Fathers Day

        Father,s Day 16 june 2019
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जून माह के तीसरे रविवार को विश्व भर मे सेलिब्रेट किया जाने वाला पिता को समर्पित फादर्स डे ( पितृ दिवस ) दो महान बेटियों “ ग्रेस गोल्डेन क्लेटन एवम सोनोरा स्मार्ट डोड” के अथक प्रयास का प्रतिफल है, एक ऐसा प्रयास जिसने राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन को भी बाध्य कर दिया इस कानून पर हस्ताक्षर करने के लिए ।
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कहते हैं एक माँ अपने बच्चों के लिए अगर गंगा जैसी शीतल, निर्मल, पवित्र होती है तो वही एक पिता अपने बच्चों के लिए रक्षा कवच के रूप में हिमालय जितना दृढ़, अडिग, मजबूत, होता है ! माँ और पिता दोनों अपने बच्चों की दुनिया के पूरक होते है !
मनोविज्ञान एवं विज्ञान भी यह परिभाषित करता है कि : बेटों से कहीं ज्यादे बेटियां अपने पिता के दिल के करीब होती है, और स्वयम बेटियों के दिल के करीब माँ से कही ज्यादे उनका पिता होता है ! इत्तेफाक देखिए प्रत्येक वर्ष के जून माह के प्रत्येक तीसरे रविवार को मनाए जाने वाले फादर्स डे को सरकार द्वारा आधिकारिक रूप से कानूनी तौर पर अनुमति एवम मान्यता दो महान बेटियों ने ही दिलवाया ! विश्व भर के पिता को फादर्स डे की बधायी देते हुए आज फादर्स डे के औसर पर बाल कानून विशेषज्ञ विभांशु जोशी @Vibhanshu Joshi SmileyLive एवम पत्रकार भारद्वाज अर्चिता संयुक्त रूप से कलमबद्ध करके आप पाठकों एवं हमारे राष्ट्र नीधि बच्चों के लिए ले आए है World Father,s Day के आरम्भ होने से जुडी कुछ रोचक और अनोखे इतिहास से लबरेज सच्ची कहानी यथा :
फादर्स डे दुनिया भर के बेटों - बेटियों द्वारा अपने पिता के सम्मान में व्यापक रूप से मनाया जाने वाला वह सुंदर पर्व हैं जिसमे पितृत्व (फादरहुड-fatherhood), Bonding between father, Daughter & son, तथा हमारे समाज में पिता के प्रभाव व त्याग को समारोह पूर्वक मनाया जाता है। दुनिया भर के देशों में फादर्स डे जून के तीसरे रविवार, को मनाया जाता है। साफ शब्दों मे कहा जाए तो इसे माँ को समर्पित मदर्स डे (मातृ-दिवस) का पूरक भी माना जा सकता है।
फादर्स डे की शुरुआत बीसवीं सदी के प्रारंभ में पुरुषों द्वारा त्यागपूर्ण पिता धर्म को निभाते हुए अपने बच्चों को दी गयी आदर्श परवरिश का सम्मान करने के लिये 
एक पवित्र उत्सव के रूप में हुई ! विश्व भर मे यह पर्व प्रतीक है हमारे पूर्वजों की स्मृति और उनके सम्मान का । फादर्स डे के आयोजन की मुख्य वजह विश्व भर में जो मानी जाती है वह है बच्चों द्वारा अपने पिता को उपहार देना, पिता के लिये विशेष भोज देना, पिता को इस एक विशेष दिन अच्छा महसूस करवाना एवं पारिवारिक गतिविधियाँ सुचारू रूप से हैण्डिल करना।
आम धारणा के विपरीत,फादर्स डे का इतिहास कुछ इस प्रकार से है सबसे पहले पश्चिम वर्जीनिया के फेयरमोंट में 5 जुलाई 1908 को प्रथम बार सार्वजनिक
