माँ से शुरू होकर स्कूल कैंपस तक अब आवश्यकता है 3 से 13 वर्ष तक के बच्चों ( बेटा बेटी दोनो ) को अच्छे स्पर्श और खराब स्पर्श ( Good Touch and Bad Touch ) के बारे मे खुलकर जानकारी देने की ! साथ ही जरूरत है बच्चों को अच्छे स्पर्श और बुरे स्पर्श के बीच के अंतर को पहचानने की भी शिक्षा देने की ! बेहतर हो की Good touch and Bad touch को एक चैप्टर के रूप मे छोटी क्लास के बच्चों के सिलेबस मे ही शामिल कर दिया जाए !
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आजकल पूरी दुनियाँ मे बच्चों की सुरक्षा एवं बचपन पर संकट का जो भयपूर्ण माहौल बना है उसे देखते हुए बच्चों को केवल स्कूली शिक्षा देना ही काफी नहीं रह गया है बल्कि उन्हें उनकी सुरक्षा, उनके खुशहाल स्वस्थ सुरक्षित बचपन के लिए Good Touch and Bad Touch के बारे में बताना भी एक जरुरी विषय बन गया है ! परिवार से लेकर स्कूल कैम्पस तक हर एक व्यक्ति की अहम जिम्मेदारी बन गया है अब यह सोचना कि हमारे समाज मे बच्चों की सुरक्षा कैसे तय की जाए।
इस बात से किसी को इनकार नही होगा कि वर्तमान परिस्थियों में केवल भारत ही नही बल्कि विश्व समुदाय मे बच्चों के लिए असुरक्षा अनुभव हो रही है | किन्तु पिछले डेढ़ दशक से भारत विश्व का पहला ऐसा देश है जहाँ हर 3 घंटे में एक बच्चे का यौन शोषण होता है
दुनिया में यौन शोषण के शिकार हो रहे बच्चों में सबसे ज्यादे संख्या भारत में है और भारत में भी प्रथम स्थान पर मध्य प्रदेश, द्वितीय - तृतीय - चतुर्थ एवम पाचवे स्थान पर क्रमशः दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पंजाब एवम पश्चिम बंगाल का है !
भारत के परिप्रेक्ष्य मे चाहे दिल्ली मे एक वर्ष पूर्व हुई 1 वर्ष की बच्ची के साथ यौन शोषण और हत्या की घटना हो कठुआ मे बच्ची के साथ सामूहिक बालात्कार की घटना हो, चाहे एम०पी० मे दो मासूम बच्चों के अपहरण और हत्या की घटना हो, चाहे उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर के किसी मदरसे मे हाल मे घटी 9 वर्ष एवम 12 वर्ष की हमारी मासूम बच्चियों के साथ हुई बालात्कार की घटना हो,चाहे कुछ दिन पूर्व अलीगढ़ शहर में ढाई वर्ष की अबोध बच्ची के यौन शोषण एवम निर्मम हत्या की घटना हो कल्पना से परे है यह हैवानियत ! हर कोई यह सोच कर आहत है आखिर मानवता इतनी ज़्यादा क्रूर कब और क्यो हो गई कि ढाई साल की मासूमियत को भी बहसीपन से गुज़ार दिया गया! क्या कानून अथवाँ कानून से परे जाकर तय की गयी सज़ा की कोई सीमा मनुष्यता के इस लहू का घाव भर सकती ? जिस गति से आज हमारे समाज मे मानवता पशुता में ढ़लती जा रही है आये दिन बच्चों का सेक्सुअल मोलेस्टेशन, चाइल्ड सेक्सुअल एब्यूज यौन शोषण, हत्या और बलात्कार जैसे जघन्य अपराध की घटनाएँ घट रही है, हैवानियत की बुरी नजर मासूम बच्चों की मासूमियत को तार-तार कर रही है ऐसे में अब माता - पिता का कर्तव्य केवल अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा अच्छे संस्कार देने तक ही सीमित नहीं रह गया है बल्कि बच्चों को उन्हें गुड टच और बैड टच के बारे में खुलकर जानकारी देने की आवश्यकता है ताकि बच्चे अपनी सुरक्षा को लेकर सजग हो सके क्योंकि यौन शोषण के शिकार कम उम्र के बच्चों को यह नहीं समझ होती है कि उन्हें किस तरह से छुआ जा रहा है और किस तरह से छुआ जाना उनका शारिरिक शोषण है विश्व भर मे शायद यही वह मुख्य कारण है जो बच्चों के यौन शोषण के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार होता है !
