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मैं और मेरी कलम मूलतः नारीवाद, पुरुषवाद जैसी  नाकारात्मक सोच एवम लेखन से कभी ग्रस्त नहीं रहे,
न ही कभी रहूंगी, हर मुद्दे पर निरपेक्ष भाव से बेबाक लिखती हूँ ! पर आप सबने जितना भी बीते 8 वर्ष मे मुझे मेरे लिखे को पढ़ते हैं, समझे हैं, जानते हैं, उसके अनुसार एक बात से तो पूर्ण परिचित होंगे आप सब वह यह कि मैने जितनी गम्भीरता से बच्चों पर लिखा है, टीनएज युवाओं ने पर लिखा है, युवाओं पर लिखा है, शायद उतना किसी पर नही लिखा है !  इसके पीछे वजह बस इतनी सी है कि मै देश के भविष्य को जो की हमारे वर्तमान बच्चो से निर्मित होना है को हर क्षेत्र में शक्ति सम्पन्न होते हुए देखना चाहती हूँ मै जानती हूँ जिस देश मे  बच्चो का बचपन बच्चो का वर्तमान सुरक्षित नहीं होता है उस देश का उज्वल भविष्य तय नही किया जा सकता !
वर्ष 2012 से हमारे देश मे जिस प्रकार से रेप बालात्कार की घटनाएँ घट रही है, ऐसी घटनाओ के आँकडो मे जो रोज इजाफा हो रहा है आखिर वह रूकने का नाम क्यो नही ले रहा है ? मित्रो बच्चों के साथ दुराचार की घटना तो रूह को कपा देने वाली है क्योकि हमारे समाज मे एक दो तीन चार पाँच छ: वर्ष की ट्विंकल, गुडिया, परी, लाली, जैसी बेटियो के साथ साथ इसी उम्र के मासूम राजा, राजू , गोलू, जैसे जाने कितने अबोध बच्चे भी हर वर्ष अप्राकृतिक दुष्कर्म के शिकार हो रहे हैं जो पूरे समाज के लिए चिन्ता का विषय बनता जा रहा है ! कभी कभी सोचती हूँ आजादी के बाद 26 जनवरी वर्ष 1950 मे जो संविधान हमारे देश को मिला उसका कितना अनुपालन हम सबने किया है और कितनी अवहेलना करते आ रहे है ?

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“ सब धरती कागद करूँ , लेखनी सब बनराय । सात समुद्र की मसि करूँ , गुरु गुण लिखा न जाय ।” भावार्थ :- यदि सारी धरती को कागज़ मान लिया जाए , सारे जंगल - वनों की लकड़ी की कलम बना ली जाए तथा सातों समुद्र स्याही हो जाएँ तो भी हमारे द्वारा कभी हमारे गुरु के गुण नहीं लिखे जा सकते है ।हमारे जीवन मे हमारे गुरु की महिमा सदैव अनंत होती है अर्ची, गुरु का ज्ञान हमारे लिए सदैव असीम और अनमोल होता है । इस जगत मे बहुत कम ऐसे गुरू हुए है जिनको उनकी अपनी सफलता के साथ साथ ही उनके अपने शिष्य की सफलता से पहचान मिली हो ऐसे ही भाग्यशाली गुरू रहे है “रमाकान्त आचरेकर” जिन्हे पूरी दुनिया सचिन तेंदुलकर के क्रिकेट कोच “ क्रिकेट गुरू ” के रूप मे जानती है और इसी रूप मे ही सदैव याद भी रखना चाहती है ! ईश्वर के साम्राज्य मे पहुँचने पर आज गुरू आचरेकर का स्वागत नाराण ने निश्चित तौर पर यही कह कर किया होगा “ क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर के गुरू रमाकान्त आचरेकर जी आईए आपका स्वागत है !!” दिवंगत आचरेकर जी को मेरी विनम्र श्रद्धांजलि !! ================================ Bhardwaj@rchita 03/01/2019

माँ सीता के द्वारा माँ पार्वती स्तुति अयोध्याकाण्ड जय जय गिरिबरराज किसोरी। जय महेस मुख चंद चकोरी।। जय गजबदन षडानन माता। जगत जननि दामिनि दुति गाता।। नहिं तव आदि मध्य अवसाना। अमित प्रभाउ बेदु नहिं जाना।। भव भव विभव पराभव कारिनि। बिस्व बिमोहनि स्वबस बिहारिनि।। [दोहा] पतिदेवता सुतीय महुँ, मातु प्रथम तव रेख। महिमा अमित न सकहिं कहि, सहस सारदा सेष।।235।। सेवत तोहि सुलभ फल चारी। बरदायिनी पुरारि पिआरी।। देबि पूजि पद कमल तुम्हारे। सुर नर मुनि सब होहिं सुखारे।। मोर मनोरथु जानहु नीकें। बसहु सदा उर पुर सबहिं कें।। कीन्हेउँ प्रगट न कारन तेहीं। अस कहि चरन गहे बैदेहीं।। बिनय प्रेम बस भई भवानी। खसी माल मूरति मुसुकानी।। सादर सियँ प्रसादु सिर धरेऊ। बोली गौरि हरषु हियँ भरेऊ।। सुनु सिय सत्य असीस हमारी। पूजिहि मन कामना तुम्हारी।। नारद बचन सदा सुचि साचा। सो बरु मिलिहि जाहिं मनु राचा।। [छंद] मनु जाहिं राचेउ मिलिहि सो बरु, सहज सुंदर साँवरो। करुना निधान सुजान सीलु, सनेहु जानत रावरो।। एहि भाँति गौरि असीस सुनि सिय, सहित हियँ हरषीं अली। तुलसी भवानिहि पूजि पुनि पुनि, मुदित मन मंदिर चली।। [सोरठा] जानि गौरि अनुकूल सिय, हिय हरषु न जाइ कहि। मंजुल मंगल मूल, बाम अंग फरकन लगे।।

गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु गुरुर देवो महेश्वरः गुरुः साक्षात्परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नमः गुरु ब्रह्मा (सृष्टिकर्ता) के समान हैं. गुरु विष्णु (संरक्षक) के समान हैं. गुरु प्रभु महेश्वर (विनाशक) के समान हैं. सच्चा गुरु, आँखों के समक्ष सर्वोच्च ब्रह्म है अपने उस एकमात्र सच्चे गुरु को मैं नमन करती हूँ, कोटि-कोटि प्रणाम करती हूं !! साभार : भारद्वाज अर्चिता