सचिन तेंदुलकर
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सचिन तेंदुलकर के महान क्रिकेटर बनने से लेकर भारत रत्न पाने तक मां रजनी तेंदुलकर का अहम योगदान :
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कहते है भारत जैसे देश मे एक सामान्य परिवार की जिन्दगी बसर करना वह भी पूरे संयुक्त परिवार के साथ बहुत ही संघर्ष भरा एवम दुरुह कार्य होता है ! इस दुरूहता के इस दौर मे परिवार के सभी सदस्यों की सेहत,तरक्की, शिक्षा,एवम खुशी का विशेष ध्यान रखते हुए मजबूत स्तंभ मजबूत पिलर का काम केवल माँ ही कर सकती है वह भी कदम - कदम पर अपने सुख का त्याग करते हुए ।
ऐसी ही एक सच्ची कहानी है महान भारतीय क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर की यथा : एक सामान्य भारतीय परिवार मे 24 अप्रैल 1973 को सचिन तेंदुलकर का जन्म हुआ था भाई बहनो मे सबसे छोटे एवम माँ के साथ - साथ सबके दिल के बेहद करीब सचिन का मन कभी पढ़ाई में नहीं लगता था ! मराठी स्कूल में शिक्षक एवम प्रसिद्ध मराठी उपन्यासकार पिता श्री रमेश तेंदुलकर के लिए यह चिन्ता की बात हो गयी थी, पर माँ रजनी इससे कभी विचलित नही होती और पति से हमेशा यही कहा करती “मेरा बेटा बहुत बडा नाम करेगा एक दिन! यह जरूरी नही की हर बच्चा टीचर बने या अधिकारी ही बने؛ बच्चे अपने भविष्य के लिए अलग - अलग दिशा मे भी प्रयास कर सकते है ! मेरे बेटे की रूचि को समझकर उसे उस दिशा मे सहयोग करिए आप जिस दिशा मे जाने का उसका मन है माँ के द्वारा कहे गए इन्ही शब्दो के साथ पिता सहित घर के अन्य सदस्य सचिन तेंदुलकर के पसंद एवं शौक को नोटिस करने लगे !
मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम पर 16 नवंबर 2013 का दिन इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए दर्ज है। दुनिया भर के क्रिकेट फैन्स ने इस दिन एक युग को खत्म होते देखा और वह शब्द भी सुना जो 24 साल के लंबे अंतरराष्ट्रीय करियर के बाद सचिन तेंदुलकर ने अपने होम ग्राउंड मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में क्रिकेट के सभी फॉर्मेट्स को अलविदा कहते हुए उस दिन अपनी मां से कहा था :
“ मेरी मां, मुझे नहीं पता कि मेरे जैसे शैतान बच्चे को आपने कैसे संभाला है। मैंने जब से क्रिकेट शुरू किया है, तब से आपने सिर्फ और सिर्फ मेरे लिए, मेरी जीत के लिए प्रार्थना किया है, ब्रत किया है। 11 साल की उम्र मे जब मै रमाकान्त आचरेकर सर के स्कूटर पर सवार होकर एक दिन मे दो - दो मैच खेलने एक स्टेडियम से दूसरे स्टेडियम मे जाया करता था ऐसे मे मेरी माँ आप मेरी सेहत, मेरे खान - पान का जिस तरह ख्याल रखती थी वह केवल आप ही कर सकती थी कोई और नही, माँ आपका वह रूप सदैव मुझे भावुक करता है आपके प्रति ! ”
क्रमश: अगले रविवार माँ रजनी तेन्दुलकर के त्याग पर आधारित इस सच्ची कहानी के शेष भाग के साथ !
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कलम से :
बाल कानून विशेषज्ञ विभांशु जोशी
@Vibhanshu Joshi SmileyLive
@ Bhardwaj Archita ( पत्रकार )
संयुक्त रूप से कलमबद्ध किया गया है यह लेख !!