रूप से फादर्स डे मनाया गया था। यह फादर्स डे एक  श्रद्धांजलि स्वरूप आयोजन था उन 210 पिताओं के लिए जो 6 दिसम्बर वर्ष 1907 को मोनोंगाह, पश्चिम वर्जीनिया में एक खान दुर्घटना में मारे गए थे ! पिता के सम्मान में इस विशेष दिवस का आयोजन श्रीमती ग्रेस गोल्डन क्लेटन ने किया था। प्रथम फादर्स डे आयोजन का गवाह वह चर्च आज भी सेन्ट्रल यूनाइटेड मेथोडिस्ट चर्च के नाम से फेयरमोंट में मौजूद है जहाँ यह श्रद्धांजलि सभा आयोजित कर फादर्स डे मनाने की प्रथम बार सामूहिक एवम सामाजिक रूप से गैर सरकारी घोषणा करते हुए एक महान बेटी ग्रेस गोल्डन क्लेटन ने सरकार एवम अमेरिका की कांग्रेस ( राज्य विधायिका ) से फादर्स डे के लिए इस एक दिन को आधिकारिक छुट्टी के रूप में दर्ज करने की माँग किया था किन्तु उनकी यह माँग सरकार द्वारा पूरी तरह से नकार दी गयी,! लेकिन ग्रेस गोल्डन के अथक प्रयास की इस लौ को दुनिया की दूसरी महान बेटी सोनोरा स्मार्ट डोड ने बुझने नही दिया परिणाम स्वरूप 19 जून 1909 को वॉशिंगटन के शहर स्पोकेन में वाईएमसीए में आधिकारिक रूप से फादर्स डे समारोह मनाया गया ! यह समारोह पूरी तरह सोनोरा स्मार्ट डोड के पिता विलियम जैक्सन स्मार्ट के त्याग को समर्पित था जो कि एक सिंगल पैरेंट थे, जिन्होंने अकेले दम पर अपने छह बच्चों की कुशल देख भाल एवम परवरिश किया था। साथ ही वह ओल्ड सेंटेनरी प्रेस्बिटेरियन चर्च के सदस्य भी थे। सोनोरा स्मार्ट डोड ने पहली बार 1909 में सेंट्रल मेथोडिस्ट एपिस्कोपल चर्च में पादरी से कहा कि मदर्स डे की तरह ही समाज मे पिता को सम्मान देने के लिए भी एक सम्मान अवकाश होना चाहिए इसके लिए उसने चर्च के पादरी से 5 जून को अपने पिता के जन्मदिन को फादर्स डे घोषित करने का सुझाव दिया था !
इस प्रकार सोनोरा ने 19 जून 1910 को यह बात सामाजिक रूप से कही कि वह अपने पिता विलियम स्मार्ट जैसे दुनिया भर के अन्य पिताओं के सम्मान में फादर्स डे का उत्सव आयोजित करना चाहती है,! सोनोरा के पिता विलियम स्मार्ट जो कि एक सेवानिवृत्त सैनिक थे तथा जिन्होंने छठे बच्चे के जन्म के समय, जब सोनोरा 16 वर्ष की थी, अपनी पत्नी की मृत्यु के बाद अपने परिवार की अकेले दम पर परवरिश की थी,!
ओल्ड सेन्टेनरी प्रेस्बिटेरियन चर्च (अब नौक्स प्रेस्बिटेरियन चर्च) के पादरी डॉ कोनराड ब्लुह् की सहायता से सोनोरा अपने इस विचार को स्पोकाने वायएमसीए के पास ले गयी। स्पोकाने वायएमसीए तथा मिनिस्टीरियल अलायन्स ने डोड के इस विचार का समर्थन किया और 1910 में प्रथम फादर्स डे मना कर इसका प्रचार आरम्भ किया। सोनोरा ने सुझाव दिया कि उनके पिता का जन्मदिन, 5 जून को सभी पिताओं के सम्मान के लिये तय कर दिया जाये ! चूंकि पादरी इसकी तैयारी के लिए कुछ और वक़्त चाहते थे इसलिये उन्होने प्रत्येक वर्ष जून माह के तीसरे सण्डे को फादर्स डे मनाने की घोषणा कर दिया ! आधिकारिक रूप से फादर्स डे का प्रथम आयोजन 19 जून 1910 को किया गया ! इस दिन वायएमसीए के युवा सदस्य गुलाब का फूल लगा कर चर्च गये, । इस दिन सोनोरा डोड द्वारा फादर्श डे पर लाल गुलाब जीवित पिता के सम्मान में लगाए जाने एवम सफेद गुलाब मृतक पिता के सम्मान में लगाए जाने का चलन भी आरम्भ किया गया ! इस दिन सोनोरा डोड स्वयम घोड़ा-गाड़ी में बैठकर पूरे शहर में घूमीं और बीमारी अथवाँ किसी अन्य कारण से घरों में रह गये