मैं और मेरी कलम मूलतः नारीवाद, पुरुषवाद या किसी अन्य तरह के अमानवीयवाद जैसी नाकारात्मक सोच एवम लेखन से कभी ग्रस्त नहीं रहे, न ही कभी रहूंगी,
हर मुद्दे पर निरपेक्ष भाव से बेबाक लिखती आ रही हूँ पर आप सब ने बीते इन 8 वर्ष मे मुझे और मेरे लिखे को जितना पढ़े हैं, समझे हैं, जाने हैं, उसके अनुसार एक बात से तो पूर्ण परिचित हो गए होंगे वह यह कि मैने जितनी गम्भीरता से बच्चों पर लिखा है, टीनएज युवाओं पर लिखा है, युवाओं पर लिखा है, शायद उतना किसी अन्य विषय या मुद्दे पर नही लिखा है, बताती चलूँ इसके पीछे वजह बस इतनी सी है की मै देश के भविष्य को तरजीह देती हूँ, देश मे नव निर्माण को तरजीह देती हूँ जो कि  हमारे वर्तमान बच्चों से निर्मित होना है, तय होना है,
मै राष्ट्रनीधि, राष्ट्र के उज्ज्वल भविष्य, हमारे वर्तमान बच्चों को हर क्षेत्र में शक्ति सम्पन्न होते हुए, सशक्त एवं सफल होते हुए देखना चाहती हूँ ! मै आ कहना चाहती हूँ जिस देश मे बच्चों का बचपन, बच्चों का वर्तमान सुरक्षित नहीं होता है, लाख प्रयास के बाद भी उस देश का उज्वल भविष्य तय नही किया जा सकता !
गम्भीर चिन्ता का विषय है कि हमारे देश मे जिस प्रकार से रेप, बालात्कार की घटनाएँ अनवरत घटने लगी है, साथ ऐसी घटनाओ के आँकडो मे रोज जो इजाफा हो रहा है आखिर वह रूकने का नाम क्यो नही ले रहा है ? मित्रों महिलाएँ सुरक्षित नही है वर्ष 2012 तक केवल यह परेशान करने वाला विषय था पर 2012 के बाद बच्चों के साथ नित दुराचार की जो घटनाएँ सामने आईँ है वह मानवता को तो शर्मसार कर ही रही है हमारे पारिवारिक मूल्यों एवं नैतिक कर्तव्यों पर भी बडा प्रश्नचिह्न खडा कर रही है ! आज हमारे समाज मे निर्दोष बच्चों के साथ जो घटनाएँ  घट रही है वह रूह तक को कपा देने वाली है क्योकि हमारे समाज मे एक वर्ष, दो वर्ष, तीन वर्ष, चार वर्ष, पाँच वर्ष, छ: वर्ष की ट्विंकल, गुडिया, आसिफा , परी, लाली, लाडो, जैसी अबोध बेटियों के साथ - साथ इसी उम्र के हमारे वह मासू बच्चे राजा, राजू , गोलू, गुल्लू आसिफ, फैसल, जैसे जाने कितने अबोध मेल बच्चे भी हर वर्ष अप्राकृतिक दुष्कर्म के शिकार हो रहे हैं आज हमारे समाज मे केवल हमारी मासूम बेटियाँ ही नही हमारे इसी उम्र के मासूम बेटे भी अप्राकृतिक दुष्कर्म के शिकार हो रहे है जो कि वर्तमान समाजिक व्यवस्था पारिवारिक व्यवस्था एवम हमारी कानून व्यवस्था के लिए सोचनीय वषय बनता जा रहा है ! आजकल मै स्वयम सोचती हूँ आजादी के बाद 26 जनवरी वर्ष 1950 मे जो संविधान हमारे देश को मिला, जो संविधान हमारे देश मे लागू हुआ लागू होने के दिन से लगायत आज की तारीख तक उसका कितना अनुपालन हम सबने किया है ?
और कितनी अवहेलना हम सब करते आ रहे है ?
संविधान मे वर्णित नागरिक सुरक्षा संबन्धी अधिकार के तहत दण्ड व्यवस्था का जो अधिकार मिला है हमे आखिर उसके आधार पर हमे त्वरित न्याय क्यो नही मिल  पा रहा ?
गम्भीर विषय यह भी है कि : जिस देश मे चाइल्ड प्रोटेक्शन एक्ट 2012 “पोक्सो ( Pocso )एक्ट 2012 का प्रावधान कर दिया गया है जो की किशोरों के लिये स्पेशल कानून की एक बेहद सख्त व्यवस्था है उसके बावजूद बालात्कार जैसी घटना हमारे देश मे क्यो नही रूक रही है ! Pocso Act अमेरिका के संविधान से लिया गया मूल रूप से बालकों के प्रति होने वाले यौन अपराधों के प्रतिषेध हेतु दुनिया का सबसे सख्त कानून प्रावधान है, जिसका वर्ष 2012 मे पूरी सख्ती के साथ हमारे देश मे भी उपबंध कर दिया गया है !