14/07/2019
भारत के महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर की हर जीत के पीछे खडी होती थी उनकी मां रजनी तेंदुलकर के ब्रत - उपवास की शक्ति ! बेटे सचिन तेंदुलकर की जीत तय करने के लिए मां रजनी तेंदुलकर कभी स्टेडियम जाकर उनका मैच नही देखती थीं बल्कि हर उस दिन सचिन की जीत के लिए ब्रत - उपवास रखती थीं जिस दिन सचिन क्रिकेट खेलने के लिए स्टेडियम की पिच पर उतरते थे ! वर्ष 2014 का वह दिन जब पूरी दुनिया देख रही थी सचिन की माँ रजनी तेन्दुलकर को ह्वील चेयर पर बैठी वह अपने महान बल्लेबाज बेटे को मिले सम्मान “भारत रत्न” से अभिभूत होते हुए अतीत की यादों में खोते हुए बता रही थी कि जब भी सचिन मैच खेलता था मै उसकी जीत तय करने के लिए उपवास रखती थी और भगवान से प्रार्थना करती थी कि सचिन अच्छा प्रदर्शन करे उन्होने यहाँ यह बात भी कही थी कि सचिन ने जिस तरह अपने आखिरी टेस्ट मैच मे बल्लेबाजी किया है उसे देखते हुए मै कह सकती हूँ वह अभी एक साल और खेल सकता था क्रिकेट पिच पर।” हम सब उस दिन टी०वी० पर देख पा रहे थे कि : पुरस्कार समारोह से पहले सचिन ने प्रेसीडेंट बॉक्स में आकर अपनी मां को गले से लगा लिया था यह कहते हुए कि “माँ यह सब खत्म हो जाने के बाद अब मै हर रात हर दिन आपके पास रह पाऊँगा ।'”
दुनिया मे किसी बेटे द्वारा अपनी माँ के त्याग को सम्मानित करता हुआ इससे सुंदर कोई दूसरा शब्द नही हो सकता !
सचिन तेंदुलकर जब अपने 200वें और आखिरी टेस्ट मैच के तीसरे दिन वानखेड़े स्टेडियम मे खेल रहे थे उनकी माँ रजनी जो कभी भी सचिन का मैच देखने स्टेडियम इस वजह से नही गयी क्योकि वह सचिन की जीत के लिए उस दिन उपवास रखती थी वह उस आखिरी दिन वानखेड़े स्टेडियम मे मौजूद थीं और जब कैमरा उनकी तरफ घूँमा हम सबने देखा था वह मनोरम
दृश्य जब एक माँ पिच पर खेल रहे अपने बेटे के लिए आँख बन्द करके प्रार्थना कर रही थी और वानखेड़े स्टेडियम मे मौजूद दर्शक एक माँ के इस रूप को देख कर उसके स्वागत मे खड़े होकर ताली बजा रहे थे ! निश्चित रूप से पूरी दुनिया के लिए वह एक बहुत ही भावुक पल था !
वह पल भी बहुत महान पल था दुनिया की हर एक माँ और उसके बेटे के लिए जब सचिन तेंदुलकर ने समर्पित किया था अपना भारत रत्न सम्मान अपनी मां रजनी तेंदुलकर को ! उस दिन टी०वी० पर हम सब तो केवल सचिन तेंदुलकर को भारत रत्न लेते हुए देख रहे थे लेकिन सचिन तेंदुलकर की नजर जिसे देख रही थी वह उनकी माँ रजनी तेंदुलकर थी, जो प्रेसीडेंट बॉक्स मे ह्वील चेयर पर बैठी डबडबाई आँखो से एकटक केवल बेटे को देखे जा रही थी इस विश्वास के साथ की बेटा सचिन के लिए किया गया उनका एक - एक त्याग एवम समर्पण सही दिशा मे था और सही समय आने पर फलिभूत भी हो रहा था !
मां रजनी तेंदुलकर के सहयोग एवम त्याग का ही प्रतिफल रहा कि : सचिन तेंदुलकर भारत रत्न से नवाजे जाने वाले भारत के पहले क्रिकेट खिलाड़ी है ! जितने उम्दा खिलाडी उतने ही आदर्श बेटे शायद यही वजह थी कि सचिन तेंदुलकर ने देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न मिलने के तुरन्त बाद यह सम्मान अपनी मां रजनी तेंदुलकर को समर्पित कर दिया था !
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