3. वासांसि जीर्णानि यथा विहाय नवानि गृह्णाति नरोऽपराणि । तथा शरीराणि विहाय जीर्णा- न्यन्यानि संयाति नवानि देही ॥
भावार्थ : जैसे मनुष्य पुराने वस्त्रों को त्यागकर दूसरे नए वस्त्रों को ग्रहण करता है, वैसे ही जीवात्मा पुराने शरीरों को त्यागकर दूसरे नए शरीरों को प्राप्त होता है॥
As a person puts on new garments, giving up old ones, similarly, the soul accepts new material bodies, giving up the old and useless .
मनोहर पर्रिकर को पैंक्रियाटिक कैंसर भी नही डिगा सका जीवन के के आखिरी लम्हे तक वह गोवा, गोवा की जनता एवम देश के लिए समर्पित रहे !
तबीयत बिगड़ने पर जब उन्हें मुंबई के लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया था वा वक्त भी गोवा छोड़ने से पहले उन्होंने कैबिनेट सलाहकार समिति का गठन किया जो उनकी अनुपस्थिति में राज्य के कामकाज के लिए निर्णय ले सके !
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