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लता मंगेशकर

विश्व एवं भारत की प्रमुख पार्श्व गायिका तथा भारत रत्न से सम्मानित हस्ती

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लता मंगेशकर (जन्म 28 सितंबर1929 इंदौर) भारत की सबसे लोकप्रिय और आदरणीय गायिका हैं, जिनका छ: दशकों का कार्यकाल उपलब्धियों से भरा पड़ा है। हालाँकि लता जी ने लगभग तीस से ज्यादा भाषाओं में फ़िल्मी और गैर-फ़िल्मी गाने गाये हैं लेकिन उनकी पहचान भारतीय सिनेमा में एक पार्श्वगायक के रूप में रही है। अपनी बहन आशा भोंसले के साथ लता जी का फ़िल्मी गायन में सबसे बड़ा योगदान रहा है।

लता मंगेशकर
सन २०१४ में लता जीजन्महेमा मंगेशकर
28 सितम्बर 1929 (आयु 89)[1]
इन्दौरइन्दौर राज्यसेन्ट्रल इंडिया एजेन्सीब्रितानी भारत
(वर्तमान मध्य प्रदेशभारत)राष्ट्रीयताभारतीयअन्य नामस्वर-साम्राज्ञी" ; "राष्ट्र की आवाज" ; "सहराब्दी की आवाज" ; "भारत कोकिला"व्यवसायपार्श्वगायिकासंगीत निदेशक, निर्मातामाता-पितादीनानाथ मंगेशकर (पिता)
शेवन्ती मंगेशकर (माता)संबंधीमीना खाडीकर् (बहन)
आशा भोसले (बहनr)
ऊषा मंगेशकर (बहन)
हृदयनाथ मंगेशकर (भाई)पुरस्कार

राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारBFJA AwardsFilmfare Award for Best Female Playback Singerफिल्मफेयर विशेष पुरस्कारफिल्मफेयर आजीवन लब्धि पुरस्कार

हस्ताक्षर

लता की जादुई आवाज़ के भारतीय उपमहाद्वीप के साथ-साथ पूरी दुनिया में दीवाने हैं। टाईम पत्रिका ने उन्हें भारतीय पार्श्वगायन की अपरिहार्य और एकछत्र साम्राज्ञी स्वीकार किया है।

बचपनसंपादित करें

लता मंगेशकर की बचपन की छबि

लता का जन्म मराठी ब्रम्हण परिवार में, मध्य प्रदेश के इंदौरशहर में सबसे बड़ी बेटी के रूप में पंडित दीनानाथ मंगेशकरके मध्यवर्गीय परिवार में हुआ। उनके पिता रंगमंच एलजीके कलाकार और गायक थे। इनके परिवार से भाई हृदयनाथ मंगेशकर और बहनों उषा मंगेशकरमीना मंगेशकर और आशा भोंसले सभी ने संगीत को ही अपनी आजीविका के लिये चुना।

हालाँकि लता का जन्म इंदौर में हुआ था लेकिन उनकी परवरिश महाराष्ट्र मे बचपन से ही गायक बनना चाहती थीं। बचपन में कुन्दन लाल सहगल की एक फ़िल्म चंडीदास देखकर उन्होने कहा था कि वो बड़ी होकर सहगल से शादी करेगी। पहली बार लता ने वसंग जोगलेकर द्वारा निर्देशित एक फ़िल्म कीर्ती हसाल के लिये गाया। उनके पिता नहीं चाहते थे कि लता फ़िल्मों के लिये गाये इसलिये इस गाने को फ़िल्म से निकाल दिया गया। लेकिन उसकी प्रतिभा से वसंत जोगलेकर काफी प्रभावित हुये। पिता की मृत्यु के बाद (जब लता सिर्फ़ तेरह साल की थीं), लता को पैसों की बहुत किल्लत झेलनी पड़ी और काफी संघर्ष करना पड़ा। उन्हें अभिनय बहुत पसंद नहीं था लेकिन पिता की असामयिक मृत्यु की वज़ह से पैसों के लिये उन्हें कुछ हिन्दी और मराठीफ़िल्मों में काम करना पड़ा। अभिनेत्री के रूप में उनकी पहली फ़िल्म पाहिली मंगलागौर (1942) रही, जिसमें उन्होंने स्नेहप्रभा प्रधान की छोटी बहन की भूमिका निभाई। बाद में उन्होंने कई फ़िल्मों में अभिनय किया जिनमें, माझे बालचिमुकला संसार (1943), गजभाऊ (1944), बड़ी माँ(1945), जीवन यात्रा (1946), माँद (1948), छत्रपति शिवाजी (1952) शामिल थी। बड़ी माँ, में लता ने नूरजहाँके साथ अभिनय किया और उसके छोटी बहन की भूमिका निभाई आशा भोंसलेने। उन्होंने खुद की भूमिका के लिये गाने भी गाये और आशा के लिये पार्श्वगायन किया।

