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बचपन से लेकर नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने तक अल्बर्ट
आइंस्टीन के जीवन मे माँ पौलिन कोच आइंस्टीन का योगदान !!
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बचपन मे कई वर्ष तक एक भी शब्द बोल सकने मे कमजोर, प्रारम्भिक स्कूली शिक्षा से वंचित हो चुके बेटे को माँ पौलिन कोच आइंस्टीन ने अपने अटूट विश्वास एवम सतत प्रयास से बना दिया विश्व का सबसे तेज दिमाग भौतिक शास्त्री एवम नोबेल पुरस्कार प्राप्त वैज्ञानिक ! सच ही कहा है किसी ने “ऐ माँ तेरी सूरत से अलग भगवान की सूरत क्या होगी ?” माँ वहाँ भी अपने बच्चो की ढाल अथवा रक्षा कवच बन कर खडी हो जाती है जहाँ ईश्ववर भी असहाय हो जाता है ! जी हाँ माँ किसी वस्तू का नाम नही बल्कि शक्ति के उस पुन्ज का नाम है जिसके आगे अखण्ड ब्रहमाण्ड भी नतमस्तक हो जाता है ! अल्बर्ट आइंस्टीन के जीवन मे उनकी माँ पौलीन कोच आइंस्टीन का योगदान भी कुछ ऐसा ही रहा है यथा अल्बर्ट आइंस्टीन (Albert Einstein ) का जन्म 14 मार्च 1879 को उल्म, वुर्ट्टनबर्ग, जर्मन साम्राज्य मे हुआ था ! जर्मन नागरिक आइंस्टीन बचपन मे नार्मल बच्चा नही थे लगभग 6 वर्ष की उम्र तक आइंस्टीन ने एक भी शब्द नही बोला,जिसकी वजह से घर मे सब बेहद निरास थे
इस जटिल परिस्थिति मे जब सबने हार मान लिया था आइंस्टीन की माँ पौलिन कोच आइंस्टीन ने न हार माना ना ही उम्मीद खोया वह हर प्रयास करती रही जिससे बेटा अल्बर्ट नॉर्मल बच्चों की तरह बातचीत कर सके स्कूल जा सके पढ़ लिख सके ।
सापेक्षता और विशिष्ट आपेक्षिकता प्रकाश वैद्युत प्रभावद्रव्यमान-ऊर्जा-समतुल्यताब्राउनियन गति के लि
भौतिकी का नोबेल पुरस्कार(1921) मे पाने वाले
हम सब अपनी 9th 10th की क्लास मे पढ़ चुके हैं कि आइंस्टीन ने सामान्य आपेक्षिकता (1905 ) और सामान्य आपेक्षिकता के सिद्धांत (1916 ) सहित कई योगदान दिए। उनके अन्य योगदानों में- सापेक्ष ब्रह्मांड, केशिकीय गति, क्रांति
एक सर्वेक्षण के अनुसार आइंस्टीन विश्व के सार्वकालिक महानतम वैज्ञानिक माने गए है। आइंस्टीन ने 300 से अधिक वैज्ञानिक शोध-पत्रों का प्रकाशन किया। 5 दिसंबर 2014 को विश्वविद्यालयों और अभिलेखागारो ने आइंस्टीन के 30,000 से अधिक अद्वितीय दस्तावेज एवं पत्र की प्रदर्शन की घोषणा की हैं। आइंस्टीन के बौद्धिक उपलब्धियों और अपूर्वता ने "आइंस्टीन" शब्द को "बुद्धिमान" का पर्याय बना दिया है।
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