किताबों के खूबसूरत धरातल से ब्लागिंग की गलियों में आने में जमाने को जितना समय लगा था उससे बहुत ही कम समय में तो वह फेसबुक, ट्विटर, टिंडर और इंस्टाग्राम से हांफ हूंफ कर टिक टॉक पर आ गया है। ब्लागिंग के अच्छे दिनों में एक दोस्त ने लिखा था कि यह सदी घर से भागे हुए लोगों की है। जड़ से उखड़े लोगों की। लगता है कि आने वाले कुछ दशक तो जड़विहीन लोगों के होंगे। उथले, उथले से दिन और छितरी छितरी रातों जैसे लोग। खैर छोड़ो, बताना तो यह चाहता था कि यह खेतों के सबसे खूबसूरत मौसमों में से एक है। जब सरसों, चने और गेहूं के खेत हाथों में हाथ डाल जवान हो रहे हैं। और छत पर सूखने डाल दी गयी रजाइयां इन दिनों सर्दियों के किस्से, गर्मियों से साझा करती हैं।
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