बच्चों के प्रति वर्तमान अस्थिर होते माहौल में हम बडो द्वारा अपने बच्चों को दी गई अच्छे और बुरे स्पर्श की जानकारी उनको सुरक्षित रखने में पूरी तरह मदद करेगी ! बेहतर है कि हमे इसकी शुरुआत बच्चे की 3 वर्ष की उम्र से ही कर दी जाएँ !
आइए आपको बताते है की कैसे देंनी है अपने मासूम बच्चों को अच्छे स्पर्श और बुरे स्पर्श की शिक्षा (How to Teach and Aware Our Children About Good Touch Bad Touch )
बच्चों के यौन शोषण के मामलों में अक्सर यह देखा जाता है कि : विकृति मानसिकता वाले व्यक्ति बच्चो के करीब आने के लिए बच्चों की कमजोरी याने के टॉफ़ी, चॉकलेट, बिस्कुट, खिलौने एवम बनावटी स्नेह का सहारा लेते हैं ! बच्चों को यह चीजे देने के बहाने ही यह लोग बच्चों को बुरा स्पर्श करते है लेकिन पर अवगत (Aware) न होने के अभाव मे मासूम छोटे बच्चे इस बुरे स्पर्श को पहचान नही पाते और गलत लोगो द्वारा यौन शोषण का शिकार हो जाते है |
हमे हमारे बच्चों को यह भी बताने की जरूरत है कि : हमेशा ढके रहने वाले अपने अंगों को किसी परिचित अपरिचित द्वारा छुआ नहीं जा सकता,भले ही वह क्यों न आपको प्यार जताने के साथ ऐसा स्पर्श करने का बहाना बना रहा हो !
जब हमारे बच्चे 3 साल के हो जाए तो हम उन्हें धीरे धीरे यह समझाने का प्रयास शुरू कर दे कि उनके शरीर पर केवल उनका ही अधिकार है, अगर किसी अन्य परिचित अपरिचित के द्वारा उन्हे उनके शरीर को छूना अच्छा न लगे तो ऐसी बाते घर पर आकर बिना डरे हम बडो को जरुर बताएं !
