इस देश की नागरिक होने के नाते एक प्रश्न मुझे बार बार कुरेद रहा है यथा :
“जिस दिन विधानसभा में पश्चिम बंगाल का बजट पेश होना तय था उस दिन ममता बनर्जी को बजट पेश करने से भी कही ज्यादे महत्वपूर्ण कमिश्नर को बचाना क्यूँ लगा??
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एक कलमकार के तौर पर जब चिन्तन करती हूँ अर्चिता तो लगता है मेरे देश मे यह जो 22 दलों का गठबंधन बना है ये गठबंधन कैसी विचारधारा के साथ भारत के लिए प्रधानमंत्री चुनेगा? और इनके मध्य भारत का कितना हित सधेगा ! देश का एक एक नागरिक 2014 से पूर्व ही इस बात से पूर्ण परिचित था कि : शारदा चिटफंड व रोज़ वैली घोटाला पश्चिम बंगाल का एक बड़ा आर्थिक घोटाला है। इसमें देश भर के कई बड़े नेताओं के नाम जुड़े हैं। इस घोटाले में करीब 40 हजार करोड़ की हेर - फेर हुई थी। लगभग 20 लाख गरीब इस घोटाले के पीड़ित थे। 100 से अधिक लोगों ने आर्थिक रूप से पीड़ित होकर इस घोटाले से मिले सदमे से आहत होकर आत्महत्या कर लिया था !
जहाँ तक मुझे विदित है जब साल 2014 में पूर्ण बहुमत से केन्द्र मे भाजपा की सरकार आई, श्री नरेन्द्र भाई दामोदर दास मोदी ने भारत के प्रधानमंत्री पद की शपथ ली उससे कही बहुत पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को आदेश दिए थे कि : सीबीआई “शारदा चिटफंड” मामले की जांच जारी करे। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल, ओडिशा और असम पुलिस को जांच में सहयोग करने का आदेश भी दिया था। इस समय भी सीबीआई सुप्रीमकोर्ट के आदेश का ही पालन कर रही है, न की वर्तमान केंद्र सरकार के किसी प्रायोजित आदेश का !
शारदा घोटाले की SIT जांच का भार जिस पुलिस अधिकारी राजीव कुमार को मिला था, अब जब की उन पर सबूत मिटाने का आरोप लग चुका है, ऐसे मे अनेकों बार उनको पूछताछ के लिए सीबीआई द्वारा सम्मन जारी किया गया किन्तु वह कहीं किसी विभाग के सामने हाजिर नहीं हुए आखिर उनकी इस मनमानी की वजह कौन है ? कौन खडा है उनके पीछे जिसके दम पर वह देश के कानून की अवमानना के साथ साथ देश मे न्याय के मन्दिर सुप्रीमकोर्ट का भी अपमान कर रहे है !
हम सब जानते है वर्तमान में वह पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा बनाये गए कोलकाता के पुलिस कमिश्नर हैं। जब अनेक बार बुलाने पर भी कोई हाजिर न हो एवम सुप्रीमकोर्ट के आदेश की अवहेलना करे तो ऐसे मे सुप्रीमकोर्ट के निर्देशानुसार सक्रीय सीबीआई का कानूनी दायित्व बन जाता है कि वह पूछताछ के लिए उस व्यक्ति के मौजूदगी वाले स्थानो पर छापा मारे उस व्यक्ति को पकडे एवम उससे हर उस पहलू पर पूछताछ करे जिसकी जिम्मेदारी सुप्रीमकोर्ट ने सीबीआई को सौपी है ! कोलकाता के पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार ने जब सीबीआई के सामने हाजिरी नही लगाया, कोई जवाब देना उचित नहीं समझा तो ऐसे मे सीबीआई उनके घर पूछताछ के लिए पहुंच कर वही किया जो करना उस वक्त सीबीआई का दायित्व था ! किन्तु इसके प्रत्युत्तर में ममता बनर्जी की कोलकाता पुलिस ने सीबीआई अधिकारियों को ही जिस तरह गिरफ्तार कर लिया वह हमारी लोकतन्त्रात्मक के लिए बडा प्रश्नचिह्न खडा करता है ! साथ ही लीपापोती के लिए तुरंत प्रदेश की वर्तमान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का राजीव कुमार के समर्थन में केंद्र सरकार के खिलाफ धरने पर बैठ जाना देश के constitution मे विश्वास करने वाले हर एक नागरिक को ममता बनर्जी की मनमानी तानाशाही सोच की झलक दिखा गया !
मेरे लिए महत्वपूर्ण बात यह है कि जांच तो पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार के खिलाफ़ होनी थी लेकिन उस जांच को रोकने के लिए ममता बनर्जी खुद धरने पर क्यो बैठ गईं! वो भी तब, जब उसी दिन उनको विधानसभा में पश्चिम बंगाल का बजट पेश करना था जो की काफी पहले से तय था। आखिर उन्हें बजट पेश करने से भी ज्यादा महत्वपूर्ण कमिश्नर को बचाना क्यूँ लगा?
मुझे जहाँ तक ध्यान है इस सीबीआई जांच के लिए तत्कालीन कांग्रेस सरकार व अखिलेश यादव ने ही मांग की थी, अब इन लोगों की राजनीति की घृणास्पद गिरावट की कहा जाएगा इसे कि : वही लोग इस जांच के विरोध में सीबीआई खिलाफ लामबंद हो रहे हैं जिन्होने कभी इस जांच की पुरजोर माँग की थी !
आज हमारे देश मे ऐसे-ऐसे 22 दलों का गठबंधन बना है जिनके उपज के केन्द्र मे स्वयम 1975 - 1976 के दौर की हमारी केन्द्र सरकार का भ्रष्टाचार ही रहा है !
मेरी तरह ही क्या आप सबको भी नही लगता है कि : यह भ्रष्टाचार से तैयार गठबंधन अपनी भ्रष्ट विचारधारा के साथ भारत का कौन के लिए कैसा प्रधानमंत्री चुनेगी ? और फिर इनके द्वारा चुना गया वह प्रधानमंत्री किस भ्रष्ट विचारधारा के साथ काम करेगा ?
क्या देश से भ्रष्टाचार मिटाने के लिए भ्रष्टाचार को ही चुनना सही होगा इस देश मे ?
गठबंधन से तैयार सरकार और प्रधानमंत्री द्वारा अपने 22 दलों के किन - किन घोटालों को दबाया जाएगा क्या कभी इस पहलू पर कल्पना करके देखा है हमने अथवाँ आपने ? जरा गौर करिए इनकी सरकार अगर आई तो क्या वह जनता के लिए कभी कार्य करेगी ?
ऐसा नही लगता अपने सहयोगी 22 दलों के पाप छिपाने के लिए उसके 5 वर्ष का कार्यकाल भी कम पड जाएगा ?
जरा कल्पना कर के देखिए उन सभी पहलू पर जिसमे 22 दलो के इस गठबंधन द्वारा अपने -अपने हितों' को साधने के लिए किस किस तरह के 'मिनिमम कॉमन प्रोग्राम' चलाए जाएँगे ?
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भारद्वाज अर्चिता
स्तम्भकार/पत्रकार/लेखिका/
समीक्षक/स्वतंत्र टिप्पणीकार/
मोबाईल नम्बर : 09919353106
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