IPS “इल्मा अफरोज” के कामयाबी की कहानी अर्चिता की जुबानी देश की आधी आबादी के नाम :

                     इल्मा अफरोज
दुरुह परिस्थितियों के विरुद्ध जाकर जिसने लिखी है  अपार सफलता की इबारत देश की उस कामयाब युवा बेटी IPS इल्मा अफरोज से 8 मार्च अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मद्दे नजर एक इंटरव्यू के तहत मेरी फ़ोन पर हुई बातचीत को प्रेरणा के रूप मे आज मै यहाँ रख रही हूँ देश की अपनी उन करोडो युवा बेटियों के लिए जो संघर्षरत है अपने करियर की दिशा में !
मित्रो भारत के लिए इल्मा अफरोज एक ऐसी बेटी का नाम है जिसने अभाव की ज़मीन पर खडी होकर तैयार किया है अपनी सफलता की आसमानी गाथा ! एक आम किसान परिवार की बेटी “इल्मा अफरोज” जिसने खेतों की देखभाल किया है, लालटेन के प्रकाश मे एक पिछडे गाँव से शुरू किया अपनी आरम्भिक पढ़ाई और एक दिन अपनी मेधा, अपनी प्रतिभा, के दम पर छात्रवृत्ति पाकर ऑक्सफोर्ड मे करने गयी पढ़ाई, ऑक्सफोर्ड की पढ़ाई पूरी करके वापस लौटी स्वदेश, फिर देश की सेवा के लिए पास किया UPSC की परीक्षा, और बनीं IPS !

                          इंटरव्यू

प्रश्न 1 : नमस्कार !
देश की होनहार कामयाब बेटी को महिला दिवस की बहुत - बहुत बधाई !
अपने नाम के साथ - साथ अपने  माता - पिता का भी नाम बताएँ, एवम वर्तमान मे कहाँ पोस्टेड है आप यह भी बताएँ ? 

उत्तर : जी नमस्कार !
मेरा पूरा नाम इल्मा अफरोज है !
अम्मी का नाम श्रीमती सुहैला अफ़रोज़ है एवम मेरे पिता का नाम श्री अफ़रोज़ अहमद है !
मेरी वर्तमान नियुक्ति “ हिमाचल प्रदेश कैडर” मे है !

मित्रों अमूमन होता ऐसा है कि  :
अगर आपने पढ़ाई विदेश से की है तो आप चाहेंगे कि आप विदेश में ही रहकर नौकरी भी करें और अच्छा पैसा कमाएं ! वहीं कई ऐसे लोग भी हैं, जो अपनी पढ़ाई भले विदेश से पूरी करें पर वह अपने देश के लिए कुछ करना चाहते हैं ! ऐसी ही देश समर्पित कामयाब बेटी है इल्मा अफरोज भी ! अपने देश की युवा बेटियों की प्रेरणा इल्मा अफरोज से जब मैने पूछा :

प्रश्न 2 : मुरादाबाद के एक छोटे से गाँव, गाँव के तमाम प्राथमिक अभाव और आर्थिक परेशानी के बावजूद देश के आखिरी व्यक्ति का प्रतिनिधित्व करने वाली बेटी इल्मा अफरोज ने कैसे तय किया दिल्ली से लेकर oxford, एवम न्यूयार्क, तक का अपना सफर कितनी दिक्कतो का सामना कितने साहस के साथ करना पडा ? 

