चंद्रयान - 2

आइए अंतरिक्ष विज्ञान में रुचि रखने वाले देश के उज्ज्वल भविष्य युवाओं एवम अंतरिक्ष विज्ञान के छात्रों के साथ वर्तमान में देश के भीतर घटने जा रही एक गौरवपूर्ण ऐतिहासिक घटना चंद्रयान - 2 पर प्रकाश डालते हैं !
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चंद्रयान - 2 भारत का चंद्रयान -1 के बाद दूसरा चंद्र अन्वेषण अभियान है, जिसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसन्धान संगठन (इसरो) ने विकसित किया है। अभियान को
जीएसएलवी संस्करण 3 प्रक्षेपण यान द्वारा प्रक्षेपण करने की योजना है। इस अभियान में भारत में निर्मित एक चंद्र कक्षयान, एक रोवर एवं एक लैंडर शामिल होंगे। इस सब का विकास इसरो द्वारा किया जायेगा। भारत चंद्रयान - 2 को 15 July 2019 याने - के कल दिन सोमवार को प्रक्षेपण करने की योजना बनायी गयी है।
चंद्रयान 2 - मिशन प्रकार चन्द्र कक्षयान, लैंडर तथा रोवर संचालक (ऑपरेटर)भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन! मिशन अवधि कक्षयान : 1 वर्ष ! विक्रम लैंडर : 15 दिन, प्रज्ञान रोवर : 15 दिन अंतरिक्ष यान के गुण निर्माता भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन लॉन्च वजन कुल योग 3,877 कि॰ग्राम (8,547 पौंड) पेलोड वजन कक्षयान 2,379 कि॰ग्राम (5,245 पौंड)
विक्रम लैंडर: 1,471 कि॰ग्राम (3,243 पौंड)
प्रज्ञान रोवर: 27 कि॰ग्राम (60 पौंड)ऊर्जा,
कक्षयान: 1 किलोवाट विक्रम लैंडर: 650 वाट
प्रज्ञान रोवर: 50 वाटमिशन का आरंभप्रक्षेपण तिथि14 जुलाई 2019, 21:21 यु.टी.सी (योजना)
रॉकेट भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान संस्करण 3 प्रक्षेपण स्थल सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र ठेकेदार भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन चन्द्रमा कक्षीयानकक्षीय निवेशन सितंबर 6, 2019 ! चंद्रयान - 2 लैंडर और रोवर चंद्रमा पर लगभग 70° दक्षिण के अक्षांश पर स्थित दो क्रेटरों मज़िनस सी और सिमपेलियस एन के बीच एक उच्च मैदान पर उतरने का प्रयास करेगा। पहिएदार रोवर चंद्र सतह पर चलेगा और जगह का रासायनिक विश्लेषण करेगा। पहिएदार रोवर चन्द्रमा की सतह पर चलेगा तथा वहीं पर विश्लेषण के लिए मिट्टी एवम चट्टान के नमूनों को एकत्र करेगा। आंकड़ों को चंद्रयान - 2 कक्षयान के माध्यम से पृथ्वी पर भेजा जायेगा।
इतिहास : 12 नवम्बर 2007 को इसरो और रूसी अंतरिक्ष एजेंसी (रोसकोसमोस) के प्रतिनिधियों ने चंद्रयान - 2 परियोजना पर साथ काम करने के एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। ऑर्बिटर तथा रोवर की मुख्य जिम्मेदारी इसरो की होगी तथा रोसकोसमोस लैंडर के लिए जिम्मेदार होगा ! उस वक्त की भारत सरकार ने 18 सितंबर 2008 को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में आयोजित केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस अभियान को स्वीकृति दी थी। अंतरिक्ष यान के डिजाइन को अगस्त 2009 में पूर्ण कर लिया गया जिसमे दोनों देशों के वैज्ञानिकों ने अपना संयुक्त योगदान दिया !
