Excited हूँ एक वर्ष पूर्व “एक था टाईगर” फिल्म देखने के बाद वापस फिर नए वर्ष 2019 के प्रथम् माह मे दो-एक फिल्मे ...शायद देखूँ ........शायद देखूँ ......... यथा : मणिकर्णिका, एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर और ठाकरे, इन सब के ट्रेलर को देखकर लगता है 2019 बॉलीवुड को एक अच्छी शुरुआत देगा। हालांकि दो फिल्में विवाद में जाती हुई दिखायी दे रही हैं, परंतु विवादों का तो बॉलीवुड से पुराना नाता रहा है। मणिकर्णिका के लिए इसलिए इच्छुक हूँ क्यूंकि यह एक पीरियड फ़िल्म है। मेरे लिए संजय बारू लिखित “एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर” उपन्यास पर बनी फिल्म देखना इसलिए दिलचस्प होगा क्यूंकि पुस्तक के अनुसार यहाँ उन परतों को किसी अपने द्वारा उजागर किया गया है जो अब तक दूसरे के ही चश्मे से देखी जाती थी ! फ़िल्म में सुज़ेन लगभग सोनिया ही लग रही हैं । प्रियंका का भी चरित्र किरदार के अनुरूप ही चयनित है ! परंतु मेरी राय मे राहुल का चुनाव थोड़ा और बेहतर हो सकता था। देखना दिलचस्प होगा की बाकी के किरदार कितने करीब लगेंगे। व्यक्तिगत रूप से बेलाग लपेट कहूँ तो राजनैतिक रुझान के तहत ठाकरे को मैंने कभी पसंद नहीं किया। परंतु यह बात फ़िल्म न देखने का कारण किसी के लिए नहीं हो सकती। पसंद तो किसी को हिटलर भी नहीं है लेकिन Mein Kanf आज भी दुनिया की बेस्टसेलर है। फ़िल्म की विडम्बना यह है कि ठाकरे का किरदार वो निभा रहे जिन्हे खुद ठाकरे शायद ही पसंद करते। और मेरे हिसाब से शायद यही इस फ़िल्म का सबसे बड़ा आकर्षण भी है और सबसे बड़ी खूबसूरती भी। Excited हूँ ! पर तय नही की देख ही पाऊँ क्योकि शहर के SRS सिनेमा हॉल मे बैठकर सिनेमा देखते हुए टाइम पास से कोफ्त भरा काम मुझे कुछ और नही लगता अर्चिता !!

Excited हूँ एक वर्ष पूर्व “एक था टाईगर” फिल्म देखने के बाद वापस फिर नए वर्ष 2019 के प्रथम् माह मे दो-एक फिल्मे ...शायद देखूँ ........शायद देखूँ .........
यथा :
मणिकर्णिका, एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर और ठाकरे, इन सब के ट्रेलर को देखकर लगता है 2019 बॉलीवुड को एक अच्छी शुरुआत देगा। हालांकि दो फिल्में विवाद में जाती हुई दिखायी दे रही हैं, परंतु विवादों का तो बॉलीवुड से पुराना नाता रहा है।
मणिकर्णिका के लिए इसलिए इच्छुक हूँ क्यूंकि यह एक पीरियड फ़िल्म है।
मेरे लिए संजय बारू लिखित “एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर” उपन्यास पर बनी फिल्म देखना इसलिए दिलचस्प होगा क्यूंकि पुस्तक के अनुसार यहाँ उन परतों को किसी अपने द्वारा उजागर किया गया है जो अब तक दूसरे के ही चश्मे से देखी जाती थी ! फ़िल्म में सुज़ेन लगभग सोनिया ही लग रही हैं । प्रियंका का भी चरित्र किरदार के अनुरूप ही चयनित है ! परंतु मेरी राय मे राहुल का चुनाव थोड़ा और बेहतर हो सकता था। देखना दिलचस्प होगा की बाकी के किरदार कितने करीब लगेंगे।
व्यक्तिगत रूप से बेलाग लपेट कहूँ तो राजनैतिक रुझान के तहत ठाकरे को मैंने कभी पसंद नहीं किया। परंतु यह बात फ़िल्म न देखने का कारण किसी के लिए नहीं हो सकती। पसंद तो किसी को हिटलर भी नहीं है लेकिन Mein Kanf आज भी दुनिया की बेस्टसेलर है। फ़िल्म की विडम्बना यह है कि ठाकरे का किरदार वो निभा रहे जिन्हे खुद ठाकरे शायद ही पसंद करते। और मेरे हिसाब से शायद यही इस फ़िल्म का सबसे बड़ा आकर्षण भी है और सबसे बड़ी खूबसूरती भी।
Excited हूँ ! पर तय नही की देख ही पाऊँ क्योकि शहर के SRS सिनेमा हॉल मे बैठकर सिनेमा देखते हुए टाइम पास से कोफ्त भरा काम मुझे कुछ और नही लगता अर्चिता !!

