apni sachchi sachchai
मुझे आज भी नही पता लडकियो वाले मेकअप करते कैसे है ! ना ही फाउंडेशन के बारे में ही पता है ! फिमेल मित्र मण्डली मे “ब्लीच, फेशियल, क्लीनअप,” पर बतकही के अन्तर्गत नाम तो बहुत सुने है पर सच मे मुझे ब्लीच, फेशियल, क्लीनअप, करवाने का भी कुछ नही पता ! भौंहे बनवाती हूँ वह भी इस लिए की भगवान जी ने ढंग से सैप नहीं दिया है थोडी घनी और बेतरतीब है पर इन्हे भी सैप देने का काम घर पर बडी बहन से करवाती हूँ ! सिर पर बाल लम्बे पसन्द है तो कभी दीदी द्वारा तो कभी खुद के हाथ से ही ट्रीम कर लेती हूँ । स्टाइलिश कपड़े पहनने का भी कोई कोई सेंस मुझे नहीं है इसलिए बहुत साधारण तरीके की ड्रेस पहनना ही पसन्द करती हूँ ! सच्ची - सच्ची कहूँ तो स्टाइल के मामले मे “मै” और मेरी जिन्दगी अजीब बिखरी-बिखरी सी है ! अगर कुछ बारीकी के साथ व्यवस्थित रूप से करने आता है मुझे तो वह है जायकेदार लजीज खाना बनाना और प्रेम से पूरी टसन पूरी स्टाइल के साथ परोस परोस कर औरो को खिलाना एव विविध गुणो से भरपूर जायकेदार लजीज हेल्दी लेखन करना और अपने प्रिय पाठकों को पढ़ने का न्योता देना ! इसके अलावा अगर office ना हो तो पूरे दिन घर पर रहना केवल घर पर रहना और मुझे लगता है अर्ची उपरोक्त तुम्हारे तीन प्रिय कार्यो खाना बनाना लेखन करना एवम छुट्टी के दिन पूरे दिन घर पर ही रहने के लिए मेकअप सेन्स, एवम स्टाइलिश ड्रेस सेंस की कोई खास जरूरत नही होती है ! औरो का नही पता पर मुझे तो सदैव यही लगता है कि : अपने साधारण रहन - सहन के चलते मै अपने उन लोगो के बेहद करीब हूँ जो मेरी कलम के आधारभूत रचनात्मक तत्व की तत्त्व मीमांसा ( Element theory ) है !
आग्रह है : मेरी उपरोक्त अभिव्यक्ति पर किसी को भी नाराजगी नही होनी चाहिए क्योकि यह भाव मेरे अपने है केवल अपने लिए अपने आपको केन्द्र मे रखकर। किसी और को दुख पहुँचाने का मेरा इरादा नही है !
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कलम से :
भारद्वाज अर्चिता
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