उत्तर :
एक पिछडे ग्रामीण परिवेश मे रहते हुए खुद के लिए कामयाबी का रास्ता बनाना बहुत दुरूह होता है !
पिता के निधन के बाद मेरे लिए भी सब कुछ बहुत आसान नही था, मेरी आँख मे सपने तो बडे थे पर हालात के जिस ट्रैक पर आकर मै खडी थी वह बहुत उबड - खाबड एवम चुनौतीपूर्ण था ! आपको बताऊँ यूपी के मुरादाबाद जिले के एक छोटे से कसबे कुन्दरकी से मै आती हूँ! एक किसान परिवार की बेटी हूँ । कम उम्र मे ही पिता के निधन के बाद मां और भाई के साथ खेतों में भी मै हाथ बंटाने लगी थी, साथ ही मैने अपनी पढ़ाई भी जारी रखा था! मै हर हाल मे अपने देश भारत के लिए कुछ अलग करना चाहती थी जब मुझे मालूम चला कि यूपीएससी की परीक्षा में मैने 217वीं रैंक हासिल की है तो मेरे मुंह से बस एक ही वाक्य निकला था 'जय हिंद'!
मैने पढ़ाई के लिए क़स्बा कुन्दरकी से निकलकर दिल्ली यूनिवर्सिटी के सेंट स्टीफंस कॉलेज से दर्शनशास्त्र में ग्रेजुएशन (विशेष) (BA hons. )किया जिसके बाद छात्रवृत्ति पाकर ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी, इंग्लैंड से अपनी आगे की पढ़ाई पूरी करने गयी ! विदेश में पढ़ते हुए भी मेरा सपना अपने देश के लिए कुछ करने का था ! ऑक्सफोर्ड से पढ़ाई पूरी होने के बाद मुझे न्यूयॉर्क में रहने का मौका मिला ! समपन्न अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर की चकाचौंध देखकर मेरे मन मे हर पल एक ही खयाल आता था कि  मैं ऐसी जगह से आई हूं जहां मैंने लालटेन एवम मोमबत्ती के प्रकाश में पढ़ाई की है ! जहाँ आज भी मेरे देश मे किसान परिवार के बच्चो की यही हालत है इसलिए मुझे अपने देश के लिए कुछ करना है ! मुझे अपनी सेवा अपने देश को देनी है ! न्यूयॉर्क मे रहते हुए भारत पल - पल मुझमे जिन्दा रहा !

प्रश्न 3 : 
शून्य पर खडी होकर कामयाबी का आसमान तय करने तक आपके इस साहस के केन्द्र मे कौन रहा आपका प्रेरणा श्रोत? 

उत्तर :
मेरी अम्मी सदैव रही मेरी प्रेरणा श्रोत !
मुझे विदेश मे भी अपनी माँ का वह चेहरा हमेशा याद रहा जिसने दुनियाँ के विरूद्ध जाकर विपरित परिस्थिति मे भी अपनी बेटी के लिए कामयाबी की राह तैयार करने मे हर सम्भव सहयोग किया । न्यूयॉर्क की व्यस्त दिनचर्या मे भी “ मुझे चुल्हे पर रोटी बनाती मेरी माँ याद आती थीं,! मुझे बाहर पढाई करने के लिये भेजना और उसके लिये दुनिया - भर की बातें सुनकर भी हिम्मत न हारना, बेहद काटों भरे पथ का सफ़र था मेरी अम्मी के लिए ।

प्रश्न 4: 
न्यूयार्क मे एक अच्छी नौकरी थी, बडा पैकेज था, NRI की मुहर भी लगी थी आपके नाम के साथ फिर वह कौन सा सपना था जो भारत की इस जीवट बेटी को भारत की धरती पर वापस बुला लिया और मजबूर कर दिया IPS बनकर एक नयी इबारत लिख देने को, एक ऐसी इबारत जो आज प्रेरणा बन गयी है देश की उन करोडो युवा बेटियों के लिए जो आज की डेट मे हजार अभाव को नकार कर तैयार खडी है अपनी  सफलता की कहानी लिखने को ??