यह भी हम बडो का दायित्व है कि हम अपने बच्चो को उनके शरीर के विभिन्न अंगों के बीच का अंतर बताएं जैसे कि आपके जो शारीरिक पार्ट्स हमेशा कपड़ों से ढके रहते है उन पार्ट्स को माता को छोड़कर और कोई नहीं छू सकता है ! इस बात को और बेहतर तरीके से समझाने के लिए स्विमिंग कॉस्टयूम का भी सहारा ले सकते है बच्चें से स्पस्ट कर सकते है कि उनके शरीर का जो भाग स्विमिंग कॉस्टयूम से ढका है अपने उन पार्ट्स को वह किसी को भी छूने न दें |
अच्छा स्पर्श और बुरा स्पर्श ( Good touch and bad touch) के लिए बाल विकास मंत्रालय भारत सरकार द्वारा देश के जाने माने बाल कानून विशेषज्ञों की टीम गठित करके उनके सुझाव से कुछ ऐसी डाक्यूमेंट्री फिल्म, एवम वीडियो बनायी जाएँ जिनका इस्तेमाल देश स्तर पर, प्रदेश स्तर पर, जिले एवम तहसील स्तर पर करके बच्चों को यौन शोषण के बारे मे जानकारी दी जाए ।
यह भी एक दूरूह सत्य है कि हमारा तीन वर्ष का बच्चा शारीरिक संरचना को समझने में पूरी तरह असमर्थ होता है ऐसे मे जरूरत है हमारी सरकार द्वारा देश भर के सकारी गैर सरकारी स्कूलों के लिए तत्काल प्रभाव से आदेश जारी किए जाने की कि: बच्चो की नर्सरी एवम छोटी क्लास अथवाँ मॉर्निंग असेंबली के समय चित्र के माध्यम से रोज कुछ मिनट उनके शारीरिक संरचना को समझाने के साथ साथ अच्छे स्पर्श और बुरे स्पर्श को समझाए जाने को अनिवार्य कर दिया जाए । बच्चो को
खराब या बुरे स्पर्श पर विरोध स्वरूप प्रतिक्रिया करना सिखाए, उन्हें बुरे स्पर्श पर विरोध करना एवम ना कहना सिखाएं | खुलकर उन्हें यह भी बताएं कि बुरे स्पर्श पर “नहीं” कहना उनके लिए ठीक है,अगर इनकार करने के बाद भी उनके साथ दुर्व्यवहार जारी रखा जाए तो फिर वह उससे बचने के लिए, मदद के लिए जोर जोर से चिल्लाएँ ! बच्चो को यह भी बताया जाए कि उनके द्वारा जोर जोर चीखने - चिल्लाने से आसपास के लोग उनकी मदद करने के लिए आ जाएंगे |
चाइल्ड सेक्सुअल एब्यूज, अच्छे स्पर्श बुरे स्पर्श से बच्चों को अलर्ट करने के लिए बच्चों के परिवारी जन भी रखे इन बातों ख्याल :
हमारे देश में बच्चों की पढ़ाई की जो वर्तमान व्यवस्था है उसके हिसाब से ढाई - तीन साल की उम्र में हमारे बच्चे स्कूल जाने लगते है हमारे इस उम्र में बच्चों को कुछ याद करा पाना बहुत मुश्किल होता है ! पर हम परिवारी जनो का यह दायित्व बन जाना चाहिए कि हम अपने बच्चे को उसका अपना नाम, माता - पिता का नाम, घर का पता और एक या दो फोन नंबर जरुर याद करा दे | जहाँ तक छोटे बच्चों की फितरत होती है उसके हिसाब से वह बड़ी ही आसानी से किसी की भी बात पर विश्वास कर लेते है, इसलिए उन्हें यह बताना भी आवश्यक है कि जिन्हें वह नहीं जानते - पहचानते उनके साथ कही भी ना जाएँ और न ही उनकी दी हुई कोई चीज ही ले | जब हमारे बच्चे स्कूल मे लंच नहीं खाते है तो उनके द्वारा लंच घर लौटा लाने पर जिस प्रकार हम पैरेंट्स फिक्रमंद होते हुए रोज उनसे यह सवाल पूंछते है कि आज तुमने अपना लंच क्यो नहीं खाया ? उसी तरह अब रोज हमे अपने बच्चों से यह भी पूंछने की जरुरत है कि : बस ड्रावर ने आपको कुछ कहा तो नहीं ? जब आप टॉयलेट जाते हो तो वहाँ तुम्हारें साथ कौन होता है ? स्कूल