मदर्स डे मां को Dedicate एक ऐसा दिन जिसकी स्थापना के लिए एक अमेरिकी बेटी ने 9 मई 1914 को अमेरिकी प्रेसिडेंट वुड्रो विल्सन को भी बाध्य कर दिया था : 
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आधुनिक दौर में मां को बेशुमार प्यार व सम्मान देने वाले इस एक विशेष दिन की शुरुआत अमेरिका से हुई थी। माना जाता है कि अमेरिकी एक्टिविस्ट एना जार्विस ने मदर्स डे मनाए जाने का ट्रेंड शुरू करने में सबसे बड़ी भूमिका निभाया था ! अमेरिकन एक्टिविस्ट एना मैरी जार्विस अपनी मां से बहुत प्यार करती थीं। उन्होंने न कभी शादी की और न ही उनका अपना कोई बच्चा ही था। वह हमेशा अपनी मां के साथ रहीं।
एना जार्विस ही संयुक्त राज्य अमेरिका में मातृ दिवस (Mothers Day) छुट्टी की संस्थापक मानी जाती है। इस छुट्टी के आरम्भ होने पीछे की जो मुख्य वजह थी वह यह कि एना मैरी जार्विस से उनकी माँ ने अक्सर यह कामना की थी कि : पूरे वर्ष भर मे कोई एक ऐसा दिन तय हो जब दुनिया भर की माताओ के सम्मान मे विशेष आयोजन किए जाएँ और बच्चे अपनी माँ को इस एक दिन अच्छा महसूस करवाएँ । ऐसे एक विशेष दिन की कामना करते हुए बेटी से इस विशेष दिन की स्थापना करवाने की इच्छा व्यक्त करते हुए एना की बुजुर्ग माँ एक दिन इस दुनिया से चल बसी ! अपनी माँ की मृत्यु के बाद एना को बहुत अपराधबोध हुआ की वह अपनी माँ की इच्छा माँ के जीते जी पूरी नही कर पायी ! एक दिन उन्होने तय किया की उस एक विशेष दिन की शुरूआत के लिए सरकार से माँग करते हुए वह माँ के स्मरणोत्सव (Anniversary) के लिए कोई एक दिन तय करवाएँगी पर उनका यह निर्णय सरकार के सामने काम न आ सका सरकार की उदासिनता के चलते आखिरका एना ने आंदोलन करने का निर्णय लिया और आंदोलन का नेतृत्व किया आंदोलन का असर हुआ एना का प्रयास सफल हुआ उनकी माँ की आखिरी इच्छा का सम्मान करते हुए 9 मई 1914 को अमेरिकी प्रेसिडेंट वुड्रो विल्सन ने एक लॉ पास किया था जिसमें लिखा था कि मई महीने के हर दूसरे रविवार को मदर्ड डे मनाया जाएगा। अमेरिका में इस लॉ के पास होने के बाद भारत और कई अन्य देशों में भी मई महीने के दूसरे रविवार को मदर्स डे मनाए जाने की शुरूआत हुई ।
नमन उस बेटी एना वर्जिस को अपनी माँ के प्रति जिसके अथाह प्यार ने दुनिया को मदर्स डे के रूप मे मई माह का दूसरा सण्डे ( रविवार ) सौपा !
तो आईए इस वर्ष रविवार 12 मई 2019 को हम सब अपना पूरा एक दिन अपनी माँ के नाम करे और कुछ ऐसा काम करे कि हमारी माँ धरा से लेकर अनन्त ब्रहमाण्ड मे जहाँ की भी हो हमारे कार्यो पर उन्हे सम्मान की अनुभूति प्राप्त हो !
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सहयोग से : Vibhanshu Joshi जी बाल कानून
कलम से :
अर्चिता


इस Mothers Day 12 मई 2019 से बाल कानून विशेषज्ञ @Vibhanshu Joshi SmileyLive एवम पत्रकार भारद्वाज अर्चिता द्वारा संयुक्त रूप से कलमबद्ध करके शुरू हुई धरती की शक्तिशाली माँ को समर्पित हमारी लेख श्रंखला “माँ तेरा आँचल जो हमेशा साथ रहता है” की प्रथम कडी आज अपने पाठकों के लिए प्रस्तुत है ! इस कड़ी के अंतर्गत आज आप रूबरू हो रहे हैं वैश्विक स्तर पर कीर्तिमान प्राप्त भारत के अद्वितीय दार्शनिक - संत पुत्र विवेकानन्द के युगपुरूष बनने मे उनकी माँ “माता भुवनेश्वरी देवी” के अतुल्य त्याग एवम योगदान से ! 

