पुरूष चौकीदारों को पीछे छोड रही है इस वक्त हमारे देश के सर्वोच्च पदों पर काबिज हमारी सतर्क, जिम्मेदार, महिला चौकीदार !
वक्त एवम हमारे देश को अब हमारी महिला चौकीदारों की योग्यता पर भरोसा हो चला है तभी तो :
निर्मला सीता रमण जी की चौकीदारी मे इस समय हर कदम महफूज है हमारा देश !
सुषमा स्वराज जी की चौकीदारी के हवाले है इस समय हमारे देश की विदेश नीति !
सुमित्रा महाजन जी की चौकीदारी मे बेहतर चल रहा है इस समय देश का सदन !
Priyanka गाँधी जी की चौकीदारी मे इस समय देश का विपक्ष सुरक्षित होने का प्रयास कर रहा है !
मायावती जी की चौकीदारी की देख - देख मे बसपा सुरक्षित होने का जुगत करने मे लगी है !
समाजवादी परिवार को भी आज बहन मायावती की चौकीदारी पर ही भरोसा हो रहा है !
Bangal की चौकीदार ममता दीदी को जमाना हो गया पहरा देते हुए, एक ऐसी चौकीदार जो जितनी उपर दिखती है उससे कही ज्यादे गहरे तक टिके है उनके पैर नीचे।
हमारे देश के सैकडो न्यूज चैनल पर महिला समाचार उद्घोषिकाएँ अपनी चौकीदारी दे रही है !
तीनो सेना मे भी महिला चौकीदारों की नियुक्ति समानता के स्तर पर है !
मेडिकल के फिल्ड मे, तकनीकि के फिल्ड मे, प्रशासन के   क्षेत्र में, अंतरिक्ष में, इन सभी जगहों पर तो महिला चौकीदार अपनी बराबर सेवा दे रही है !
यहाँ तक की इन उपरोक्त का उद्हाहरण देने वाली यह लड़की भी कलम की चौकीदार है !
जो कह रहे है महिला चौकीदारों की कमी है इस देश मे मै उनसे पूछना चाहती हूँ महिला चौकीदारों की कहाँ कमी है इस देश मे ?
उपरोक्त हम सब आखिर महिला चौकीदार ही तो है !
बात जब मेधा के बराबरी की हो तब स्त्री और पुरूष वाईज शब्द का प्रयोग हास्यास्पद लगता है !
मेरी नजर मे तो ability के behalf पर equality और equality के behalf पर किसी वर्ग विशेष के लिए शब्द चयन उचित है !
क्योकि इस वक्त देश मे अब महिला चौकीदारों की भूमिका बराबरी से भी जरा उपर के मानक पर खरी उतरने लगी है अर्ची !!
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कलम से :
भारद्वाज अर्चिता
स्तम्भकार/पत्रकार/लेखिका/
समीक्षक/स्वतंत्र टिप्पणीकार

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“ सब धरती कागद करूँ , लेखनी सब बनराय । सात समुद्र की मसि करूँ , गुरु गुण लिखा न जाय ।” भावार्थ :- यदि सारी धरती को कागज़ मान लिया जाए , सारे जंगल - वनों की लकड़ी की कलम बना ली जाए तथा सातों समुद्र स्याही हो जाएँ तो भी हमारे द्वारा कभी हमारे गुरु के गुण नहीं लिखे जा सकते है ।हमारे जीवन मे हमारे गुरु की महिमा सदैव अनंत होती है अर्ची, गुरु का ज्ञान हमारे लिए सदैव असीम और अनमोल होता है । इस जगत मे बहुत कम ऐसे गुरू हुए है जिनको उनकी अपनी सफलता के साथ साथ ही उनके अपने शिष्य की सफलता से पहचान मिली हो ऐसे ही भाग्यशाली गुरू रहे है “रमाकान्त आचरेकर” जिन्हे पूरी दुनिया सचिन तेंदुलकर के क्रिकेट कोच “ क्रिकेट गुरू ” के रूप मे जानती है और इसी रूप मे ही सदैव याद भी रखना चाहती है ! ईश्वर के साम्राज्य मे पहुँचने पर आज गुरू आचरेकर का स्वागत नाराण ने निश्चित तौर पर यही कह कर किया होगा “ क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर के गुरू रमाकान्त आचरेकर जी आईए आपका स्वागत है !!” दिवंगत आचरेकर जी को मेरी विनम्र श्रद्धांजलि !! ================================ Bhardwaj@rchita 03/01/2019

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गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु गुरुर देवो महेश्वरः गुरुः साक्षात्परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नमः गुरु ब्रह्मा (सृष्टिकर्ता) के समान हैं. गुरु विष्णु (संरक्षक) के समान हैं. गुरु प्रभु महेश्वर (विनाशक) के समान हैं. सच्चा गुरु, आँखों के समक्ष सर्वोच्च ब्रह्म है अपने उस एकमात्र सच्चे गुरु को मैं नमन करती हूँ, कोटि-कोटि प्रणाम करती हूं !! साभार : भारद्वाज अर्चिता