त रूप से यह स्टोरी तैयार किया है उम्मीद है नेल्सन मंडेला के जन्मदिन पर उन्हे याद करने का हमारा यह प्रयास आप पाठकों को पसन्द आएगा ॥===================
कलम से :
बाल कानून विशेषज्ञ विभांशु जोशी@SmileyLive
एवम पत्रकार भारद्वाज अर्चिता !!
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