तमाम पिताओं को भी उनके घर पहुँच कर उपहार बांटे ! इस प्रकार इस एक दिन को आधिकारिक छुट्टी बनाने में कई साल लग गए ! फादर्स डे की छुट्टी को राष्ट्रीय मान्यता देने के लिये सन् 1913 में एक बिल कांग्रेस में पेश किया गया। सन 1916 में, राष्ट्रपति वुडरो विल्सन एक फादर्स डे समारोह में भाषण देने स्पोकाने गये तो वे इसे आधिकारिक बनाना चाहते थे किंतु इसके व्यावसायीकरण के डर से काँग्रेस ने इसका विरोध किया। अमेरिकी राष्ट्रपति कैल्विन कूलिज ने 1924 में सिफारिश की कि यह दिवस पूरे राष्ट्र द्वारा मनाया जाये किंतु इसकी राष्ट्रीय घोषणा को रोक दिया !  इस छुट्टी को औपचारिक मान्यता दिलाने के दो प्रयासों को काँग्रेस ठुकरा चुकी थी। 1957 में, मेन सीनेटर मार्ग्रेट चेज स्मिथ ने काँग्रेस पर माता - पिता में से पिता को अकेला छोड़ कर, सिर्फ माताओं का सम्मान करके 40 साल तक पिता की अनदेखी करने का आरोप लगाते हुए एक प्रस्ताव लिखा! 1966 में, राष्ट्रपति लिंडन जॉनसन ने प्रथम राष्ट्रपतिय घोषणा जारी कर जून महीने के तीसरे रविवार को पिताओं के सम्मान में, फादर्स डे के रूप में तय किया।
छह साल बाद 1972 में “ग्रेस गोल्डेन क्लेटन” एवम सोनोरा डोड नाम की दोनो बेटियों का अथक प्रयास रंग लाया और वह दिन आया जब राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने इस कानून पर हस्ताक्षर किये और यह एक दिन स्थायी रूप से राष्ट्रीय छुट्टी का दिन बना !
वर्ष 2010 में, 'फादर्स डे' की स्मृति में स्पोकाने में 'फादर्स डे' शताब्दी समारोह एक महीने तक मनाया गया था !
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कलम से :
बाल कानून विशेषज्ञ विभांशु जोशी
@Vibhanshu Joshi SmileyLive
   एवम पत्रकार भारद्वाज अर्चिता
  ( संयुक्त रूप से कलमबद्ध लेख )
#HappyFather'sDay,#Sunday#16June19#

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“ सब धरती कागद करूँ , लेखनी सब बनराय । सात समुद्र की मसि करूँ , गुरु गुण लिखा न जाय ।” भावार्थ :- यदि सारी धरती को कागज़ मान लिया जाए , सारे जंगल - वनों की लकड़ी की कलम बना ली जाए तथा सातों समुद्र स्याही हो जाएँ तो भी हमारे द्वारा कभी हमारे गुरु के गुण नहीं लिखे जा सकते है ।हमारे जीवन मे हमारे गुरु की महिमा सदैव अनंत होती है अर्ची, गुरु का ज्ञान हमारे लिए सदैव असीम और अनमोल होता है । इस जगत मे बहुत कम ऐसे गुरू हुए है जिनको उनकी अपनी सफलता के साथ साथ ही उनके अपने शिष्य की सफलता से पहचान मिली हो ऐसे ही भाग्यशाली गुरू रहे है “रमाकान्त आचरेकर” जिन्हे पूरी दुनिया सचिन तेंदुलकर के क्रिकेट कोच “ क्रिकेट गुरू ” के रूप मे जानती है और इसी रूप मे ही सदैव याद भी रखना चाहती है ! ईश्वर के साम्राज्य मे पहुँचने पर आज गुरू आचरेकर का स्वागत नाराण ने निश्चित तौर पर यही कह कर किया होगा “ क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर के गुरू रमाकान्त आचरेकर जी आईए आपका स्वागत है !!” दिवंगत आचरेकर जी को मेरी विनम्र श्रद्धांजलि !! ================================ Bhardwaj@rchita 03/01/2019

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