माई री मैं तो लीनो गोविन्दो मोल।
कोई कहै छाने कोई कहै छुपकै, लियो री बजंता ढोल।।1।।
कोई कहै महँगो कोई सोंघो, लियो री तराजू तोल।।2।।
कोई कहै कारो कहै गोरो, लियो री अमोलिक मोल।।3।।
याही कूँ सब लोग जाणत हैं लियो री आँखी खोल।।4।।
मीराँ कूँ प्रभु दरसण दीज्यो पूरब जनम का कोल।।5।।
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