हालांकि इसरो ने चंद्रयान - 2 कार्यक्रम के अनुसार पेलोड को अंतिम रूप दिया। परंतु अभियान को जनवरी 2013 में स्थगित कर दिया गया। तथा अभियान को 2016 के लिये पुनर्निर्धारित किया गया क्योंकि रूस लैंडर को समय पर विकसित करने में असमर्थ था। रोसकोसमोस को बाद में मंगल ग्रह के लिए भेज़े फोबोस-ग्रन्ट अभियान मे मिली विफलता के कारण चंद्रयान - 2 कार्यक्रम से अलग कर दिया गया। तथा यही से भारत ने चंद्र मिशन को स्वतंत्र रूप से विकसित करने का फैसला किया।
अंतरिक्ष यान चंद्रयान - 2 के इस अभियान को श्रीहरिकोटा द्वीप के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान द्वारा भेजे जाने की योजना है; उड़ान के समय इसका वजन लगभग 3,250 किलो होगा। दिसंबर 2015 को, इस अभियान के लिये 603 करोड़ रुपये की लागत आवंटित की गई।
ऑर्बिटर का क्या योगदान होगा चंद्रयान - 2 के लिए :
ऑर्बिटर 100 किलोमीटर की ऊंचाई पर चन्द्रमा की परिक्रमा करेगा ! इस अभियान में ऑर्बिटर को पांच पेलोड के साथ भेजे जाने का निर्णय लिया गया है। तीन पेलोड नए हैं, जबकि दो अन्य चंद्रयान - 1 ऑर्बिटर पर भेजे जाने वाले पेलोड के उन्नत संस्करण हैं। उड़ान के समय इसका वजन लगभग 1400 किलो होगा। ऑर्बिटर उच्च रिज़ॉल्यूशन कैमरा (Orbiter High Resolution Camera) लैंडर के ऑर्बिटर से अलग होने पूर्व लैंडिंग साइट के उच्च रिज़ॉल्यूशन तस्वीर देगा।ऑर्बिटर और उसके जीएसएलवी प्रक्षेपण यान के बीच इंटरफेस को अंतिम रूप दे दिया है।
लैंडर के कार्य : 
चन्द्रमा की सतह से टकराने वाले चंद्रयान-1 के मून इम्पैक्ट प्रोब के विपरीत, लैंडर धीरे-धीरे नीचे उतरेगा।लैंडर किसी भी वैज्ञानिक गतिविधियों का प्रदर्शन नहीं करेंगे। लैंडर तथा रोवर का वजन लगभग 1250 किलो होगा। प्रारंभ में, लैंडर रूस द्वारा भारत के साथ सहयोग से विकसित किए जाने की उम्मीद थी। जब रूस ने 2015 से पहले लैंडर के विकास में अपनी असमर्थता जताई। तो भारतीय अधिकारियों ने स्वतंत्र रूप से लैंडर को विकसित करने का निर्णय लिया। रूस लैंडर को रद्द करने का मतलब था। कि मिशन प्रोफ़ाइल परिवर्तित हो जाएगी। स्वदेशी लैंडर की प्रारंभिक कॉन्फ़िगरेशन का अध्ययन 2013 में अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (SAC), अहमदाबाद द्वारा पूरा किया गया।
चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग के लिए अनुसंधान दल ने लैंडिंग विधि की पहचान की। और इससे जुड़े प्रौद्योगिकियों का अध्ययन किया। इन प्रौद्योगिकियों में उच्च संकल्प कैमरा, नेविगेशन कैमरा, खतरा परिहवन  कैमरा, एक मुख्य तरल इंजन (800 न्यूटन) और अल्टीमीटर, वेग मीटर, एक्सीलेरोमीटर और इन घटकों को चलाने के लिए सॉफ्टवेयर आदि है। लैंडर के मुख्य इंजन को सफलतापूर्वक 513 सेकंड की अवधि के लिए परीक्षण किया जा चुका है। सेंसर और सॉफ्टवेयर के बंद लूप सत्यापन परीक्षण 2016 के मध्य में परीक्षण करने की योजना बनाई है। लैंडर के इंजीनियरिंग मॉडल को कर्नाटक के चित्रदुर्ग जिले के चुनलेरे में अक्टूबर 2016 के अंत में भूजल और हवाई परीक्षणों के दौर से गुजरना शुरू किया। इसरो ने लैंडिंग साइट का चयन करने के लिए और लैंडर के सेंसर की क्षमता का आकलन करने में सहायता के लिए करीब 10 क्रेटर बनाए है !
सब सिस्टम मात्रा :
वजन(किलोग्राम)पावर(वाट)जड़त्वीय नेविगेशन प्रणाली 120100स्टार ट्राकर 2615अल्टीमीटर 21.58वेलोसिटी मीटर 21.58इमेजिंग सेंसर 225 रोवर
चन्द्रयान - 2 रोवर का वजन 20 - 30 किलो के बीच होगा और सौर ऊर्जा द्वारा संचालित होगा ! रोवर चन्द्रमा की सतह पर पहियों के सहारे चलेगा, मिट्टी और चट्टानों के नमूने एकत्र करेगा, उनका रासायनिक विश्लेषण करेगा और डाटा को ऊपर ऑर्बिटर के पास भेज देगा जहां से इसे पृथ्वी के स्टेशन पर भेज दिया जायेगा !