उत्तर :
आपको बताना चाहती हूँ ऑक्सफोर्ड मे केवल पढ़ाई के लिए ( पढ़ने, रहने भर के लिए ) मुझे छात्रवृत्ति मिली थी, मेरे वहाँ जाने के लिए फ्लाइट के पैसे खेती - बाड़ी के काम से आए थे ! इन उपरोक्त कारणों की वजह से मैंने सोचा विदेश में पढ़ाई करके अगर मैं विदेश के लोगों की ही सेवा करूँगीं तो इससे मेरे अपने देश भारत, मेरे आस पास के लोगों और मेरी अम्मी को तो कोई फायदा होगा नहीं ! भला मैं उन अपनो को कैसे भूला सकती थी जिन्होंने मुझ पर सबसे ज्यादा मेहनत किया है ! अपनी इसी सोच के साथ मै पढ़ाई पूरी करके वापस भारत आई और मैने यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दिया !
सफलता की राह कभी भी आसान नहीं होती है, कई बार मेरे साथ भी ऐसा हुआ है जब मुझे भी असफलता हाथ लगी है ! एक समय था जब मैं वकील बनना चाहती थी लेकिन पूरी स्कॉलरशिप न मिलने पर कोलंबिया यूनिवर्सिटी, न्यूयॉर्क मे एडमिशन मिल जाने के बावजूद भी नहीं जा पाई ! लेकिन जब हार से बिना डरे मै पूरी इमानदारी से मेहनत करती रही तो सफलता की तरफ जाने वाली सभी राहे एक के बाद एक मेरे लिए मुडती चली गयी ! मन - आत्मा से पूरी तरह सहज एवम देशी हूँ मै ! मै सबसे ज्यादा शुक्रगुजार हूँ अपने देश भारत की जिसके सांस्कृतिक मूल्यों खासकर “कर्मा योग” ने मुझे मज़बूत बनाया, लगातर मेहनत करने की, और कभी परिणाम की चिंता न करने की हिम्मत दिया मुझे! 
मेरे देश का दर्शन “वसुधैव कुटुम्बकम” ने मुझे पूरी दुनिया से सीखने, समझने और पूरी दुनिया को एक परिवार के रूप मे आत्मसात करने की नयी सोच दिया ! मुझमे यह जज्बा पैदा किया कि “मैं जो भी करूँ, उससे मेरे देश की प्रगति हो, उन्नति हो ”!

प्रश्न 5 : इस महिला दिवस 8 मार्च 2019 पर अपने इस  इंटरव्यू के माध्यय से देश की हमारी वर्मान संघर्षरत युवा बेटियों को क्या मैसेज देना चाहती है आप ? करियर ओरिएन्टेड हमारी युवा बेटियों के लिए सफलता के कुछ मन्त्र यहाँ जानना चाहती हूँ मै IPS इल्मा अफरोज के शब्दों में  ?

उत्तर :  इस महिला दिवस पर मेरे देश की युवा बेटियों
के नाम मेरा सन्देश है की “ खुद पर भरोसा रखिये, जी भर कर परिश्रम कीजिये, आपको आपकी मंजिल ज़रूर मिलेगी, जो भी आप करें, भारत की प्रगति के लिये करें. 
जय हिन्द !
इल्मा अफरोज़ 
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आप लोगो को बताती चलूँ  यह वही इल्मा अफरोज है जो अपने यूपीएससी की परीक्षा में 217वीं रैंक लाई थी ! इनकी सहजता का पता आप इस बात से लगा सकते है कि यूपीएससी परीक्षा का परिणाम जिस दिन आया था उसके अगले दिन भी इल्मा गेहूं की कटाई मे परिवार की सहायता करने खेत पर पहुँचीं थी ! आज एक कामयाब IPS officer होने के बाद भी इल्मा अफरोज का जुडाव गाँव एवम खेती - बाड़ी से बहुत गहरा है ! सफलता के मामले मे इस देश की आधी आबादी का कुशल प्रतिनिधित्व करने वाली बेटी  IPS इल्मा अफरोज जैसी बेटी आज भारत के हर माता - पिता की चाहत है !
आइए इल्मा अफरोज जैसी कामयाब हिम्मती बेटी को साक्षी मानकर इस महिला दिवस पर एक लौ जलाए हम सब इस देश की हर एक बेटी की कामयाबी के नाम और दूर करे बेटियों के जीवन में सदियों - सदियों से व्याप्त भेद - भाव के घने तिमिर को ! 
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आभार सहित :
भारद्वाज अर्चिता
स्तम्भकार/पत्रकार/लेखिका/
समीक्षक/स्वतंत्र टिप्पणीकार/
मोबाईल नम्बर : 09919353106
समय : 9.15 pm
Date : 06/03/2019

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