वर्ष 1942 ई में लताजी के पिताजी का देहांत हो गया इस समय इनकी आयु मात्र तेरह वर्ष थी. भाई बहिनों में बड़ी होने के कारण परिवार की जिम्मेदारी का बोझ भी उनके कंधों पर आया गया था. दूसरी ओर उन्हें अपने करियर की तलाश भी थी. जिस समय लताजी ने (1948) में पार्श्वगायिकी में कदम रखा तब इस क्षेत्र में नूरजहांअमीरबाई कर्नाटकीशमशाद बेगम और राजकुमारी आदि की तूती बोलती थी. ऐसे में उनके लिए अपनी पहचान बनाना इतना आसान नही था. लता का पहला गाना एक मराठी फिल्म कीति हसाल के लिए था, मगर वो रिलीज नहीं हो पाया.

1945 में उस्ताद ग़ुलाम हैदर (जिन्होंने पहले नूरजहाँ की खोज की थी) अपनी आनेवाली फ़िल्म के लिये लता को एक निर्माता के स्टूडियो ले गये जिसमे कामिनी कौशल मुख्य भूमिका निभा रही थी। वे चाहते थे कि लता उस फ़िल्म के लिये पार्श्वगायन करे। लेकिन गुलाम हैदर को निराशा हाथ लगी। 1947 में वसंत जोगलेकर ने अपनी फ़िल्म आपकी सेवा में में लता को गाने का मौका दिया। इस फ़िल्म के गानों से लता की खूब चर्चा हुई। इसके बाद लता ने मज़बूर फ़िल्म के गानों "अंग्रेजी छोरा चला गया" और "दिल मेरा तोड़ा हाय मुझे कहीं का न छोड़ा तेरे प्यार ने" जैसे गानों से अपनी स्थिती सुदृढ की। हालाँकि इसके बावज़ूद लता को उस खास हिट की अभी भी तलाश थी।

1949 में लता को ऐसा मौका फ़िल्म "महल" के "आयेगा आनेवाला" गीत से मिला। इस गीत को उस समय की सबसे खूबसूरत और चर्चित अभिनेत्री मधुबाला पर फ़िल्माया गया था। यह फ़िल्म अत्यंत सफल रही थी और लता तथा मधुबाला दोनों के लिये बहुत शुभ साबित हुई। इसके बाद लता ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

पुरस्कारसंपादित करें

लता जी की युवावस्था की छबि

फिल्म फेयर पुरस्कार (1958, 1962, 1965, 1969, 1993 and 1994)राष्ट्रीय पुरस्कार (1972, 1975 and 1990)महाराष्ट्र सरकार पुरस्कार (1966 and 1967)1969 - पद्म भूषण1974 - दुनिया में सबसे अधिक गीत गाने का गिनीज़ बुक रिकॉर्ड1989 - दादा साहब फाल्के पुरस्कार1993 - फिल्म फेयर का लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार1996 - स्क्रीन का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार1997 - राजीव गान्धी पुरस्कार1999 - एन.टी.आर. पुरस्कार1999 - पद्म विभूषण1999 - ज़ी सिने का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार2000 - आई. आई. ए. एफ. का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार2001 - स्टारडस्ट का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार2001 - भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान "भारत रत्न"2001 - नूरजहाँ पुरस्कार2001 - महाराष्ट्र भूषणपिता दिनानाथ मंगेशकर शास्त्रीय गायक थे।उन्होने अपना पहला गाना मराठी फिल्म 'किती हसाल' (कितना हसोगे?) (1942) में गाया था।लता मंगेशकर को सबसे बड़ा ब्रेक फिल्म महल से मिला। उनका गाया "आयेगा आने वाला" सुपर डुपर हिट था।लता मंगेशकर अब तक 20 से अधिक भाषाओं में 30000 से अधिक गाने गा चुकी हैं।लता मंगेशकर ने 1980 के बाद से फ़िल्मो में गाना कम कर दिया और स्टेज शो पर अधिक ध्यान देने लगी।लता ही एकमात्र ऐसी जीवित व्यक्ति हैं जिनके नाम से पुरस्कार दिए जाते हैं।लता मंगेशकर ने आनंद घन बैनर तले फ़िल्मो का निर्माण भी किया है और संगीत भी दिया है।वे हमेशा नंगे पाँव गाना गाती हैं।

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

बाहरी कड़ियाँ

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