में कोई परेशान तो नहीं करता ? स्कूल में कोई टीचर तुम्हे उस तरह तो नही छूता जैसे छूने पर तुम्हे बुरा लगता है ? बस ड्रावर से स्कूल मे किसी से कोई परेशानी हो तो आप मुझे जरुर बताना ऐसी बाते करक हम अपने बच्चों में आत्मविश्वास जगाए ! उन्हें बताएं कि अगर आप को कुछ बुरा लगता है तो किसी से डरने की जरुरत नहीं है आप हमसे सच सच सब कुछ बताएँ । हम अपने बच्चों को यह भी बताएँ कि : अगर उनसे कोई बोलता है कि यह बात हमारे बीच का सीक्रेट है, यह बात अपने मम्मी पापा को नहीं बताना तो बच्चे ऐसी बाते भी घर आकर हमसे शेयर जरुर करे क्योंकि मम्मा - पापा अपने बच्चों से बहुत प्यार करते है इसलिए आप हमसे अपना हर सीक्रेट शेयर कर सकते हो |बच्चों को बताए की यदि कोई अनजान उनसे कहे कि आपके मम्मी – पापा आपको बुला रहे है तो भी उसके साथ नहीं जाना है, ! हम पैरेंट्स का यह भी दायित्व है की रोज कुछ देर अपने बच्चे के साथ समय गुजारे और उनसे खुलकर बात करे उनके मन को पढने की कोशिश करें क्योंकि बच्चों के साथ जब भी कुछ गलत होता है तो तुरन्त उनके व्यहार में परिवर्तन देखने को मिलने लगता है |बच्चे में हो रहे किसी भी सामान्य या जटिल बदलाव को गंभीरता से लेते हुए पूरा ध्यान दे, अगर बच्चे की पढने-लिखने, खेलने-बोलने आदि सामान्य आदतों में किसी प्रकार का परिवर्तन हमे दिखाई पड़ें तो बच्चे से धैर्य एवम शान्ति पूर्ण तरीका अपनाते हुए बात करें, उससे जानने की कोशिश करे कि घर या बाहर उसे कोई परेशानी तो नहीं है ? बच्चों के साथ ऐसा दोस्ताना व्यवहार रखे कि वह हर बात हमसे शेयर करें अगर, उससे कुछ गलत भी हो जाए तो वह हमे सब कुछ बता दे क्योंकि बच्चो को गोद में लेना उन्हें चूमना सामान्य बात है लेकिन वह कुछ विकृत्त मानसिकता वाले लग जो हमारे बच्चों की मासूमियत से खिलवाड़ करने से बाज नहीं आते है ऐसे लोगों पर स्वयम हम नजर रखे और अपने बच्चों को भी समझाएं कि उन्हें अगर किसी की गोद में जाना अच्छा नहीं लगता तो उसे साफ़-साफ़ मना कर दें |बच्चे को यह भरोसा दिलाएं कि जब भी उन्हें किसी का छूना गन्दा लगे तो वह सबसे पहले हमे आकर बताएं ऐसा करने पर हम अपने बच्चे को बिलकुल डाटेंगे नही |
उपरोक्त दिए गए मेरे सभी तरीकों एवं तरीकीबो के बावजूद भी मासूम छोटे बच्चों को यौन शोषण से बचने के लिए aware करना, शिक्षा देना हम सब के लिए एक अति संवेदनशील विषय बना हुआ है क्योंकि जितना मुश्किल हम पेरेंट्स को अपने बच्चों से इस विषय में बात करना है उतना ही मुश्किल है इन बातों का बच्चों की समझ में आना ! अत: यौन शोषण से जुडी बाते अपने बच्चों को बहुत ही धैर्य पूर्वक आराम से समझाएं | अब घर मे माँ के कंधे पर इस अहम दायित्व को निभाने की पूरी जिम्मेदारी आ गयी है क्योंकि दुनिया मे माँ का चरित्र ही ऐसा चरित्र होता है जिससे बच्चे, परिवार, एवम समाज का चरित्र निर्माण तय किया जाता है !!
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कलम से :
बाल कानून विशेषज्ञ विभांशु जोशी
@Vibhanshu Joshi SmileyLive
एवम पत्रकार भारद्वाज अर्चिता
( संयुक्त रूप से कलमबद्ध किया गया लेख)
12/06/2019
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