Priyamvada Rastogi मैम अच्छा लेखक कौन यह मुद्दा पाठक वर्ग पर छोड़ देना चाहिए !
लेखक का धर्म है लिखते समय विषय वस्तु के साथ न्याय करे और आत्म सन्तुष्टि को प्रथम स्थान पर रखे ! बाबा तुलसी ने रामचरित मानस की रचना बडा पाठक समूह तैयार करने के लिए नही लिखा था उन्होने तो रामचरित मानस के आरम्भ मे ही स्पष्ट कर दिया है यथा :
नाना पुराण निगमागम, सम्मतं यद्रामायणे निगदितं क्वचिदन्योपि।
स्वांतः सुखाय तुलसी रघुनाथ गाथा भाषा निबद्ध मति मंजुलमातनोति !!
मेरे कहने का अर्थ यह है कि आप वही लिखिए जिसे लिखने के बाद आपको आत्मसुख की अनुभूति हो जब आप स्वयम सन्तुष्ट होगी अपनी कलम से तो फिर आगे आपके नाम एक नया इतिहास अपने आप लिख जाएगा !
आज लेखक वर्ग का जो भीड वाला विस्तार है उसमे हमारे पाठक समूह के लिए पाठनीय एवम अनुकरणीय रचना कितनी है यह चिन्ता का विषय है उससे भी बडी चिन्ता यह है कि हमारा वर्तमान लेखक वर्ग जो लिख रहा है जो रच रहा है अपने उस लेखन अपनी उस रचना से वह स्वत: सन्तुष्ट नही है !
एक स्वयम कँगाल भूखा व्यक्ति दूसरो का पेट भरने मे तब तक समर्थ नही हो सकता जब तक उसके हाथ उसके लिए रोटी का जुगाड न कर ले !
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