रणबीर कपूर से ब्रेकअप के बाद दीपिका पादुकोण की ज़िंदगी में कई "टेम्परेरी बॉयफ्रेंड" आये और गए, किन्तु दीपिका आजतक गाहे - बगाहे रणबीर से हुए ब्रेकअप और उससे मिले डिप्रेशन पर "खुलकर" बात करती हैं ,बकायदा रणबीर का नाम लेकर। यहाँ तक कि 'कॉफी विद करन' में दीपिका कहती हैं कि "रणबीर कपूर को कंडोम का प्रचार करना चाहिए" जिस पर करन जौहर दाँत निपोरते हैं। दीपिका का यह स्टेटमेंट और ब्रेकअप के यह स्यापा बहुत बोल्ड माना जाता है। मजेदार है कि बावजूद इसके दीपिका पादुकोण रणबीर कपूर के साथ फिल्मों में,विज्ञापनों में काम करती हैं और रणबीर की अच्छी दोस्त बन उनकी निजी जिंदगी में भी घुंसी रहती है।किन्तु दीपिका के इस मैन्युपुलेटिव ,कैलकुलेटिव व्यवहार को "व्यवहारिक" माना जाता है।

रणबीर कपूर से महज 6 महीने के अफेयर और फिर ब्रेकअप के बाद सोनम कपूर खुले आम 'कॉफी विद करन' में रणबीर कपूर को "ममाज़ बॉय" कहकर  उसकी सेक्स अपील तक का मखौल बनाती हैं पर यहाँ भी सोनम की बेहूदगी को बोल्डनेस माना जाता है। इसी 'कॉफी विद करन' में करीना कपूर और प्रियंका चौपड़ा शाहिद कपूर के साथ अपने प्रेम सम्बंधों के चलते शाहिद के साथ बिताएं पलों का खुलकर मजाक बनाती है और दाँत निपोर कर हँसती है। नेहा कक्कड़ तो आये दिन अपने प्रेमी का नाम लेकर भुक्का फाड के रोती हैं ,उनके फिल्मी अवसाद को भी लाखों लाइक्स और शेयर मिलते हैं!

किन्तु ऐश्वर्या से अपने ब्रेकअप के बरसों बाद विवेक ओबेरॉय एक मजाकिया ट्वीट शेयर कर देते है तो तमाशा खड़ा हो जाता है! विवेक को बेहूदा, बद्तमीज,क्लासलेस, बेशर्म,घटिया,  मर्दवादी जाने क्या - क्या कहा जाता है। महिला आयोग का नोटिस आ जाता है,और विवेक को माफी माँगनी पड़ती है!

प्रेमी के साथ हुए ब्रेकअप के दर्द को बेचकर औरत आगे बढ़ जाती है,  किन्तु ब्रेकअप से मिले दर्द पर बात करना भी पुरुष के लिए शर्मनाक है! वो तो आदमी है, उसे क्यों दर्द होगा? उसे क्यों तकलीफ होगी? वो क्यों अवसाद में जायेगा? ब्रेकअप पर आँसू बहाने का हक सिर्फ औरतों को है, आदमी को तो मजबूत दिखना होगा, भले ही अंदर ही अंदर टूट रहा हो पर बाहर से  हर पल खुद को लापरवाह - बेपरवाह दिखाना होगा! क्योंकि मर्द के आँसुओं की कोई कीमत नहीं होती! यही वजह है कि निजी रिश्तों में भी अधिकांश पुरुष मैन्युपुलेशन करते हैं। प्रेमिका के समक्ष भावुकतावश कमजोर पड़ बिखर जाने से बेहतर उन्हें अड़ियल बन भाग जाना लगता है! समाज उन्हें इसी रूप में देखना चाहता है!