प्रारंभिक योजना में रोवर को रूस में डिजाइन और भारत में निर्मित किया जाना था। हालांकि, रूस ने मई 2010 को रोवर को डिजाइन करने से जब मना कर दिया तो इसरो ने रोवर के डिजाइन और निर्माण खुद करने का फैसला किया। आईआईटी कानपुर ने गतिशीलता प्रदान करने के लिए रोवर के तीन उप प्रणालियों को विकसित किया ! त्रिविम कैमरा आधारित 3डी दृष्टि - जमीन टीम को रोवर नियंत्रित के लिए रोवर के आसपास के इलाके की एक 3डी दृश्य को प्रदान करेगा।काइनेटिक कर्षण नियंत्रण - इसके द्वारा रोवर को चन्द्रमा की सतह पर चलने में सहायक होगा और अपने छह पहियों पर स्वतंत्र से काम करने की क्षमता प्रदान होगी।
नियंत्रण और मोटर गतिशीलता - रोवर के छह पहियों होंगे, प्रत्येक स्वतंत्र बिजली की मोटर के द्वारा संचालित होंगे। इसके चार पहिए स्वतंत्र स्टीयरिंग में सक्षम होंगे। कुल 10 बिजली की मोटरों कर्षण और स्टीयरिंग के लिए इस्तेमाल कि जाएगी।
पेलोड : इसरो ने घोषणा की है कि एक विशेषज्ञ समिति के निर्णय के अनुसार ऑर्बिटर पर पांच तथा रोवर पर दो पेलोड भेजे जायेंगे !  हालांकि शुरुआत में बताया गया था कि नासा तथा ईएसए भी इस अभियान में भाग लेंगे और ऑर्बिटर के लिए कुछ वैज्ञानिक उपकरणों को प्रदान करेंगे, इसरो ने बाद में स्पष्ट किया कि वजन प्रतिबंधों के चलते वह इस अभियान पर किसी भी गैर-भारतीय पेलोड को साथ नहीं ले जायेगी !
ऑर्बिटर पेलोड चन्द्र सतह पर मौजूद प्रमुख तत्वों की मैपिंग (मानचित्रण) के लिए इसरो उपग्रह केन्द्र (ISAC), बंगलौर से लार्ज एरिया सॉफ्ट एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (क्लास) और फिजिकल रिसर्च लेबोरेटरी (PRL),  अहमदाबाद से सोलर एक्स-रे मॉनिटर (XSM) ! स्पेस एप्लीकेशन सेंटर (SAC), अहमदाबाद से एल और एस बैंड सिंथेटिक एपर्चर रडार (एसएआर); चन्द्र सतह पर वॉटर आइस (बर्फीले पानी) सहित अन्य तत्वों की खोज के लिए ! एसएआर से चन्द्रमा के छायादार क्षेत्रों के नीचे वॉटर आइस की उपस्थिति की पुष्टि करने वाले और अधिक साक्ष्य प्रदान किये जाने की उम्मीद है।स्पेस एप्लीकेशन सेंटर (SAC), अहमदाबाद से इमेजिंग आईआर स्पेक्ट्रोमीटर (IIRS); खनिज, पानी, तथा हाइड्रॉक्सिल की मौजूदगी संबंधी अध्ययन हेतु चन्द्रमा की सतह के काफी विस्तृत हिस्से का मानचित्रण करने के लिए अंतरिक्ष भौतिकी प्रयोगशाला (SPL), तिरुअनंतपुरम से न्यूट्रल मास स्पेक्ट्रोमीटर (ChACE2); चन्द्रमा के बहिर्मंडल के विस्तृत अध्ययन के लिए.स्पेस एप्लीकेशन सेंटर (SAC), अहमदाबाद से टेरेन मैपिंग कैमरा-2 (टीएमसी-2); चन्द्रमा के खनिज-विज्ञान तथा भूविज्ञान के अध्ययन के लिए आवश्यक त्रिआयामी मानचित्र को तैयार करने के लिए लैंडर पेलोड से इस मोमीटर - लैंडिंग साइट के पास भूकंप के अध्ययन के लिए थर्मल प्रोब - चंद्रमा की सतह के तापीय गुणों का आकलन करने के लिए लॉंगमोर प्रोब - घनत्व और चंद्रमा की सतह प्लाज्मा मापने के लिए रेडियो प्रच्छादन प्रयोग - कुल इलेक्ट्रॉन सामग्री को मापने के लिए रोवर पेलोड लेबोरेट्री फॉर इलेक्ट्रो ऑप्टिक सिस्टम्स (LEOS), बंगलौर से लेजर इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप(LIBS) PRL, अहमदाबाद से अल्फा पार्टिकल इंड्यूस्ड एक्स-रे स्पेक्ट्रोस्कोप (APIXS) लिया गया है !
विशेष नोट :
इसरो द्वारा चंद्रयान - 2 को भारतीय समयानुसार 15 जुलाई 2019 की तड़के सुबह 2 बजकर 51 मिनट (24 घण्टें के रूप में) में प्रक्षेपण करने की योजना है !!
Good Luck My Nation👍
Good Luck My India👍
Good Luck चंद्रयान-2 भारतीय चंद्र अन्वेषण अभियान 2019( इसरो )👍
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@Bhardwaj Archita

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