हर वर्ष वैलेंटाइन डे पर दुनिया भर के युवाओ के साथ साथ मेरे देश भारत के युवा भी कई टन गुलाब और कई टन गिफ्ट अपने प्रेम को समर्पित करते है और 14 फरवरी को एक पूरे दिन अच्छी यादे बनाते है ! मै कभी युवाओ के इस ट्रैक पर तो नही चली हूँ पर चलने वाले युगल का विरोध भी नही करती हूँ ! इस वैलेंटाइन डे पर मै स्वयम अपने देश के करोडो प्रेमी युगल को भारत के एक ऐसे युगल प्रेमी जोडे की कहानी अटूट प्रेम और त्याग की कहानी बताना चाहती हूँ जिसके नायक है वर्ष 2016 के शहीद मेजर अक्षय गिरीश और उनकी पत्नी संगीता गिरीश ! मित्रो यह कहानी स्वयम मेजर अक्षय गिरीश की पत्नी के हाथो द्वारा 2017 मे अपनी फेसबुक वाल पर लिखी गयी भावुक पोस्ट, जिसकी title है :

         'उनकी वर्दी से आती है खुशबू'

मित्रो मेरी भूमिका यहाँ बस इतनी सी है कि : मैने दिल को छू लेने वाली इस यादगार कहानी को आज वैलेंटाइन डे के अवसर पर आप युवाओ के लिए यथावत ज्यो का त्यो रख दिया है बिल्कुल वैसे ही जैसा मेजर अक्षय गिरीश की पत्नी संगीता गिरीश ने लिखा है ! तो आईए मेरे कुछ शब्दो के साथ आप सब भी संगीता गिरिश के इस भावप्रद संस्मरण को पढ़िए !
          एक सैनिक की पत्नी, मां, और बेटी इस दुनिया मे सबसे बहादुर होती हैं अर्चिता क्योकि अपने बेटे और पति को जंग में भेजने के लिए बड़ी हिम्मत चाहिए होती है । एक सिपाही पूरी दुनिया की सुरक्षा में रात - दिन जुटा रहता है और उसका परिवार इसी बात से संतुष्ट रहता है कि: उनका बेटा,उनका पति, उनका भाई, देश की रक्षा कर रहे है तभी तो उनका पूरा देश आराम की नींद सो रहा है ! लेकिन जब इसी बेटे,पति,भाई, की शहीदी की खबर एक दिन उनके घर पहुंचती है तो उस समय घर का मन्जर ऐसा होता है कि वो लम्हें उन्हे फिर ताउम्र भुलाए नहीं भूलते। मन में एक टीस होती है कि काश आखिरी बार उसे देख ही लिया होता या काश आखिरी बार उसे मिलकर गले से लगा लिया होता। कुछ ऐसे ही भावुक पल जब शेयर किए शहीद मेजर अक्षय गिरीश  कुमार की पत्नी संगीता ने तो पूरी दुनिया उस  संस्मरण को पढ़कर रो पडी थी ! संगीता ने अपनी लव स्टोरी से लेकर अपने पति के साथ बिताए अंतिम पलों को बड़े ही भावुक ढंग से फेसबुक पेज BeingYou पर शेयर किया है। जम्मू-कश्मीर के नगरोटा में थलसेना की एक यूनिट पर हुए हमले में वर्ष 2016 मे मेजर अक्षय गिरीश कुमार(31) जब शहीद हो गए उसके बाद संगीता ने लिखा कि :

2009 में सब नार्मल था, मुझे नहीं मालूम था कि क्या होने वाला है, कुछ प्लान भी नहीं किया हुआ था। मेजर अक्षय और एक अन्य दोस्त के साथ मैं चंडीगढ़ गई, वहां से हम शिमला के लिए घूमने निकले लेकिन वहां कर्फ्यू लगा हुआ था। जो होटल बुक किया हुआ था वो भी जल्दी बंद हो गया था। इतना ही नहीं वो अंंगूठी भी भूल गए थे ऐसे में अक्षय घुटनों के बल बैठ गए और जेब में रखी लाल रंग की पेन ड्राइव से प्रपोज किया।

2011 में दोनों ने शादी कर ली और वे पुणे शिफ्ट हो गए। दो साल बाद उनके घर बेटी नैना का जन्म हुआ। नैना के छोटी होने की वजह से संगीता के सुसराल वालों ने उसे बेंगलुरु आने को कहा लेकिन उसने मना कर दिया। तभी 2016 में मेजर अक्षय की पोस्टिंग जम्मू-कश्मीर के नगरोटा में हो गई। संगीता और उनकी बच्ची भी उनके साथ वहां गए। कोई घर अलॉट नहीं होने की वजह से वे ऑफिसर्स मेस में ठहरे। संगीता ने आगे लिखा, उसी साल 29 नवंबर की सुबह 5.30 बजे अचानक से फायरिंग की आवाजें आने लगी। हमने सोचा ट्रेनिंग चल रही है लेकिन कुछ ही समय बाद ग्रेनेड फूटने की आवाज आई और तभी जूनियर्स हमारे पास आए और अक्षय से कहा कि आतंकियोंं ने  तोपखाने की रेजिमेंट को बंधक बना लिया है, आप जल्दी बाहर आ गए ।
सभी बच्चों और महिलाओं को कमरे में सुरक्षित रखा गया। संतरियों को कमरे के बाहर तैनात किया गया था। लगातार फायरिंग हो रही थी। जैसे ही थोड़ा सवेरा हुआ तो हम सबको एक सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया। काफी समय तक अक्षय नहीं लौटे तो 11:30 बजे, मैं खुद को रोक नहीं सकी और एक कॉल की। अक्षय की टीम के एक सदस्य ने फोन उठाया और कहा कि मेजर अक्षय एक अलग जगह पर गए हैं। करीब शाम 6:15 बजे, उनके कमांडिंग और कुछ अन्य ऑफिसर्स मुझसे मिलने आए।

उन्होंने कहा, 'मैम हमने अक्षय को खो दिया है। वे करीब सुबह 8:30 बजे शहीद हुए थे।' यह सुनते ही संगीता ठिठक गई, उनके दिमाग में एक ही बात कौंधी कि काश! मैंने उन्हें अलविदा कहकर गले लगाया होता। काश! मैंने उनसे आखिरी बार कहा होता कि मैं तुमसे प्यार करती हूं लेकिन ऐसे कुछ नहीं हो सका। इस हमले में दो जवान और शहीद हुए थे। नैना को क्या बताती कि उनके पापा कहां गए। संगीता बताती है कि उन्होंने मेजर अक्षय की वर्दी और जो चींजे उन्हें मिली आज तक सहेज कर रखी हैं। उन्होंने तब से लेकर आज तक मेजर की वर्दी को धोया भी नहीं है क्योंकि यह उनकी आखिरी निशानी थी उन्हें इसमें से आज भी मेजर अक्षय की खुशबू आती है। संगीता बताती हैं कि उन्हें जब भी मेजर साहब की याद आती है वे उस वर्दी को पहन लेती हैं। मैं उनकी यादों में रहकर खुश हूं। मैं हमेशा उनसे प्यार करती रहूंगी !! 

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