मैगी में मौजूद लेड की मात्रा एक ऐसा जहर जो धीरे - धीरे हमारे बच्‍चो को कर रहा है बीमार :
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2 मिनट में बनने वाली मैगी को बच्‍चों से लेकर बड़े और बुजुर्ग हर कोई खाना पसंद करता है लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि : 2 मिनट में बनने वाली आपकी टेस्‍टी मैगी Slow poison के रूप मे हमारे एवम हमारे बच्चो के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रही हैं ऐसा केवल मै भारद्वाज अर्चिता ही नहीं कह रही हूँ बल्कि वैश्विक फूड और बेवरेज कंपनी नेस्ले इंडिया ने भी सुप्रीम कोर्ट में इसे स्वीकारा है।
जी हां नेस्ले इंडिया के अनुसार, उनके सबसे फेमस एफएमसीजी प्रोडक्‍ट मैगी में लेड की मात्रा मौजूद थी। कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान कंपनी के वकीलों ने भी इस बात को स्वीकार किया है।
कोर्ट ने मैगी में लेड की मात्रा को लेकर एनसीडीआरसी द्वारा दर्ज कराए गए मामले पर सुनवाई किया। उल्लेखनीय है कि हेल्‍थ सुरक्षा के मानदंडों को पूरा न कर पाने पर पिछले साल 550 टन मैगी को नष्ट कर दिया गया था। इसके अलावा, सरकार ने मुआवजे के तौर पर 640 करोड़ रुपये की भी मांग की थी।
सुप्रीम कोर्ट के जज ने नेस्ले के वकील से कहा उन्हें लेड की मौजूदगी वाला नूडल क्यों खाना चाहिए ?
वकीलों ने पहले तर्क दिया था कि मैगी में लेड की मात्रा परमीसिबल सीमा के अंदर मौजूद थी, जबकि अब स्वीकार कर रहे हैं कि मैगी में लेड अधिक मात्रा मे था !
अब लोगो के जेहन मे यह सवाल आना लाजमी है कि : मैगी में लेड की मात्रा का आखिर मामला क्या है ?
2015 में मैगी में लेड की मात्रा 17.2 पीपीएम पाई गई जबकि यह 0.01 से 2.5 पीपीएम तक ही होनी चाहिए थी। उत्तर प्रदेश के फूड सेफ्टी एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने भी मैगी के सैंपल लिए और इसकी जांच कराई तो मैगी में लेड की मात्रा तय सीमा से ज्यादा मिली। इस मामले के बाद देश के कई राज्यों ने अपने यहां पर मैगी की ब्रिकी रोक दी। एफएसएसएआई ने भी मैगी के सभी वर्जंस को असुरक्षित बताते हुए कंपनी को इसके प्रॉडक्‍शन एवं बिक्री पर रोक लगा दी। एफएसएसएआई ने उस समय कहा था कि नेस्‍ले ने अपने प्रोडक्‍ट पर मंजूरी लिए बिना और जोखिम-सुरक्षा आंकलन किए ही मैगी ओट्स मसाला नूडल्‍स मार्केट में उतार दिया था जो कि कानूनी रूप से पूरी तरह अवैध है।
आईए जानते है ज्यादा लेड हमारे शरीर के अन्दर जाने से क्या - क्या नुकसान हो सकता है हमारे शरीर के अंगों पर :
फूड सेफ्टी के नियमों के अनुसार, अगर किसी भी खाने के प्रोडक्ट में लेड और मोनोसोडियम ग्लूटामेट (एमएसजी) का इस्तेमाल किया जाता है तो पैकेट पर इसका जिक्र होना अनिवार्य है। एमएसजी से मुंह, सिर या गर्दन में जलन, स्किन एलर्जी, हाथ-पैर में कमजोरी, सिरदर्द और पेट की तकलीफें हो सकती हैं। इसके अलावा यह स्‍वाद को महसूस करने वाली ग्रंथियों की ताकत को भी कम कर देता है और खाने वाले को अपने टेस्‍ट का आदी बना देता है। लेड न तो हमारी बॉडी में नेचुरल तरीके से बनता है और न ही हमारी बॉडी इसे स्‍वीकार करती है। प्रदूषण या मिलावट के जरिए ये हमारी बॉडी में पहुंचता है और धीरे - धीरे इकट्ठा होता रहता है। अगर यह बॉडी में रेगुलर जमा होता रहा तो यह ब्रेन, लीवर, किडनी और हड्डियों तक पहुंच कर पूरी बॉडी को नुकसान पहुंचा सकता है। लेड अपना असर दिखाने में समय जरूर लेता है पर धीरे - धीरे लीवर में जमा होने के बाद यह लीवर के सेल्स को मारने लगता है, इससे हमारा डाइजेशन  कमजोर हो जाता है। लेड हमारे नर्वस सिस्टम में भी पहुंच जाता है। साफ शब्दों में कहें तो सीसा हमारी बॉडी के लगभग हर अंग को नुकसान पहुंचाता है !
डॉक्टरों का भी यह कथन है : बहुत ज्यादा मात्रा में लेड लेने से  गंभीर हेल्‍थ प्रॉब्‍लम्‍स हो सकती है इससे न्यूरोलॉजिकल दिक्कतें, ब्‍लड सर्कुलेशन में समस्या और किडनी फेल होने तक की नौबत आ सकती है। लेड का ज्यादा सेवन बच्चों के लिए ज्यादा खतरनाक है। इससे उनके  विकास में रुकावट आ सकती है, पेट दर्द, नर्व डैमेज और दूसरे अंगों को भी नुकसान पहुंच सकता है,
बेहतर होगा की अब इस Slow poison को अपने एवम अपने बच्चो के स्वाद से और अपने किचन से दूर रखा जाए !

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कलम से :
भारद्वाज अर्चिता
स्तम्भकार/पत्रकार/लेखिका/
समीक्षक/स्वतंत्र टिप्पणीकार/
मोबाईल नम्बर : 09919353106
06/01/2019

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