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“ सब धरती कागद करूँ , लेखनी सब बनराय । सात समुद्र की मसि करूँ , गुरु गुण लिखा न जाय ।” भावार्थ :- यदि सारी धरती को कागज़ मान लिया जाए , सारे जंगल - वनों की लकड़ी की कलम बना ली जाए तथा सातों समुद्र स्याही हो जाएँ तो भी हमारे द्वारा कभी हमारे गुरु के गुण नहीं लिखे जा सकते है ।हमारे जीवन मे हमारे गुरु की महिमा सदैव अनंत होती है अर्ची, गुरु का ज्ञान हमारे लिए सदैव असीम और अनमोल होता है । इस जगत मे बहुत कम ऐसे गुरू हुए है जिनको उनकी अपनी सफलता के साथ साथ ही उनके अपने शिष्य की सफलता से पहचान मिली हो ऐसे ही भाग्यशाली गुरू रहे है “रमाकान्त आचरेकर” जिन्हे पूरी दुनिया सचिन तेंदुलकर के क्रिकेट कोच “ क्रिकेट गुरू ” के रूप मे जानती है और इसी रूप मे ही सदैव याद भी रखना चाहती है ! ईश्वर के साम्राज्य मे पहुँचने पर आज गुरू आचरेकर का स्वागत नाराण ने निश्चित तौर पर यही कह कर किया होगा “ क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर के गुरू रमाकान्त आचरेकर जी आईए आपका स्वागत है !!” दिवंगत आचरेकर जी को मेरी विनम्र श्रद्धांजलि !! ================================ Bhardwaj@rchita 03/01/2019

माँ सीता के द्वारा माँ पार्वती स्तुति अयोध्याकाण्ड जय जय गिरिबरराज किसोरी। जय महेस मुख चंद चकोरी।। जय गजबदन षडानन माता। जगत जननि दामिनि दुति गाता।। नहिं तव आदि मध्य अवसाना। अमित प्रभाउ बेदु नहिं जाना।। भव भव विभव पराभव कारिनि। बिस्व बिमोहनि स्वबस बिहारिनि।। [दोहा] पतिदेवता सुतीय महुँ, मातु प्रथम तव रेख। महिमा अमित न सकहिं कहि, सहस सारदा सेष।।235।। सेवत तोहि सुलभ फल चारी। बरदायिनी पुरारि पिआरी।। देबि पूजि पद कमल तुम्हारे। सुर नर मुनि सब होहिं सुखारे।। मोर मनोरथु जानहु नीकें। बसहु सदा उर पुर सबहिं कें।। कीन्हेउँ प्रगट न कारन तेहीं। अस कहि चरन गहे बैदेहीं।। बिनय प्रेम बस भई भवानी। खसी माल मूरति मुसुकानी।। सादर सियँ प्रसादु सिर धरेऊ। बोली गौरि हरषु हियँ भरेऊ।। सुनु सिय सत्य असीस हमारी। पूजिहि मन कामना तुम्हारी।। नारद बचन सदा सुचि साचा। सो बरु मिलिहि जाहिं मनु राचा।। [छंद] मनु जाहिं राचेउ मिलिहि सो बरु, सहज सुंदर साँवरो। करुना निधान सुजान सीलु, सनेहु जानत रावरो।। एहि भाँति गौरि असीस सुनि सिय, सहित हियँ हरषीं अली। तुलसी भवानिहि पूजि पुनि पुनि, मुदित मन मंदिर चली।। [सोरठा] जानि गौरि अनुकूल सिय, हिय हरषु न जाइ कहि। मंजुल मंगल मूल, बाम अंग फरकन लगे।।

गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु गुरुर देवो महेश्वरः गुरुः साक्षात्परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नमः गुरु ब्रह्मा (सृष्टिकर्ता) के समान हैं. गुरु विष्णु (संरक्षक) के समान हैं. गुरु प्रभु महेश्वर (विनाशक) के समान हैं. सच्चा गुरु, आँखों के समक्ष सर्वोच्च ब्रह्म है अपने उस एकमात्र सच्चे गुरु को मैं नमन करती हूँ, कोटि-कोटि प्रणाम करती हूं !! साभार : भारद्वाज अर्चिता