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“ सब धरती कागद करूँ , लेखनी सब बनराय । सात समुद्र की मसि करूँ , गुरु गुण लिखा न जाय ।” भावार्थ :- यदि सारी धरती को कागज़ मान लिया जाए , सारे जंगल - वनों की लकड़ी की कलम बना ली जाए तथा सातों समुद्र स्याही हो जाएँ तो भी हमारे द्वारा कभी हमारे गुरु के गुण नहीं लिखे जा सकते है ।हमारे जीवन मे हमारे गुरु की महिमा सदैव अनंत होती है अर्ची, गुरु का ज्ञान हमारे लिए सदैव असीम और अनमोल होता है । इस जगत मे बहुत कम ऐसे गुरू हुए है जिनको उनकी अपनी सफलता के साथ साथ ही उनके अपने शिष्य की सफलता से पहचान मिली हो ऐसे ही भाग्यशाली गुरू रहे है “रमाकान्त आचरेकर” जिन्हे पूरी दुनिया सचिन तेंदुलकर के क्रिकेट कोच “ क्रिकेट गुरू ” के रूप मे जानती है और इसी रूप मे ही सदैव याद भी रखना चाहती है ! ईश्वर के साम्राज्य मे पहुँचने पर आज गुरू आचरेकर का स्वागत नाराण ने निश्चित तौर पर यही कह कर किया होगा “ क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर के गुरू रमाकान्त आचरेकर जी आईए आपका स्वागत है !!” दिवंगत आचरेकर जी को मेरी विनम्र श्रद्धांजलि !! ================================ Bhardwaj@rchita 03/01/2019

माँ सीता के द्वारा माँ पार्वती स्तुति अयोध्याकाण्ड जय जय गिरिबरराज किसोरी। जय महेस मुख चंद चकोरी।। जय गजबदन षडानन माता। जगत जननि दामिनि दुति गाता।। नहिं तव आदि मध्य अवसाना। अमित प्रभाउ बेदु नहिं जाना।। भव भव विभव पराभव कारिनि। बिस्व बिमोहनि स्वबस बिहारिनि।। [दोहा] पतिदेवता सुतीय महुँ, मातु प्रथम तव रेख। महिमा अमित न सकहिं कहि, सहस सारदा सेष।।235।। सेवत तोहि सुलभ फल चारी। बरदायिनी पुरारि पिआरी।। देबि पूजि पद कमल तुम्हारे। सुर नर मुनि सब होहिं सुखारे।। मोर मनोरथु जानहु नीकें। बसहु सदा उर पुर सबहिं कें।। कीन्हेउँ प्रगट न कारन तेहीं। अस कहि चरन गहे बैदेहीं।। बिनय प्रेम बस भई भवानी। खसी माल मूरति मुसुकानी।। सादर सियँ प्रसादु सिर धरेऊ। बोली गौरि हरषु हियँ भरेऊ।। सुनु सिय सत्य असीस हमारी। पूजिहि मन कामना तुम्हारी।। नारद बचन सदा सुचि साचा। सो बरु मिलिहि जाहिं मनु राचा।। [छंद] मनु जाहिं राचेउ मिलिहि सो बरु, सहज सुंदर साँवरो। करुना निधान सुजान सीलु, सनेहु जानत रावरो।। एहि भाँति गौरि असीस सुनि सिय, सहित हियँ हरषीं अली। तुलसी भवानिहि पूजि पुनि पुनि, मुदित मन मंदिर चली।। [सोरठा] जानि गौरि अनुकूल सिय, हिय हरषु न जाइ कहि। मंजुल मंगल मूल, बाम अंग फरकन लगे।।

गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु गुरुर देवो महेश्वरः गुरुः साक्षात्परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नमः गुरु ब्रह्मा (सृष्टिकर्ता) के समान हैं. गुरु विष्णु (संरक्षक) के समान हैं. गुरु प्रभु महेश्वर (विनाशक) के समान हैं. सच्चा गुरु, आँखों के समक्ष सर्वोच्च ब्रह्म है अपने उस एकमात्र सच्चे गुरु को मैं नमन करती हूँ, कोटि-कोटि प्रणाम करती हूं !! साभार : भारद्वाज अर्चिता