आप सभी से आग्रह है हमारे साप्ताहिक लेख श्रृंखला के अन्तर्गत इतिहास के पन्नों मे रची - बसी इस महान माँ के चरित्र को “माँ तेरा आँचल जो हमेशा साथ रहता है ” श्रृंखला के अन्तर्गत जिसे लिखा गया है आप सब जरूर पढ़े ! विशेषत: हमारी माताएँ खुद भी पढ़े, और अपने बच्चो को भी पढ़ाएँ - सुनाए । 

Happy Mothers Day🙏🙏

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=2197537390332630&id=100002291725768

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साभार : 

@VibhanshuJoshi SmileyLive 

@भारद्वाज अर्चिता 

13/05/2019

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“ सब धरती कागद करूँ , लेखनी सब बनराय । सात समुद्र की मसि करूँ , गुरु गुण लिखा न जाय ।” भावार्थ :- यदि सारी धरती को कागज़ मान लिया जाए , सारे जंगल - वनों की लकड़ी की कलम बना ली जाए तथा सातों समुद्र स्याही हो जाएँ तो भी हमारे द्वारा कभी हमारे गुरु के गुण नहीं लिखे जा सकते है ।हमारे जीवन मे हमारे गुरु की महिमा सदैव अनंत होती है अर्ची, गुरु का ज्ञान हमारे लिए सदैव असीम और अनमोल होता है । इस जगत मे बहुत कम ऐसे गुरू हुए है जिनको उनकी अपनी सफलता के साथ साथ ही उनके अपने शिष्य की सफलता से पहचान मिली हो ऐसे ही भाग्यशाली गुरू रहे है “रमाकान्त आचरेकर” जिन्हे पूरी दुनिया सचिन तेंदुलकर के क्रिकेट कोच “ क्रिकेट गुरू ” के रूप मे जानती है और इसी रूप मे ही सदैव याद भी रखना चाहती है ! ईश्वर के साम्राज्य मे पहुँचने पर आज गुरू आचरेकर का स्वागत नाराण ने निश्चित तौर पर यही कह कर किया होगा “ क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर के गुरू रमाकान्त आचरेकर जी आईए आपका स्वागत है !!” दिवंगत आचरेकर जी को मेरी विनम्र श्रद्धांजलि !! ================================ Bhardwaj@rchita 03/01/2019

माँ सीता के द्वारा माँ पार्वती स्तुति अयोध्याकाण्ड जय जय गिरिबरराज किसोरी। जय महेस मुख चंद चकोरी।। जय गजबदन षडानन माता। जगत जननि दामिनि दुति गाता।। नहिं तव आदि मध्य अवसाना। अमित प्रभाउ बेदु नहिं जाना।। भव भव विभव पराभव कारिनि। बिस्व बिमोहनि स्वबस बिहारिनि।। [दोहा] पतिदेवता सुतीय महुँ, मातु प्रथम तव रेख। महिमा अमित न सकहिं कहि, सहस सारदा सेष।।235।। सेवत तोहि सुलभ फल चारी। बरदायिनी पुरारि पिआरी।। देबि पूजि पद कमल तुम्हारे। सुर नर मुनि सब होहिं सुखारे।। मोर मनोरथु जानहु नीकें। बसहु सदा उर पुर सबहिं कें।। कीन्हेउँ प्रगट न कारन तेहीं। अस कहि चरन गहे बैदेहीं।। बिनय प्रेम बस भई भवानी। खसी माल मूरति मुसुकानी।। सादर सियँ प्रसादु सिर धरेऊ। बोली गौरि हरषु हियँ भरेऊ।। सुनु सिय सत्य असीस हमारी। पूजिहि मन कामना तुम्हारी।। नारद बचन सदा सुचि साचा। सो बरु मिलिहि जाहिं मनु राचा।। [छंद] मनु जाहिं राचेउ मिलिहि सो बरु, सहज सुंदर साँवरो। करुना निधान सुजान सीलु, सनेहु जानत रावरो।। एहि भाँति गौरि असीस सुनि सिय, सहित हियँ हरषीं अली। तुलसी भवानिहि पूजि पुनि पुनि, मुदित मन मंदिर चली।। [सोरठा] जानि गौरि अनुकूल सिय, हिय हरषु न जाइ कहि। मंजुल मंगल मूल, बाम अंग फरकन लगे।।

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