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“ सब धरती कागद करूँ , लेखनी सब बनराय । सात समुद्र की मसि करूँ , गुरु गुण लिखा न जाय ।” भावार्थ :- यदि सारी धरती को कागज़ मान लिया जाए , सारे जंगल - वनों की लकड़ी की कलम बना ली जाए तथा सातों समुद्र स्याही हो जाएँ तो भी हमारे द्वारा कभी हमारे गुरु के गुण नहीं लिखे जा सकते है ।हमारे जीवन मे हमारे गुरु की महिमा सदैव अनंत होती है अर्ची, गुरु का ज्ञान हमारे लिए सदैव असीम और अनमोल होता है । इस जगत मे बहुत कम ऐसे गुरू हुए है जिनको उनकी अपनी सफलता के साथ साथ ही उनके अपने शिष्य की सफलता से पहचान मिली हो ऐसे ही भाग्यशाली गुरू रहे है “रमाकान्त आचरेकर” जिन्हे पूरी दुनिया सचिन तेंदुलकर के क्रिकेट कोच “ क्रिकेट गुरू ” के रूप मे जानती है और इसी रूप मे ही सदैव याद भी रखना चाहती है ! ईश्वर के साम्राज्य मे पहुँचने पर आज गुरू आचरेकर का स्वागत नाराण ने निश्चित तौर पर यही कह कर किया होगा “ क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर के गुरू रमाकान्त आचरेकर जी आईए आपका स्वागत है !!” दिवंगत आचरेकर जी को मेरी विनम्र श्रद्धांजलि !! ================================ Bhardwaj@rchita 03/01/2019

माँ सीता के द्वारा माँ पार्वती स्तुति अयोध्याकाण्ड जय जय गिरिबरराज किसोरी। जय महेस मुख चंद चकोरी।। जय गजबदन षडानन माता। जगत जननि दामिनि दुति गाता।। नहिं तव आदि मध्य अवसाना। अमित प्रभाउ बेदु नहिं जाना।। भव भव विभव पराभव कारिनि। बिस्व बिमोहनि स्वबस बिहारिनि।। [दोहा] पतिदेवता सुतीय महुँ, मातु प्रथम तव रेख। महिमा अमित न सकहिं कहि, सहस सारदा सेष।।235।। सेवत तोहि सुलभ फल चारी। बरदायिनी पुरारि पिआरी।। देबि पूजि पद कमल तुम्हारे। सुर नर मुनि सब होहिं सुखारे।। मोर मनोरथु जानहु नीकें। बसहु सदा उर पुर सबहिं कें।। कीन्हेउँ प्रगट न कारन तेहीं। अस कहि चरन गहे बैदेहीं।। बिनय प्रेम बस भई भवानी। खसी माल मूरति मुसुकानी।। सादर सियँ प्रसादु सिर धरेऊ। बोली गौरि हरषु हियँ भरेऊ।। सुनु सिय सत्य असीस हमारी। पूजिहि मन कामना तुम्हारी।। नारद बचन सदा सुचि साचा। सो बरु मिलिहि जाहिं मनु राचा।। [छंद] मनु जाहिं राचेउ मिलिहि सो बरु, सहज सुंदर साँवरो। करुना निधान सुजान सीलु, सनेहु जानत रावरो।। एहि भाँति गौरि असीस सुनि सिय, सहित हियँ हरषीं अली। तुलसी भवानिहि पूजि पुनि पुनि, मुदित मन मंदिर चली।। [सोरठा] जानि गौरि अनुकूल सिय, हिय हरषु न जाइ कहि। मंजुल मंगल मूल, बाम अंग फरकन लगे।।

गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु गुरुर देवो महेश्वरः गुरुः साक्षात्परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नमः गुरु ब्रह्मा (सृष्टिकर्ता) के समान हैं. गुरु विष्णु (संरक्षक) के समान हैं. गुरु प्रभु महेश्वर (विनाशक) के समान हैं. सच्चा गुरु, आँखों के समक्ष सर्वोच्च ब्रह्म है अपने उस एकमात्र सच्चे गुरु को मैं नमन करती हूँ, कोटि-कोटि प्रणाम करती हूं !! साभार : भारद्वाज अर्चिता